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Writer's pictureAnshul P

Rv 1.21.2


In the Pooja rituals adorning God with Ornaments is important. Also importance of Gayatri chhandh(Form of singing) is mentioned here according to Rig Ved 1.21.2


ता य॒ज्ञेषु॒ प्र शं॑सतेंद्रा॒ग्नी शुं॑भता नरः ।

ता गा॑य॒त्रेषु॑ गायत ॥


Translation:-


ता - They both.


य॒ज्ञेषु॒ - In Yagyakarma.


प्र शं॑सत - To Praise.


इंद्रा॒ग्नी - Indradev and Agnidev.


शुं॑भत - To adorn or decorate.


नरः - Men!(Yajman).


ता - Their Fame.


गा॑य॒त्रेषु॑ - In Gayatri form of singing.


गायत - To sing.


Explanation:-This mantra is addressed to Yajmans.It says that Indradev and Agnidev both the Deities should be called in the Yagya and should be Praised. They should also be adorned with variety of ornaments and their fame should be sung in Gayatri form of singing.


Deep meaning: In the Pooja rituals adorning God with ornamentsI is important so also importance of Gayatri chhandh(Form of singing) is mentioned here.


#मराठी


ऋग्वेद १.२१.२


ता य॒ज्ञेषु॒ प्र शं॑सतेंद्रा॒ग्नी शुं॑भता नरः ।

ता गा॑य॒त्रेषु॑ गायत ॥


भाषांतर :-


ता - ते दोघे.


य॒ज्ञेषु॒ - यज्ञकर्मात.


प्र शं॑सत - प्रशंसा करणे.


इंद्रा॒ग्नी - इन्द्रदेव आणि अग्निदेव.


शुं॑भत - सुशोभित करणे.


नरः - हे मनुष्य! (यजमान) .


ता - त्यांचे यशाचे.


गा॑य॒त्रेषु॑ - गायत्री छंदात।


गायत - गायन करणे.


भावार्थ :-ह्या मंत्रात यजमानाला संबोधून म्हणाले आहे की इन्द्रदेव आणि अग्निदेव, हे दोघे देवांना यज्ञात बोलवून त्यांची प्रशंसा केली पाहिजे,त्यांना विविध अलंकाराने विभूषित केले पाहिजे आणि त्यांची यशोगाथा गायत्री छंदात म्हणाली पाहिजे.



#हिंदी



ऋग्वेद १.२१.२


ता य॒ज्ञेषु॒ प्र शं॑सतेंद्रा॒ग्नी शुं॑भता नरः ।

ता गा॑य॒त्रेषु॑ गायत ॥


अनुवाद :-


ता - उन दोनों।


य॒ज्ञेषु॒ - यज्ञ कर्मों में।


प्र शं॑सत - प्रशंसा करना।


इंद्रा॒ग्नी - इंद्र और अग्निदेव।


शुं॑भत - सुशोभित करना।


नरः - हे मनुष्यों! (यजमान) .


ता - उनके यश की।


गा॑य॒त्रेषु॑ - गायत्री छंद में।


गायत - गायन करना।


भावार्थ :-इस मंत्र में यजमानो को संबोधित करते हुए कहा गया है कि इन्द्रदेव तथा अग्निदेव, इन दोनो देवों को यज्ञ में बुलाकर उनकी प्रशंसा करनी चाहिए ,उन्हें विविध अलंकारों से विभूषित करना चाहिए और उनके यश को गायत्री छंद में गाना चाहिए।




https://twitter.com/Anshulspiritual/status/1249702058824998913?s=19

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