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RV 1.48.9


Rig Ved 1.48.9


Here we call upon Usha Devi. It is said that scriptures alone will not help. We require a proper Acharya or a Guru. When we examine everything we come to the conclusion that that this world is unstable. We should acquaint ourselves with its fallacies. We have to go to Acharya to overcome them. We have to make efforts to live a meaningful life. This will be possible only through Acharya. Then only the darkness of ignorance will be destroyed.

उष॒ आ भा॑हि भा॒नुना॑ चं॒द्रेण॑ दुहितर्दिवः ।

आ॒वहं॑ती॒ भूर्य॒स्मभ्यं॒ सौभ॑गं व्यु॒च्छंती॒ दिवि॑ष्टिषु ॥

Translation

दिवः - From Dhyulok

दुहितः - Daughter.

उषः. - Usha devi.

दिविष्टिषु - Everytime.

भूरि - Sufficient.

सौभगम् - Good fortune.

अस्मभ्यम् - Ours.

आवहन्ति -To complete.

व्युछन्ति - To destroy darkness.

चन्दरेण - Good for everyone.

भानूना - With radiance.

आ भाही - Radiant

Explanation:-Oh Usha devi! The daughter of Sky! May you always shine in the happiness providing radiance, You bring us the heavenly like best fortune as per our wishes. May you destroy the Evils.

Deep meaning:-Here we call upon Usha Devi. It is said that scriptures alone will not help. We require a proper Acharya or a Guru. When we examine everything we come to the conclusion that that this world is unstable. We should acquaint ourselves with its fallacies. We have to go to Acharya to overcome them. We have to make efforts to live a meaningful life. This will be possible only through Acharya. Then only the darkness of ignorance will be destroyed.

#मराठी

ऋग्वेद१.४८.९

उष॒ आ भा॑हि भा॒नुना॑ चं॒द्रेण॑ दुहितर्दिवः ।

आ॒वहं॑ती॒ भूर्य॒स्मभ्यं॒ सौभ॑गं व्यु॒च्छंती॒ दिवि॑ष्टिषु ॥

भाषांतर:-

दिवः - द्युलोकतले.

दुहितः - पुत्री.

उषः. - उषा.

दिविष्टिषु - प्रत्येक वेळी.

भूरि - प्रभूत.

सौभगम् - सौभाग्य.

अस्मभ्यम् - आमचे.

आवहन्ति - संपादन करणे.

व्युछन्ति - अंधकार दूर करणे

चन्दरेण - सर्वांसाठी सुखकारक.

भानूना - प्रकाश बरोबर.

आ भाही - प्रकाशित.

भावार्थ:-हे आकाशाची पुत्री उषादेवी!आपण आनन्द देणारे प्रकाश मध्ये प्रकाशित व्हा।आपल्या इच्छेचे अनुरूप स्वर्गाच्या समान उत्तम सौभाग्य बरोबर आणावेत। दुर्भाग्य रूपी अंधारास दूर करावेत।

गूढार्थ:इथे उषा देवींना प्रार्थना केली जात आहे।म्हटले आहे की मात्र शास्त्र उपयोगी नसतात। बरोबर एक आचार्याची पण आवश्यकता असते।पुढे म्हटले आहे की जेंव्हा आम्ही ह्या कथनाचे परीक्षण करतो तेंव्हा दिसून येते की संसार अस्थिर आहे, म्हणून त्याचे दोषांचे परीक्षण करावे,ह्या दोषांचे निवारण हेतू आश्चर्या कडे जाण्याची तय्यारी ठेवू,आमचे जीवनास परिपूर्ण करण्यास प्रयासाची आवश्यकता आहे। सार्थक प्रयास आचार्य ह्यांच्या माध्यमातून करू तेव्हा जाऊन अज्ञानाचे अंधकार मिटणार।

#हिन्दी

ऋग्वेद १.४८.९

उष॒ आ भा॑हि भा॒नुना॑ चं॒द्रेण॑ दुहितर्दिवः ।

आ॒वहं॑ती॒ भूर्य॒स्मभ्यं॒ सौभ॑गं व्यु॒च्छंती॒ दिवि॑ष्टिषु ॥

अनुवाद

दिवः - द्युलोक की ।

दुहितः - पुत्री ।

उषः. - उषादेवी।

दिविष्टिषु - रोज।

भूरि - बहुत।

सौभगम् - सौभाग्य।

अस्मभ्यम् - हमको।

आवहन्ति - संपादन करना।

व्युछन्ति - अंधेरा दूर करना।

चन्दरेण - सबके लिए सुखकारी।

भानूना - प्रकाश के साथ।

आ भाही - प्रकाशित।

भावार्थ:- हे आकाशपुत्री उषादेवी!आप आनंद देनेवाले प्रकाश से प्रकाशित हों।हमारी इच्छा के अनुरूप स्वर्ग के समान उत्तम सौभाग्य साथ लाएं। और दुर्भाग्य के अंधेरे को दूर करें।

गूढार्थ.यहां उषादेवी से प्रार्थना की जा रही है। कहा गया है कि केवल शास्त्र से काम नहीं चलेगा। आचार्य की भी आवश्यकता लगेगी।आगे कहा गया है कि जब हम इसका परीक्षण कर लें तो पाएंगे कि संसार अस्थिर है। तो इसके दोषों से परिचय कर लें। इन दोषों को दूर करने के लिए हमे आचार्य के पास जाना पड़ेगा। हमारे जीवन को परिपूर्ण करने के लिए प्रयास की आवश्यकता है। उसके लिए सार्थक प्रयास आचार्य के माध्यम से होना चाहिये तब जाकर अज्ञान का अंधकार दूर होगा।

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