Rig Ved 1.14.9
आकीं सूर्यस्य रोचनाद्विश्चान्देवाँ उषर्बुधः ।
विप्रो होतेह वक्षति ॥
Translation:-
सूर्य॑स्य - Of Sun.
रोच॒नात् - Through Sunrays.
विश्चा॑न् - All.
दे॒वान् - Of deities.
उषर्बुधः - Lighting the sacred fire for Yagya.
विप्रः - Wise.
होताः - The one who conducts Yagya.
इह - Here.
आकीं वक्षति - Bring here.
Explanation:-This mantra portrays Agni as a wise person, who is awake at dawn to light the sacred fire for Yagya ,since he is very radiant and brilliant. He calls all the other deities through the medium of sun rays.
Here Agni is portrayed as the performer of Yagya.
Deep meaning:- God showers its blessings on us through Sun Rays. Also importance is given to getting up in the early morning and perform Pooja.
#मराठी
ऋग्वेद १.१४.९
आकीं सूर्यस्य रोचनाद्विश्चान्देवाँ उषर्बुधः ।
विप्रो होतेह वक्षति ॥
भाषांतर:-
आकीं वक्षति- आमच्या कडे नेणे.
सूर्य॑स्य - सूर्याचे.
रोच॒नात् - किरणांचे.
विश्चा॑न् - सर्व.
दे॒वान् - देवांना.
उषर्बुधः - सकाळी जाग्रत किंवा प्रज्जवलित होणारी अग्नि.
विप्रो - ज्ञानी.
इह - इथे.
भावार्थ :- ह्या मंत्राचा अभिप्रेत असे आहे की हे अग्निदेव ज्ञानी आणि तेजस्वी आहेत कारण ते पहाटे उषाकाळातल्या यज्ञास जाग्रततेने प्रज्जवलित करीत आहेत.ही अग्नि सूर्याची किरणांच्या माध्यमे सर्व देवतांना बोलवते.
ह्या मंत्रात अग्निला यज्ञ निष्पादकाच्या रूपात दर्शवलिले आहे.
#हिंदी
ऋग्वेद १.१४.९
आकीं सूर्यस्य रोचनाद्विश्चान्देवाँ उषर्बुधः ।
विप्रो होतेह वक्षति ॥
अनुवाद :-
आकीं वक्षति- हमारे पास लाएं।
सूर्य॑स्य - सूर्य की।
रोच॒नात् - किरणों के माध्यम से।
विश्चा॑न्- सभी।
दे॒वान् - देवों को।
उषर्बुधः - प्रातः काल जाग्रत या प्रज्जवलित होना।
विप्रः - ज्ञानी।
होता - यज्ञकर्म को करनेवाला।
इह - इस।
भावार्थ :- इस मंत्र का अभिप्राय यह है कि यह अग्नि ज्ञानी है और उषा काल में जागकर यज्ञ करना या प्रज्जवलित होना,यह तेजस्वी होने का लक्षण है। अग्निदेव सूर्यकिरणों के माध्यम से सभी देवों को बुलाकर लाते हैं।
यहां अग्नि को होता के रूप में दिखाया गया है।
https://twitter.com/Anshulspiritual/status/1214211733163786242?s=19
Comments