How God Protects us from Violent and cruel people according to Rig Ved 1.18.3
मा नः शंसो अर॑रुषो धू॒र्तिः प्रणङ्मर्त्य॑स्य ।
रक्षा णो ब्रह्मणस्पते
Translation:-
मा प्रणक - Not reachable.
नः - Ours.
शंसः - Voice.
अर॑रुषः - Face of a enemy.
धू॒र्तिः - Violent.
मत्य॑स्य - Of humans.
रक्ष - Protect.
नः - Ours.
ब्रह्मणस्पते - Oh Brahaspati dev!
Explanation:- This mantra is addressed to Brahaspati dev.It says that Yajmans request Brahaspati dev to protect them from people with Violent temperament and foul tongue. These people should not reach to Yajmans. Therefore protect Yajmans from these hurdles.
Deep meaning:- God protects us from Violent and cruel people. Violence is not entertained by god
#मराठी
ऋग्वेद १.१८.३
मा नः शंसो अर॑रुषो धू॒र्तिः प्रणङ्मर्त्य॑स्य ।
रक्षा णो ब्रह्मणस्पते
भाषांतर :-
नः - आमचे.
शंसः - वाणी.
अर॑रुषः - शत्रु स्वरूप.
धू॒र्तिः - हिंसक.
आ प्रणक् - न पोचणे.
मर्त्य॑स्य - मनष्याची.
रक्ष - रक्षा करणे.
नः - आमची.
ब्रह्मणस्पते - हे ब्रहणस्पते!
भावार्थ :- ह्या मंत्रात ब्रहस्पतिदेवांना संबोधन करून म्हटले आहे की हिंसक बुद्धि अाणि विकृत वाणी ने प्रेरित शत्रुंतून यजमानांची सुरक्षेची प्रार्थना केली आहे.यजमानांचे रक्षणकरून त्यांची नाव पार पाडावी.
#हिंदी
ऋग्वेद १.१८.३
मा नः शंसो अर॑रुषो धू॒र्तिः प्रणङ्मर्त्य॑स्य ।
रक्षा णो ब्रह्मणस्पते
अनुवाद :-
नः - हमारे।
शंसः - वाणी।
अर॑रुषः - शत्रु स्वरूप।
धू॒र्तिः - हिंसक।
आ प्रणक् - न पहुंचे।
मर्त्य॑स्य - मनुष्य की।
रक्ष - रक्षा कीजिए।
नः - हमारी।
ब्रह्मणस्पते - हे ब्रहणस्पते!
भावार्थ :- इस मंत्र में ब्रहस्पतिदेव को संबोधित करते हुए कहा गया है कि हिंसक और बुरी वाणी की विकृत बुद्धि के प्रभाव से सुरक्षित रखने की प्रार्थना की गई है।यजमानों की रक्षा करके उनकी नैया पार लगाइए।
https://twitter.com/Anshulspiritual/status/1237057420372766720?s=19
Comments