Rig Ved 1.10.7
सुविवृतं सुनिरजमिंद्र त्वादातमिद्यशः ।
गवामप व्रजं वृधि कृणुष्व राधो अद्रिवः ॥
Translation:-
सु विवृतं - Expands.
सुनिरजम् - To get it easily.
इन्द्र - Oh! Indradev.
यशः इत् - Wealth in the form of fame.
त्वादातम् - Given by you.
गवाम्- In the form of cows.
व्रजम् - In the fences.
अप वृधि - Open it for us.
कृणुष्व - Provide us.
राधः - Of wealth.
अद्रिवः - The one who dwells in mountain and caves.
Explanation:-In this mantra, the sages tell Indradev that the wealth in the form of fame bestowed on them by Indradev flourishes and can be attained easily.They want Indradev to provide them with a lot of wealth in the same pace, as that of a cow who runs out very fast after being released from the fence. Similarly their wealth also should increase fast in the same pace of the running cow .It is this wealth that will make them more wealthy and happy.
#मराठी
१.१०.७
सुविवृतं सुनिरजमिंद्र त्वादातमिद्यशः ।
गवामप व्रजं वृधि कृणुष्व राधो अद्रिवः ॥
भाषांतर :-
सुविवृतम् - पसरलेला.
इन्द्र - हे इन्द्र!
सुनिरजम् - सहजतेने प्राप्त.
त्वादातम् - आपल्या द्वारा प्राप्त करून दिल्ली.
गवाम् - गाईं चे.
व्रजं - गोठ्यात.
अप वृधि - आमच्या साठी उघाड़ने.
कृणुष्व - प्रदान करा.
राधः - धनाचा.
यश इत् - यश रूपी धन.
अद्रिवः - हे डोंगर आणी गुफ्यात राहणारे इन्द्र!
भावार्थ:- ह्या मंत्रात ऋषि गण इंद्रदेवांना संबोधन करून आपले मनोगत सांगतात.ते म्हणतात की हे इंद्रदेव! आपण प्रदान केलेला धन सर्वत्र पसरतो आणी तो सहजतेने प्राप्त होतो. म्हणून आपण आम्हाला अस धन प्रदान करा,ज्या प्रमाणे बांधलेली गाई सुटून वेगाने धावते,तसे आमचे धन त्याच वेगाने वाढले पाहिजे, आणी आम्हास अन्य संपत्ति देउन समृद्ध करा.
#हिंदी
१.१०.७
सुविवृतं सुनिरजमिंद्र त्वादातमिद्यशः ।
गवामप व्रजं वृधि कृणुष्व राधो अद्रिवः ॥
अनुवाद :-
सुविवृतम् - फैलनेवाला।
इन्द्र - हे इन्द्र!
यशः इत् - यश रूपी धन।
सुनिरजम् - आसानी से प्राप्त ।
त्वादातम् - आप के द्वारा प्रदान किया गया ।
गवाम् - गायों के।
व्रजं - बाडे को।
अप वृधि - हमारे लिए खोल दीजिए।
कृणुष्व - प्रदान करें।
राधः - धन का।
अद्रिवः - हे पर्वत और कंदराओं में रहने वाले इन्द्र!
भावार्थ:- इस मंत्र में इन्द्रदेव को संबोधित करते हुए ऋषि गण कहते हैं कि हे इंद्रदेव! आपके द्वारा दिया गया धन फैलने वाला और सहज प्राप्त होनेवाला है। अतः आप हमें ऎसा धन प्रदान करें जैसे कोई गाय तेजी से बाडे से निकल भागती हो उसी तरह धन भी अति तीव्रता से फैले।तथा अन्य संपत्तियों से संपन्न और धनवान बनायें।
https://twitter.com/Anshulspiritual/status/1183775327203549186?s=19
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