God tries to change or discipline the evil traits of an human, If no change happens then God destroys that person. Also, importance is given to leadership qualities according to Rig Ved 1.21.5
ता म॒हांता॒ सद॒स्पती॒ इंद्रा॑ग्नी॒ रक्ष॑ उब्जतं ।
अप्र॑जाः संत्व॒त्रिणः॑ ॥
Translation:-
ता - They.
म॒हांता॒ - Great.
सद॒स्पती॒ - Head or Chairman.
इंद्रा॑ग्नी॒ - Indra and Agnidev!
रक्षः - For Demons.
उब्जतम् - Simple natured.
अप्र॑जाः - Without any Children or Progeny (Praja).
संतु - To be.
अत्रिणः॑ - Omnivorous or the one consuming human flesh.
Explanation:-Due to their excessive and excellent qualities, Indra and Agnidev are simple natured and the best Deities. Therefore they are capable to head or lead others.Due to this quality, they become the best one to head or lead others. They are able to discipline the Omnivorous Demons to reform or they are destroyed along with their progeny's.
Deep meaning: God tries to change or discipline the evil traits of an human, If no change happens then God destroys that person. Also, importance is given to leadership qualities.
#मराठी
ऋग्वेद १.२१.५
ता म॒हांता॒ सद॒स्पती॒ इंद्रा॑ग्नी॒ रक्ष॑ उब्जतं ।
अप्र॑जाः संत्व॒त्रिणः॑ ॥
भाषांतर :-
ता - ते.
म॒हांता॒ - महान.
सद॒स्पती॒ - सभापती.
इंद्रा॑ग्नी॒ - इंद्र आणि अग्नि.
रक्षः - राक्षसांचा.
उब्जतम् - सरळ स्वभावाचे.
अप्र॑जाः - प्रजा रहित किंवा संतान रहित.
संतु - होणे.
अत्रिणः॑ - सर्वभक्षक राक्षस.
भावार्थ :-गुणांची अधिकता मुळे इंद्र अाणि अग्निदेव सर्वश्रेष्ठ आणि सरळ स्वभावाचे मानले जातात. ह्या कारणी दोघे सभापती चे कार्यांना श्रेष्ठ पद्धतीने करतात. हे दोघे सर्व भक्षक राक्षसांना अशी पद्धत ने शासित करतात की त्यांची सुधारणा करतात आणि जर सुधरले नाही तर आपले बंधु बांधवां बरोबर मृत्यू पावतात.
#हिंदी
ऋग्वेद १.२१.५
ता म॒हांता॒ सद॒स्पती॒ इंद्रा॑ग्नी॒ रक्ष॑ उब्जतं ।
अप्र॑जाः संत्व॒त्रिणः॑ ॥
अनुवाद :-
ता - वे।
म॒हांता॒ - महान।
सद॒स्पती॒ - सभापति।
इंद्रा॑ग्नी॒ - इन्द्र और अग्नि।
रक्षः - राक्षसों को।
उब्जतम् - सरल स्वभाव वाले।
अप्र॑जाः - प्रजा रहित या संतान रहित।
संतु -होना।
अत्रिणः॑ - सर्वभक्षक राक्षस।
भावार्थ :-इन्द्र और अग्नि,यह दोनों देवों मे गुणों की अधिकता के कारण सर्वश्रेष्ठ और सरल स्वभाव के माने जाते हैं।इसीलिए ये सभापति के कार्य अच्छे से निभाते हैं।ये दोनो मांसभक्षी राक्षसों को इस प्रकार शासित करते हैं कि वे निश्चय ही सुधर जाते हैं और न सुधरने पर अपने बंधु बांधवों के साथ मार डाले जाते हैँ।
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