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Writer's pictureAnshul P

RV 1.24.11

Updated: Jun 14, 2020

Our body is composed mainly of Water, then through Water therapy(Kunjali, Jalneti, Prakshalan, etc.)Varundev bestows longevity to us, Many diseases can be cured through this therapy @ Rig Ved 1.24.11


तत्त्वा॑ यामि॒ ब्रह्म॑णा॒ वंद॑मान॒स्तदा शा॑स्ते॒ यज॑मानो ह॒विर्भिः॑ ।

अहे॑ळमानो वरुणे॒ह बो॒ध्युरु॑शंस॒ मा न॒ आयुः॒ प्र मो॑षीः ॥


Translation:-


तत् - Same.


त्वा - From You.


यामि॒ - To ask.


ब्रह्म॑णा॒ - Through hymns and prayers.


वंद॑मानः - To pay Obeisance (bow).


आ शा॑स्ते॒ - To request.


यज॑मानः - Yajman.


ह॒विर्भिः॑ - To make offerings.


अहे॑ळमानः - Does not ignore.


वरुण - Varun


बो॒धि - Understand.


उरु॑शंस॒ - Praised by many.


नःआयुः॒ - Our age.


मा प्रण मोषीः - Shall not decrease.


Explanation:-This mantra is addressed to Varundev. Here the Yajmans request Varundev to provide them longevity. The Yajmans sing his praises in order to get a longer life. Varundev also does not ignore the request of his devotees and provides them a longer life.


Deep meaning: Shruti Bhagwati Suprimposes Parmatma in Vayudev. Parmatma is supreme Soul and Soul is Parmatma. We can ask him to give us longevity. Secondly if we lead a balanced life as per Ved then we can attain longevity. Our body is composed mainly Water then through Water therapy(kunjali, jalneti, Prakshalan, etc.)Varundev bestows longevity to us.






#मराठी


ऋग्वेद १.२४.११


तत्त्वा॑ यामि॒ ब्रह्म॑णा॒ वंद॑मान॒स्तदा शा॑स्ते॒ यज॑मानो ह॒विर्भिः॑ ।

अहे॑ळमानो वरुणे॒ह बो॒ध्युरु॑शंस॒ मा न॒ आयुः॒ प्र मो॑षीः ॥


भाषांतर :-


तत् - तेच.


त्वा - आपल्या पासून.


यामि॒ - मांग करणे.


ब्रह्म॑णा॒ - मंत्र आणि स्तुति मार्फत.


वंद॑मानः - वंदन करणे.


आ शा॑स्ते॒ - निवेदन करणे.


यज॑मानः - यजमान.


ह॒विर्भिः॑ - हविश अर्पण करणे.


अहे॑ळमानः - तिरस्कार न करणे.


वरुण - वरूण.


बो॒धि - समजणे


उरु॑शंस॒ - लोकां मध्ये प्रशंसित.


आयुः॒ - आपली अायु.


मा प्र मो॑षी - कमी नाही करणे


भावार्थ:हा मंत्र वरूणदेवांना संबोधित आहे.ह्याचा मध्ये त्यांना आयुष्याचा वृद्धी साठी निवेदन केलेले आहे.यजमान स्तुती करून वरूणदेवांना सांगतात की त्याना दीर्घायुषी होण्याची कामना आहे.वरूणदेव पण आपल्या भक्तांचा तिरस्कार न करता त्यांची प्रार्थना वर लक्ष्य देउन त्याना दीर्घ आयु प्रदान करतात.


गूढार्थ: श्रुति भगवती इकडे वरूणदेवात परमात्मा चा अध्यारोप करत आहेत.परमात्मा प्राणांचे पण प्राण आहेत,प्राणच परमात्मा आहेत ज्यांचा कडे आम्ही दीर्घ आयु होण्याची बाब माँगू शकतो.दूसरी बाब हे आहे कू जर आम्ही वेदानुसार संतुलित जीवन यापन करणार तेंव्हा आम्ही पण दीर्घ आयु प्राप्त करू शकतो.आमचा शरीराचे मुख्य तत्व पाणी असून, तेंव्हा जल तितीक्षा(कुंजल,जलनेति) च्या माध्यमे वरूणदेव आम्हास दीर्घ आयु देणार.




#हिंदी


ऋग्वेद १.२४.११


तत्त्वा॑ यामि॒ ब्रह्म॑णा॒ वंद॑मान॒स्तदा शा॑स्ते॒ यज॑मानो ह॒विर्भिः॑ ।

अहे॑ळमानो वरुणे॒ह बो॒ध्युरु॑शंस॒ मा न॒ आयुः॒ प्र मो॑षीः ॥


अनुवाद :-


तत् - वही।


त्वा - आपसे।


यामि॒ - मांगना।


ब्रह्म॑णा॒ - मंत्र और स्तुतियों द्वारा।


वंद॑मानः -वंदना करना।


आ शा॑स्ते॒ - निवेदन करना।


यज॑मानः - यजमान।


ह॒विर्भिः॑ - हविश अर्पण करना।


अहे॑ळमानः - निरादर न करते हुए।


वरुणे॒ - वरूण।


बो॒धि - समझना।


उरु॑शंस॒ - कई लोगों द्वारा प्रशंसित।


नः आयुः॒ - हमारी आयु।


मा प्र मो॑षीः - कम नहीं करना।


भावार्थ :-यह मंत्र वरूणदेव को संबोधित है।इसमे उनसे आयु की वृद्धि के लिए निवेदन किया गया है।यजमान स्तुति करते हुए कहते हैं कि वह वरूणदेव से दीर्घायु की कामना करते हैं।वरूणदेव भी अपने भक्तों का निरादर न करते हुए उनकी प्रार्थनाओं पर ध्यान देते हुए उन्हे लंबी आयु प्रदान करते हैँ।


गूढार्थ:श्रुति भगवती यहां वरूणदेव में परमात्मा का अध्यारोप कर रहीं हैं। परमात्मा प्राणों के भी प्राण हैं और प्राण ही परमात्मा हैं जिनसे हम दीर्धायु होने की बात मांग सकते हैं।दूसरी बात यह है कि अगर हम वेदानुसार संतुलित जीवन यापन करें तो भी हम दी्र्घायु हो सकते हैं।चूंकि शरीर का मुख्य भाग जल है ,तब जलतितीक्षा(कुंजल,जलनेति,प्रक्षालन, आदि) के माध्यम से भी वरूणदेव हमें दीर्घायु बना देंगे।


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