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Writer's pictureAnshul P

RV 1.23.10

Importance of Mother Earth is mentioned here. Just as she is like a mother to Marutdev, similarly we also are her children. She provides us nourishment according to Rig Ved 1.23.10


विश्वा॑न्दे॒वान्ह॑वामहे म॒रुतः॒ सोम॑पीतये ।

उ॒ग्रा हि पृश्नि॑मातरः ॥


Translation:-


विश्वा॑न् - All.


दे॒वान् - For the Deities.


ह॑वामहे - To call.


म॒रुतः॒ - Marutdev.


सोम॑पीतये - To drink Somras.


उ॒ग्राः - Courageous.


हि - That is why.


पृश्नि॑मातरः - Mother Earth with various hues.


Explanation:- This mantra describes the various qualities of Marutdev. They call the varied hued Earth or Prithvi as their mother. They are courageous. That is why they are called as the sons of Mother Earth.


Deep meaning: Importance of Mother Earth is mentioned here. Just as she is like a mother to Marutdev, similarly we also are her children. She provides us nourishment.


#मराठी and #हिंदी translation 👇



#मराठी


ऋग्वेद १.२३.१०


विश्वा॑न्दे॒वान्ह॑वामहे म॒रुतः॒ सोम॑पीतये ।

उ॒ग्रा हि पृश्नि॑मातरः ॥


भाषांतर :-


विश्वा॑न् - सर्व.


दे॒वान् - देवांना.


ह॑वामहे - बोलवणे.


म॒रुतः॒ - मरूतदेव.


सोम॑पीतये - सोम प्राशन करणे.


उ॒ग्राः - पराक्रमी.


हि - म्हणून.


पृश्नि॑मातरः - नाना प्रकारचे वर्ण युक्त भूमिपुत्र.


भावार्थ :- ह्या मंत्रा मध्ये मरूतदेवांचे वैशिष्ट्य ह्यांचा वर्णन अाहे.मरूतदेव विविध प्रकारचे वर्ण युक्त पृथ्वीला आई म्हणून मानतात. मरूतदेव मोठे पराक्रमी आहेत. म्हणूनच त्यांना पृथ्वी चा पुत्र मानलेले आहेत.


गूढार्थ; इकडे पृथ्वी माता किंवा भू देवीचा महत्व सांगितलेला आहे.आम्ही पण मरूदगणां सारखे त्यांची संतान आहोत.ते आमचे पोषण करते.


#हिंदी


ऋग्वेद १.२३.१०


विश्वा॑न्दे॒वान्ह॑वामहे म॒रुतः॒ सोम॑पीतये ।

उ॒ग्रा हि पृश्नि॑मातरः ॥


अनुवाद :-


विश्वा॑न् - सभी।


दे॒वान् - देवों को।


ह॑वामहे - बुलाना।


म॒रुतः॒ - मरूत् देव।


सोम॑पीतये - सोमपान करना।


उ॒ग्राः - पराक्रमी।


हि - क्योंकि।


पृश्नि॑मातरः - नाना वर्ण से युक्त भूमिपुत्र।


भावार्थ :-इस मंत्र में मरूतदेवों की विशेषताओं के बारे में कहा गया है। वे बहु वर्ण्य पृथ्वी को माता मानते हैं। वे बडे पराक्रमी हैं। इसीलिए उन्हें पृथ्वी का पुत्र भी कहा गया है।

गूढार्थ:यहां पर पृथ्वी माता या भू देवी को महत्व दिया गया है। हम भी मरूदगणों की तरह उन्हीं की संतान हैं। वे हमारा पोषण करती हैं|



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