Rig Ved 1.1.4
अग्ने यं यज्ञमध्वरं विश्वतः परिभूरसि | स इद्देवेषु गछति |
Translation:-
अग्ने - Hey Agni dev
यं - Demon or Rakchas brings obstacles in between Yagaya
यज्ञमध्वरं - non violence in Yagya
विश्वतः -. All the directions and sides
परिभूरसि - To receive / get
स - That(yagya)
इद्देवेषु - To give satisfaction to all deities in Swarglok(Heaven)
गछति - To get
Explanation:- Agni dev saves the Yagya from Demon's or Asurs who bring Obstacles in between. Also he receive all the Yagya oblations from all the direction and that same oblations Swarg Lok deities get which satisfies the entire swarg lok deities.
#मराठी:-
ऋग वेद 1.1.4
अग्ने यं यज्ञमध्वरं विश्वतः परिभूरसि | स इद्देवेषु गछति |
भाषांतर: -
अग्ने - अग्नी देवा!
यं - असुर यज्ञ यांच्यामध्ये अडथळे आणतात
यज्ञमध्वरं - यज्ञ मध्ये हिंसा नाही
विश्वतः -. सर्व दिशा आणि बाजू
परिभूरसि - प्राप्त करणे
स - ते (यज्ञ)
इद्देवेषु - स्वर्ग मधील सर्व देवतांना समाधान देणे
गछति - प्राप्त होणे
स्पष्टीकरण: - अग्नि देव यातील अडथळे आणणार्या रक्छास किंवा असुर यांच्याकडून यज्ञ वाचवतो. तसेच अग्निदेवाला सर्व दिशा कडून सर्व यज्ञ अर्पण(यज्ञ हविश) प्राप्त होतात आणि त्याच अर्पण सर्व स्वर्गलोकांचे देवांना प्राप्त होतात आणी सर्व देवांना समाधान मिळतात.
#हिंदी:-
ऋग वेद 1.1.4
अग्ने यं यज्ञमध्वरं विश्वतः परिभूरसि | स इद्देवेषु गछति |
अनुवाद: -
अग्ने - हे अग्नि देव!
यं - दानव या असुर यज्ञ के बीच में बाधा उत्पन्न करते है।
यज्ञमध्वरं - अहिंसात्मक यज्ञ।
विश्वतः- सभी दिशाए।
परिभ्यता - प्राप्त करना।
स - वह ।(यज्ञ)
इद्देवेषु - स्वर्ग में सभी देवताओं को तृप्ती और संतुष्टि देना।
गछति - प्राप्त होना।
स्पष्टीकरण: - अग्नि देव यज्ञ को दानव या असुर से बचाते है जो बीच में बाधाएं उत्पन करते है। इसके अलावा आप सभी दिशाओं से सभी यज्ञ की हविश(यज्ञ में चढ़ाई हुई सामग्री) प्राप्त करते हैं और वही स्वर्ग लोक के देवताओं को मिलता है जिससे उन्हें तृप्ती मिलती है।
Comentários