top of page
Search
Writer's pictureAnshul P

RV 1.23.14

Divine things are very rare to find and are hidden. Only Intelligent people can find. This refers to all Lokas according to Rig Ved 1.23.14


पू॒षा राजा॑न॒माघृ॑णि॒रप॑गूळ्हं॒ गुहा॑ हि॒तं ।

अविं॑दच्चि॒त्रब॑र्हिषं ॥

Translation:-


पू॒षा - Poosha Dev.


राजा॑न॒म् - For the King.


आघृ॑णिः - Majestic or stunning.


अप॑ गूळ्हम् - Hiding.


गुहा॑ हि॒तम् - In Dhyulok.


अविं॑दत् - To get.


चित्रब॑र्हिषम् - With strange lustre.


Explanation:- This mantra describes the special qualities of Somlata. The Somlata that Poosha Dev will be searching in Dhyulok is very difficult to find since it is found at inaccessible spot in Dhyulok. Only experts can recognize this plant. Its leaves and juice have a strange shine, Therefore it is recognizable in the dark too.Therefore it is called Chitrvahirshi.


Deep meaning:- Divine things are very rare to find and are hidden. Only Intelligent people can find. This refers to all Lokas



#मराठी


ऋग्वेद १.२३.१४


पू॒षा राजा॑न॒माघृ॑णि॒रप॑गूळ्हं॒ गुहा॑ हि॒तं ।

अविं॑दच्चि॒त्रब॑र्हिषं ॥


भाषांतर :-


पू॒षा - पूषा देवांना.


राजा॑न॒म् - राजा ला.


आघृ॑णिः - तेजस्वी.


अप॑ गूळ्हम् - लपले.


गुहा॑ हि॒तम् - द्युलोक मध्ये.


अविं॑दत् - प्राप्त करणे.


चित्रब॑र्हिषम् - विचित्र दीप्ति युक्त.


भावार्थ :- ह्या मंत्रा मध्ये सोमलता चे वैशिठ्यांचे वर्णन आहे. पूषादेव ज्या सोमलतांना शोधण्यास द्युलोकात जाणार ती अत्यंत दुर्गम डोंगरात सापडते आ़णि तिला विशिष्ट लोकच ओळखू शकतात. तिचे पान आणि रस चमकताती राहतात म्हणून ती अंधारात पण दिसते.त्या साठी सोमलताला चित्रवर्हिषी पण बोलले जातो.


गूढार्थ: दिव्य वस्तु कमी प्रमाणात आहे आणि लपवलेले आहे.


#हिंदी


ऋग्वेद १.२३.१४


पू॒षा राजा॑न॒माघृ॑णि॒रप॑गूळ्हं॒ गुहा॑ हि॒तं ।

अविं॑दच्चि॒त्रब॑र्हिषं ॥


अनुवाद :-


पू॒षा - पूषा देवने।


राजा॑न॒म् - राजा को।


आघृ॑णिः - तेजस्वी।


अप॑ गूळ्हम् - छिपे हुए।


गुहा॑ हि॒तम् - द्युलोक में स्थित।


अविं॑दत् - प्राप्त करना।


चित्रब॑र्हिषम् - विचित्र दीप्ति वाला।


भावार्थ :-इस मंत्र में सोमलता की विशेषताओं का वर्णन है।पूषा देव जिस सोमलता को लेने जाएँगे, वह अत्यंत दुर्गम और एक विचित्र दीप्ति युक्त है। द्युलोक के किन्ही दुर्गम पहाडों में पायी जानेवाली सोमलता को केवल विशेष लोग ही पहचान पाते हैं। इसके पत्ते और रस चमतने के कारण, इसे अँधेरे में भी पहचान लेते हैं।इसी लिए उसको चित्रवर्हिषी कहा गया है।


गूढार्थ: जो भी दिव्य वस्तु होती है वह कम मात्रा मे होती है और छिपी हुई होती है।


#ଓଡ଼ିଆ


१.२३.१४

पूषा राजा॑नमाघृ॑णिरप॑गूळ्हं गुहा॑ हितं । अविं॑दच्चित्रब॑र्हिषं ॥


पूषा- ପୂଷା ଦେବ

राजा॑नम् - ରାଜାଙ୍କୁ

आघृ॑णिः - ଚମତ୍କାର

अप॑ गूळ्हम् - ଲୁକ୍କାଇତ

गुहा॑ हितम् - ଦ୍ଯୁତଲୋକରେ ବାସ କରୁଥିବା

अविं॑दत् - ପ୍ରାପ୍ତ କରିବା

चित्रब॑र्हिषम् -ବିଚିତ୍ର ଉଜ୍ବଳତା ଯୁକ୍ତ

ଭାବାର୍ଥ-ଏହି ମନ୍ତ୍ର ସୋମଲତାର ଗୁଣ ବର୍ଣ୍ଣନା କରେ ସୋମଲତା ଅତ୍ୟନ୍ତ ଦୁର୍ଲଭ ଏବଂ ଅଦ୍ଭୁତ ଉଜ୍ଜ୍ୱଳତା ଯୁକ୍ତ ଅଟେ।ଦ୍ଯୁଲୋକର କୌଣସି ଅପହଞ୍ଚ ପାହାଡ଼ରେ ମିଳୁଥିବା ସୋମଲତାକୁ କେବଳ ସ୍ୱତନ୍ତ୍ର ଲୋକମାନେ ଚିହ୍ନି ପାରିବେ।ଏହାର ପତ୍ର ଏବଂ ରସ ଯୋଗୁଁ ସେମାନେ ଅନ୍ଧାରରେ ମଧ୍ୟ ଏହାକୁ ଚିହ୍ନିଥାନ୍ତି। ସେଥିପାଇଁ ଏହାକୁ ଅନନ୍ଯ ବୋଲି କୁହାଯାଏ



Instagram link👇



Twitter link👇



17 views0 comments

Recent Posts

See All

Komentarze


Post: Blog2_Post
bottom of page