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Rv 1.10.1

  • Writer: Anshul P
    Anshul P
  • May 1, 2020
  • 2 min read

Rigved 1.10.1


गायं॑ति त्वा गाय॒त्रिणोऽर्चं॑त्य॒र्कम॒र्किणः॑ ।

ब्र॒ह्माण॑स्त्वा शतक्रत॒ उद्वं॒शमि॑व येमिरे ॥


Translation :-


गायंति - Singing hymns.


त्वा - Your.


गाय॒त्रिणः - One who sings.


ब्र॒ह्माणः - Learned .


शतक्रतो - Oh! multi tasking Indradev.


वंशमि॑व - To take forward or raise upwards.


अर्किण - The priests.


अर्चन्ति - To Pray by using traditional sources.


अर्कम - Of Indradev.


येमिरे - To raise.


उत् - Higher.


त्वा- yours.


Explanation: - This mantra explains the rituals in traditional praying. The devotee sings hymns in praise of Indradev while the priest performs the rituals through mantras. The learned or gyani person raises or carries the glory of Indradev to further heights.


#मराठी


ऋग्वेद १.१०.१


गायं॑ति त्वा गाय॒त्रिणोऽर्चं॑त्य॒र्कम॒र्किणः॑ ।

ब्र॒ह्माण॑स्त्वा शतक्रत॒ उद्वं॒शमि॑व येमिरे ॥


भाषांतर :-


शतक्रतो - हे बहुकर्मी इंद्रदेव!


त्वा - अापला


गायन्ति - स्तुती चे गायन करणे.


गाय॒त्रिणः - स्तुती गाणारे.


ब्र॒ह्माणः - ज्ञानी.


अर्किणः - पुजारी.


अकर्म - इंद्रदेव


अर्चन्ति - शास्त्रोक्त विधिवत पूजा.


वंशमिव - वंशाला पुढे नेत राहणे.


उत्- उन्नत करणे


येमिरे - वर नेणे.


त्वा - आपले.


उत् - ऊंच



भावार्थ :-

ह्या मंत्रात इंद्र पूजन बद्दल वर्णन आहे. यजमान इंद्रदेवांची स्तुती गातात. पुजारी शास्त्रोक्त विधी ने मंत्रोच्चार करून इंद्रदेवांची पूजा करतात. ज्ञानी लोक इंद्रदेवांची कीर्ती उन्नत करून त्यांची यश वर नेतात.



#हिंदी


ऋग्वेद १.१०.१


गायं॑ति त्वा गाय॒त्रिणोऽर्चं॑त्य॒र्कम॒र्किणः॑ ।

ब्र॒ह्माण॑स्त्वा शतक्रत॒ उद्वं॒शमि॑व येमिरे ॥


अनुवाद :-


गायंति - स्तुति का गायन करनेवाले ।


त्वा - स्तुति को गाते हैं।


गाय॒त्रिॆणः - स्तुति को गानेवाले उदगाता ।


ब्र॒ह्माणः - ज्ञानी लोग।


शतक्रतो - हे बहुकर्मी इंद्र!


वंशमि॑व - वंश को बढाना ।


अर्किणः - अर्चन करवाने तथा मंत्रों के जानकार ।


अर्कम - अर्चित देवता( इंद्र)


अर्चन्ति - शास्त्रीय विधि से पूजा करना ।


येमिरे - उठाते हैं।


त्वा - आपको।


उत्- ऊँचा ।



भावार्थ :- इस मंत्र में यह बताया गया है कि गायक इंद्र की स्तुतियाँ गाते हैं तथा पुजारी शास्त्रीय तरीके से मंत्रोंच्चारण द्वारी उनकी पूजा करते हैं। ज्ञानी लोग अपने ज्ञान से वंश को ऊपर उठाते हैं अर्थात् अपने ज्ञान से इंद्र को समुन्नत करते हैं अथवा उनके नाम को ऊंचा उठाते हैं।



https://twitter.com/Anshulspiritual/status/1176509771328950276?s=19

 
 
 

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