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Rv 1.14.4

Rig Ved 1.14.4


प्र वो भ्रियंत इंदवो मत्सरा मादयिष्णवः ।

द्रप्सा मध्वश्चमूषदः ॥


Translation:-


वः - For you.


प्र भ्रियंते - Being prepared .


इंदवः - This Somras.


मत्सराः - Provides Satisfaction.


मादयिष्णवः - Provides happiness.


द्रप्साः - Drops.


मध्वः - Sweet.


चमूषदः - Kept in the cup named Chamash.


Explanation: This mantra explains the superb qualities of Somras stating that this is being extracted and then will be grinded for the deities. This somras will provide happiness and excitement to the deities. This sweet extract is kept in a cup named Chamash.


Hidden meaning:- It is said that whatever Prasad is prepared and offered to god will keep him happy and blissful, Also Vice versa.


#मराठी


ऋग्वेद १.१४.४


प्र वो भ्रियंत इंदवो मत्सरा मादयिष्णवः ।

द्रप्सा मध्वश्चमूषदः ॥


भाषांतर :-


वः - आपल्या साठी.


प्र भ्रियंते - संपादित केला जातो.


इंदवः - हा सोमरस.


मत्सराः - तृप्ति प्रदान करणारा.


मादयिष्णवः - आनंदा साठी.


द्रप्साः - थेंब.


मध्वः - मधुर.


चमूषदः - चमष नावाचा पात्र.


भावार्थ : ह्या मंत्रात सोमरसाचे गुणांचे वर्णन केलेले असून पुढे म्हटलं आहे कि हा सोमरस देवांचा साठी ठेचून आणि रस काढुन घेतले आहे.ह्याचे सेवनाने देवांचा उत्साह आणि आनंदात वाढ येते.हे मधुर आणि तृप्त करणारा सोमरसाला चमष नावाचे पात्रात ठेवलेला आहे.



#हिंदी



ऋग्वेद १.१४.४


प्र वो भ्रियंत इंदवो मत्सरा मादयिष्णवः ।

द्रप्सा मध्वश्चमूषदः ॥


अनुवाद :-


वः - आपके के लिए ।


प्र भ्रियंते - संपादित किया जा रहा है।


इंदवः - आपके के लिए यह सोमरस।


मत्सराः - तृप्ति प्रदान करनेवाला ।


मादयिष्णवः - आनंद के लिए।


द्रप्साः - टपकने वाला (बिंदु रूप)।


मध्वः - मधुर ।


चमूषदः - चमष नामक पात्र में रखा हुआ।


भावार्थ :- इस मंत्र में मुख्य रूप से सोमरस के गुणों का वर्णन करते हुए कहा गया है कि यह कूट पीसकर देवों के लिए तैयार किया गया है। यह रस देवताओं का आनंद और उत्साह बढाता है। इसीलिए सोमरस lके मधुर रस को चमष नामक पात्र में भरकर रख दिया गया है।




https://twitter.com/Anshulspiritual/status/1210585956824363009?s=19

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