Woman are important everywhere be it Earth or Dhyulok or any other lok according to Rig Ved 1.22.13
म॒ही द्यौः पृ॑थि॒वी च॑ न इ॒मं य॒ज्ञं मि॑मिक्षतां ।
पि॒पृ॒तां नो॒ भरी॑मभिः ॥
Translation:-
म॒ही - Great.
द्यौः - Deities from Dhyulok.
पृ॑थि॒वो - Deities from Earth.
च॑ - And.
नः - Ours.
इ॒मम् - Here.
य॒ज्ञम् - In this Yagya.
मि॑मिक्षताम् - To nourish.
पि॒पृ॒ताम् - To complete.
नः - Ours.
भरी॑मभिः - well being and nourishment.
Explanation:-This mantra says that when the wives of Deities come for Yagya then the Deities from Earth and Dhyulok gather substantial superior rasa's or juices and prepare useful things for the nourishment and well being of mankind.
Deep meaning:- Woman are important everywhere be it Earth or Dhyulok or any other lok.
#मराठी
ऋग्वेद १.२२.१३
म॒ही द्यौः पृ॑थि॒वी च॑ न इ॒मं य॒ज्ञं मि॑मिक्षतां ।
पि॒पृ॒तां नो॒ भरी॑मभिः ॥
भाषांतर :-
म॒ही - महान.
द्यौः - द्युलोक देवता.
पृ॑थि॒वो - भूमि देवता.
च॑ - आणि.
नः - आमचे.
इ॒मम् - इकडे.
य॒ज्ञम् - यज्ञात.
मि॑मिक्षताम् - पोषण करणे.
पि॒पृ॒ताम् - पूर्ण करणे.
नः - आम्ही.
भरी॑मभिः - पोषण मध्ये.
भावार्थ :-ह्या मंत्राचा अभिप्रेत हे आहे की ज्या यज्ञात देव पत्नी येतात,तिथे द्युलोक चे देवता आणि भूमि देवता आपले सारभूत उत्तम रस सिंचन करतात आणि प्राण्यांना उपयुक्त पौष्टिक पदार्थ प्रदान करतात.
#हिंदी
ऋग्वेद १.२२.१३
म॒ही द्यौः पृ॑थि॒वी च॑ न इ॒मं य॒ज्ञं मि॑मिक्षतां ।
पि॒पृ॒तां नो॒ भरी॑मभिः ॥
अनुवाद :-
म॒ही - महान।
द्यौः - द्युलोक देवता।
पृ॑थि॒वो - भूमि देवता।
च॑ - और।
नः - हमारे।
इ॒मम् - इस।
य॒ज्ञम् - यज्ञ को।
मि॑मिक्षताम् - पोषित करना।
पि॒पृ॒ताम् - पूरा करना।
नः - हमें।
भरी॑मभिः - भरण पोषण के द्वारा।
भावार्थ :-मंत्र का अभिप्राय यह है कि जिस यज्ञ में देव पत्नियाँ आती हैं,वहां द्युलोक के देवता और भूमि देवता अपने सारभूत उत्तम रस सींचते हैं और प्राणियों के लिए उपयुक्त पौष्टिक पदार्थ प्रदान करते हैं।
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