You can create four things out of one with the blessings of God as he always encourages creativity according to Rig Ved 1.20.6
उ॒त त्यं च॑म॒सं नवं॒ त्वष्टु॑र्दे॒वस्य॒ निष्कृ॑तं ।
अक॑र्त च॒तुरः॒ पुनः॑ ॥
Translation:-
उ॒त - Also.
त्यम् - That.
च॑म॒सम् - A vessel named Chamas. (A type of wooden spoon used during Yagya and for Som drinking) .
नवम् - New.
त्वष्टुः र्दे॒वस्य॒ - Of Twaashta dev.
निष्कृ॑तम् - Made.
अक॑र्त - To make.
च॒तुरः॒ - Four types.
पुनः॑ - Again.
Explanation:- As per Rishi Saayan, Ribhudev is the disciple of Twaashta dev. He has the ability to create new things. Ribhudev once made four Chamas(A type of wooden spoon used during Yagya and for Som drinking) out of a single Chamas which was originally created by Twaashta dev.He was well versed in creative activities.
Deep meaning: You can create four things out of one with the blessings of God as he always encourages creativity.
#मराठी
ऋग्वेद १.२०.६
उ॒त त्यं च॑म॒सं नवं॒ त्वष्टु॑र्दे॒वस्य॒ निष्कृ॑तं ।
अक॑र्त च॒तुरः॒ पुनः॑ ॥
भाषांतर :-
उ॒त - ते पण.
त्यम् - त्या.
च॑म॒सम् - चमस ला.(सोम प्राशन आणि हवि ला टाकणारा लाकूडचा पात्र).
नवम् - नवीन.
त्वष्टुः र्दे॒वस्य॒ - त्वष्टा देवाची.
निष्कृ॑तम् - बनवून देणे.
अक॑र्त - बनवून दिले.
च॒तुरः॒ - चार प्रकारचे.
पुनः॑ - परत.
भावार्थ :-सायण ऋषिच्या अनुसार ऋभुदेव त्वष्टा देव चे शिष्य होते,म्हणून ते निर्मिती कलेत पारंगत होते.एकदा त्यानी त्वष्टा देवानी निर्मित केलेला आणि हविश ठेवणारे चमस पात्राचे चार पात्रे बनवून दिले.ते एक कौशल्य प्रधान कारागीर पण आहेत.
#हिंदी
ऋग्वेद १.२०.६
उ॒त त्यं च॑म॒सं नवं॒ त्वष्टु॑र्दे॒वस्य॒ निष्कृ॑तं ।
अक॑र्त च॒तुरः॒ पुनः॑ ॥
अनुवाद :-
उ॒त - भी।
त्यम् - उस।
च॑म॒सम् - चमस को।(सोमपान और हवि डालने वाला काठ का पात्र).
नवम् - नया।
त्वष्टुः र्दे॒वस्य॒ - त्वष्टा देव की।
निष्कृ॑तम् - बनाए हुए।
अक॑र्त - बना दिया।
च॒तुरः॒ - चार प्रकार के।
पुनः॑ - फिर से।
भावार्थ :-सायण ऋषि के अनुसार ऋभदेव त्वष्टा देव के शिष्य थे तथा निर्माण कला में पारंगत थे। इन्होने त्वष्टा देव के बनाए हुए हवि रखने वाले एक चमस पात्र से चार पात्र और बनाए। यह उनके कुशल कारीगर होने का प्रमाण है।
https://twitter.com/Anshulspiritual/status/1248272586166894594?s=19
Comments