Here importance of women is mentioned. No Yagya or pooja is complete without wife's presence according to Rig Ved 1.22.9
अग्ने॒ पत्नी॑रि॒हा व॑ह दे॒वाना॑मुश॒तीरुप॑ ।
त्वष्टा॑रं॒ सोम॑पीतये ॥
Translation:-
अग्ने॒ - Oh Agnidev!
पत्नीः - Wives of Deities (like Indrani etc).
इह - Here.
आ व॑ह - Bring them here.
दे॒वाना॑म् - With Deities.
उश॒तीः - Desiring.
उप॑ - Near.
त्वष्टा॑रम् - For Twashta Dev.
सोम॑पीतये - For drinking Somras.
Explanation:- This mantra is addressed to Agnidev. It says"Oh Agnidev! Those who desire to come near Somyagya like Twashta Dev and wives of Deities, You please bring them in this Yagya to drink Somras". This means that Twashta Dev and wives of the Deities should be welcomed by offering them Somras.
Deep meaning:- Here importance of women is mentioned. No Yagya or pooja is complete without wife's presence.
#मराठी
ऋग्वेद १.२२.९
अग्ने॒ पत्नी॑रि॒हा व॑ह दे॒वाना॑मुश॒तीरुप॑ ।
त्वष्टा॑रं॒ सोम॑पीतये ॥
भाषांतर :-
अग्ने॒ - हे अग्ने!
पत्नीः - स्त्रीया(इन्द्राणी इत्यादि) .
इह - इथे.
आ व॑ह - घेउन येणे.
दे॒वाना॑म् - देवां बरोबर.
उश॒तीः - इच्छा ठेवणारे.
उप॑ - समीप.
त्वष्टा॑रम् - त्वष्टा देवाला.
सोम॑पीतये - सोम प्राशन करणे.
भावार्थ :-ह्या मंत्रा मध्ये अग्निदेवाना संबोधन करून म्हटले आहे की " हे अग्ने!आपण ह्या सोमयज्ञाचे समीप येण्याची इच्छा ठेवणारे त्वष्टा देव आणि देव पत्नींना, ह्या यज्ञात सोम प्राशन करण्या हेतु अवश्य आणावे". अभिप्रेत हे की त्वष्टा देव आणि देव पत्नींचे स्वागत सोमरसाने केले पाहिजे.
#हिंदी
ऋग्वेद १.२२९
अग्ने॒ पत्नी॑रि॒हा व॑ह दे॒वाना॑मुश॒तीरुप॑ ।
त्वष्टा॑रं॒ सोम॑पीतये ॥
अनुवाद :-
अग्ने॒ - हे अग्ने!
पत्नीः - स्त्रीयों को(इन्द्राणी आदि)।
इह - इधर।
आ व॑ह - ले आएं।
दे॒वाना॑म् - देवों के साथ।
उश॒तीः - इच्छा रखनेवाली।
उप॑ - समीप।
त्वष्टा॑रम् - त्वष्टा देव को।
सोम॑पीतये - सोमपान के लिए।
भावार्थ :-यह मंत्र अग्निदेव को संबोधित किया गया है। कहा गया है कि" हे अग्ने! आप इस सोमयज्ञ के समीप आने की इच्छा रखनेवाले त्वष्टा देव और देव पत्नियों को इस यज्ञ मे सोम का पान करने हेतु अवश्य लाए"। अर्थात त्वष्टा देव और देव पत्नियों का स्वागत सोमरस से करना चाहिए।
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