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Rv 1.10.11

  • Writer: Anshul P
    Anshul P
  • May 1, 2020
  • 2 min read

Rigved 1.10.10


विद्मा हि त्वा वृषंतमं वाजेषु हवनश्रुतं ।

वृषंतमस्य हूमह ऊतिं सहस्रसातमां ॥


Translation:-


वृषन्तमम् - Oh Indradev! One who showers perfection on devotees in all deeds.


वाजेषु - In the time of war.


हवनश्रुतम् - One who listen to the cries of devotees .


त्वा - Ours.


विदम् - We know..


हि - For this reason. .


सहस्त्रसातमाम् - To bestow wealth and gifts on devotees in different ways.


ऊतिम् - To protect .


वृषन्तमस्य - To shower perfection.


हूमहे - To invocate.


Explanation:-


In this mantra the power and might of Indradev is portrayed. Indradev is very strong and as soon qas he hears the cries of his friends and devotees in the Warfield, He comes to protect them. It is for this reason that the devotees invoke Indradev to give them wealth as well as the power to protect.


#मराठी


ऋग्वेद १.१०.१०


विद्मा हि त्वा वृषंतमं वाजेषु हवनश्रुतं॑ ।

वृषंतमस्य हूमह ऊतिं सहस्रसातमां ॥


भाषांतर:-


वृषन्तमम् - हे सिद्धि ची वर्षा करणारे इन्द्रदेव!


वाजेषु - युद्धाच्या वेळी.


हवनश्रुतम् - आमची हाक ऐकणारे.


त्वा - आपले.


विदम् - आम्हास कळतो.


हि - ह्याचा साठी.


सहस्त्रसातमाम् - विभिन्न तरहेने रक्षण हेतु धन आणी दान देणे.


ऊतिम् - रक्षण करणे.


वृषन्तमस्य - सिद्धीची वर्षा करणारे.


हूमहे - आह्वान करणे.


भावार्थ:-

ह्या मंत्रात इन्द्रांचे बळाचा वर्णन आहे. इन्द्रदेव बलवान आहेत आणी युद्धा मध्ये अापले मित्र आणी भक्तांची ची हाक ऐकून त्यांचे रक्षण करतात. ह्या साठी लोक इन्द्रांना आह्वान करून धन बरोबर त्यांची संरक्षण शक्ति पण मागतात.


#हिन्दी


ऋग्वेद १.१०.१०


विद्मा हि त्वा वृषंतमं वाजेषु हवनश्रुतं॑ ।

वृषंतमस्य हूमह ऊतिं सहस्रसातमां ॥


अनुवाद:-


वृषन्तमम् - हे सिद्धि की वर्षा करनेवाले इन्द्रदेव!


वाजेषु - युद्ध के समय।


हवनश्रुतम् - हमारी पुकार सुननेवाले।


त्वा - आपको।


विदम् - हम जानते हैं।


हि - इसीलिए ।


सहस्त्रसातमाम् - कई तरह से रक्षण हेतु धन और दान देना।


ऊतिम् - रक्षण करना।


वृषन्तमस्य - सिद्धी की वर्षा करनेवाले ।

हूमहे - आह्वान करते हैं।


भावार्थ:-

इस मंत्र में इन्द्र के बल का वर्णन है। इन्द्रदेव बलवान हैं और युद्ध में अपने मित्रों और भक्तों की पुकार सुनकर उनकी रक्षा करते हैं। इसीलिए लोग इन्द्र से धन के साथ उनसे संरक्षण शक्ति भी माँगते हैं।




https://twitter.com/Anshulspiritual/status/1185602370031370240?s=19

 
 
 

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