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Writer's pictureAnshul P

Rv 1.19.1

All the dieties should be invited in Yagyashala to make the Yagya successful according to Rig Ved 1.19.1


प्रति॒ त्यं चारु॑मध्व॒रं गो॑पी॒थाय॒ प्र हू॑यसे ।

म॒रुद्भि॑रग्न आ ग॑हि ॥


Translation:-


त्वम् - You.


चारु॑मध्व॒रम् - Excellent Yagya.


गो॑पी॒थाय॒ - To drink Somras.


म॒रुदि्भ - Along with Marudgans.


अग्ने - Oh Agnidev!


आ हूयसे - Made offerings for you.


आ ग॑हि - Come


त्यम् - In different ways.


Explanation:- In this mantra the Yajmans invite Agnidev along with Marudgans for this Sacred Yagya ,Since he also is being offered the Yagya offerings. He, along with other deities is also requested to drink Somras.



Deep meaning:- This is basically Karma Kaand. Although God is a single entity, But has numerous elements in the form of deities. Therefore all these deities are invited in this Yagya to make it a success.


#मराठी


ऋग्वेद १.२९.१


प्रति॒ त्यं चारु॑मध्व॒रं गो॑पी॒थाय॒ प्र हू॑यसे ।

म॒रुद्भि॑रग्न आ ग॑हि ॥


भाषांतर :-


त्वम् - आपण.


चारु॑मध्व॒रम् - उत्तम यज्ञात.


गो॑पी॒थाय॒ - सोमपानासाठी.


प्र हू॑यसे - आहूत करणे


म॒रुदि्भ - मरूतदेवां बरोबर.


अग्ने - हे अग्ने!


आ ग॑हि - यावे.


त्यम् - त्या प्रकारे.


भावार्थ :-ह्या मंत्रा मध्ये यज्ञानुष्ठान करणारे यजमान लोकाने अग्निदेवांना प्रार्थना केली आहे की त्याना मरूदगणा बरोबर हे उत्तम यज्ञानुष्ठाला आहूत केलेले आहेत म्हणून त्याने सोमपाना साठी यावे.




#हिंदी



ऋग्वेद १.१९.१


प्रति॒ त्यं चारु॑मध्व॒रं गो॑पी॒थाय॒ प्र हू॑यसे ।

म॒रुद्भि॑रग्न आ ग॑हि ॥


अनुवाद :-


त्वम् - आप।


चारु॑मध्व॒रम् - उत्तम यज्ञ में।


गो॑पी॒थाय॒ - सोमपान के लिए।


प्र हू॑यसे - आहूत किये जाना।


म॒रुदि्भ - मरूतदेवों के साथ।


अग्ने - हे अग्ने!


आ ग॑हि - आइए।


त्यम् - उस प्रकार के।

भावार्थ :- इस मंत्र में कहा गया है कि यज्ञानुष्ठान करनेवाले यजमान लोगों ने अग्निदेव से प्रार्थना की है कि वे मरूदगणों के साथ सोमपान के लिए उनके द्वारा अनुष्ठित उत्तम यज्ञ में आएं क्योंकि वे भी अन्य देवताओं के साथ इस यज्ञ में आहूत हैं।



https://twitter.com/Anshulspiritual/status/1241721133310902272?s=19

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