All Deities should be invited in each and every Yagya you perform according to Rig Ved 1.21.1
Translation:
इ॒ह - This.
इंद्रा॒ग्नी - Indra and Agnidev.
उप॑ ह्वये॒ - To call.
तयो॒ इत् - Theirs.
स्तोमम् - To sing hymns in praise.
उश्मसि - Desire.
ता - Both.
सोमम् - To drink Somras.
सोम॒पात॑मा - One's who drink Somras.
Explanation:-This mantra is addressed to Indradev and Agnidev. It says that both are praise worthy Deities and they also desire Somras.Therefore the devotees or Yajmans invite Indra and Agni for each and every Yagya.
Deep meaning: All Deities should be invited in each and every Yagya.
#मराठी
ऋग्वेद १.२१.१
भाषांतर
इ॒ह - हा.
इंद्रा॒ग्नी - इंद्र आणि अग्निदेव.
उप॑ ह्वये॒ - बोलवने.
तयोः इत - त्यांचे.
स्तोमम् -स्तुति करणे.
उश्मसि - करण्याची इच्छा.
ता - ते दोघे.
सोमम् - सोमप्राशन.
सोम॒पात॑मा - सोमप्राशन करणारे.
भावार्थ :- ह्या मंत्राचा अभिप्रेत आहे की इंद्र आणि अग्निदेव दोघे ही स्तुति योग्य आहेत आणि सोमप्राशन चे अभिलाषी आहेत. म्हणून यजमान त्यांना प्रत्येक यज्ञाला बोलवत असतात.
#हिंदी
ऋग्वेद १.२१.१
अनुवाद:
इ॒ह - इस।
इंद्रा॒ग्नी - इंद्र और अग्निदेव।
उप॑ ह्वये॒ - बुलाना।
तयोः इत् - उनकी ही।
स्तोमम् - स्तुति करना।
उश्मसि - करने की इच्छा।
ता - वे दोनो।
सोमम् - सोमपान।
सोम॒पात॑मा - सोमपान करनेवाले।
भावार्थ :-इस मंत्र का अभिप्राय यह है कि इंद्र और अग्निदेव दोनो ही स्तुति के योग्य हैं और सोमपान करने के अभिलाषी हैं। इसी लिए यजमान उन्हें प्रत्येक यज्ञ में बुलाते हैं।
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