Imporatance of Yagya and its advantages according to Rig Ved 1.18.5
त्वं तं ब्रह्मणस्पते सोम इंद्र॑श्च॒ मर्त्यं॑ ।
दक्षि॑णा पा॒त्वंह॑सः ॥
Translation:-
त्वम् - You.
ब्रह्मणस्पते - Brahaspati dev.
सोमः - Somdev.
इंद्रः - Indradev.
च - And.
तं मर्त्यम् - For that person.
दक्षि॑णा - Deities from south.
पा॒तु - Security.
अंह॑सः - From sins.
Explanation:- This mantra is addressed to Brahaspati dev,Somdev, Indradev and Dakshina.It requests the deities to provide safety from sins to all the people involved in the Yagya.
Deep meaning:- Importance is given to Yagya, It protects us from sins.
#मराठी
ऋग्वेद १.१८.५
त्वं तं ब्रह्मणस्पते सोम इंद्र॑श्च॒ मर्त्यं॑ ।
दक्षि॑णा पा॒त्वंह॑सः ॥
भाषांतर :-
त्वम् - आपण.
ब्रह्मणस्पते - हे ब्रहस्पतिदेव!
सोमः - सोमदेेव.
इंद्रः - इंद्रदेव.
च - आणि.
तं मर्त्यम् - त्या मनुष्याचा.
दक्षि॑णा - दक्षिणात्य देव.
पा॒तु - रक्षण करणे.
अंह॑सः - पाप पासून.
भावार्थ :-ह्या मंत्रा मध्ये ब्रहस्पतिदेव, इंद्र,सोम आणि दक्षिणा नावाचे देवतांना प्रार्थना केली अाहे की त्याने यज्ञानुष्ठान करणारे मनुष्यांची पाप पासून रक्षण करावे.
#हिंदी
ऋग्वेद १.१८.५
त्वं तं ब्रह्मणस्पते सोम इंद्र॑श्च॒ मर्त्यं॑ ।
दक्षि॑णा पा॒त्वंह॑सः ॥
अनुवाद :-
त्वम् - आप।
च - और।
ब्रह्मणस्पते - ब्रहस्पतिदेव।
सोमः - सोमदेव।
इंद्रः - इंद्रदेव।
तं मर्त्यम् - उस मनुष्य की।
दक्षि॑णा - दक्षिणात्य देवता।
पा॒तु - रक्षा कीजिए।
अंह॑सः - पाप से।
भावार्थ :-इस मंत्र में ब्रहस्पतिदेव, सोम,इंद्र और दक्षिणा नामक देवताओं से प्रार्थना की गई है कि वे सभी देव यज्ञानुष्ठान करनेवाले मनुष्य की पाप से रक्षा करें।
https://twitter.com/Anshulspiritual/status/1238827929422794755?s=19
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