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Rv 1.13.3

  • Writer: Anshul P
    Anshul P
  • May 1, 2020
  • 1 min read

Rigved 1.13.3


नराशंसमिह प्रियमस्मिन्यज्ञ उप ह्वये ।

मधुजिह्वं हविष्कृतं ॥


Translation :-


नराशंसम् - Agnidev named Narashansa.


प्रियम - Dear.


अस्मिन् - This.


उप ह्वये - To call.


मधुजिह्वम् - Eloquent and sweet words.


हविष्कृतम् - Carrier of offerings.


इह - Here.


यज्ञे - In this yagya.


Explanation :-

This mantra is addressed to Agni dev named Narashansa, Who is eloquent (sweet words), Favourite, Dear to all.Yajmans request Agnidev to come as the carrier of offerings and to carry the yagya offerings to other deities.



#मराठी


१.१३.३ ऋग्वेद


नराशंसमिह प्रियमस्मिन्यज्ञ उप ह्वये ।

मधुजिह्वं हविष्कृतं ॥


भाषांतर :-


नराशंसम् - नराशंस नावाचे अग्निदेव.


प्रियम् - प्रिय.


अस्मिनन् - ह्या.


उप ह्वये - आवाहन करणे.


मधुजिह्मम् - मृदु भाषी, -


हविष्कृतम् - हवि चे निष्पादक.


इह - यज्ञात.


यज्ञे - इकडे.


भावार्थ :-

ह्या मंत्रात सर्वांचे प्रिय आणी मृदु वाणी बोलणारे नराशंस नावांचे अग्निदेवांना संबोधित करून त्यांचे आवाहन केले आहे.त्याना ह्या यज्ञात येण्याचे निवेदन करून म्हटलं आहे की आपण यज्ञाच्या हवि ग्रहण करून त्या देवतां कडे नेउन जा.



#हिंदी


ऋग्वेद १.१३.३


नराशंसमिह प्रियमस्मिन्यज्ञ उप ह्वये ।

मधुजिह्वं हविष्कृतं ॥


अनुवाद :-


नराशंसम् - नराशंस नामक अग्निदेव ।


प्रियम - प्रिय।


अस्मिन् - इस।


उप ह्वये - आवाहन करना।


मधुजिहम् - मृदु भाषी।


हविष्कृतम् - हवि के निष्पादक।


यज्ञे - यज्ञ में।


इह - यहां।


भावार्थ :-

इस मंत्र में नराशंस नाम के अग्निदेव को संबोधित किया गया है क्योंकि ये सबके प्रिय हैं ।यजमान उनका आवाहन करते हुए उन्हें यज्ञ में आने का निवेदन करते हुए कहते हैं कि हे मृदु भाषी और प्रिय अग्निदेव ,आप इस यज्ञ निष्पादक हवि को ग्रहण करें और उसे देवताओं तक पहुंचाएं।




https://twitter.com/Anshulspiritual/status/1202246120417693696?s=19

 
 
 

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