Due to compassion towards his devotees, Prabhu provides the divine and rarest of rare things to his Devotees in all the seasons according to Rig Ved 1.23.15
उ॒तो स मह्य॒मिंदु॑भिः॒ षड्यु॒क्ताँ अ॑नु॒सेषि॑धत् ।
गोभि॒र्यवं॒ न च॑र्कृषत् ॥
Translation:-
उ॒तो - And.
सः - He(Poosha Dev).
मह्य॒म् - For me(devotee).
इन्दु॑भिः॒ - From Som.
षट् - Six.
युक्ताँ - With.
अ॑नु॒सेषि॑धत् - Brings multiple times.
गोभिः - Along with Bull.
यवम् - Food grains.
च॑र्कृषत् - To Plough.
Explanation:- This mantra says that in order to get foodgrains the farmer ploughs his fields multiple times all around the year,similarly Poosha Dev thinks about the well being of his devotees and brings Somlata in all the six seasons.
Deep meaning:- Due to compassion towards his devotees, Prabhu provides the divine and rarest of rare things to his Devotees in all the seasons.
#मराठी
ऋग्वेद १.२३.१५
उ॒तो स मह्य॒मिंदु॑भिः॒ षड्यु॒क्ताँ अ॑नु॒सेषि॑धत् ।
गोभि॒र्यवं॒ न च॑र्कृषत् ॥
भाषांतर :-
उ॒तो - अजून.
सः - ते (पूषा देव).
मह्य॒म् - आम्हा यजमानांचे साठी.
इन्दु॑भिः॒ - सोम पासून.
षट् - सहा.
युक्ताँ - युक्त.
अ॑नु॒सेषि॑धत् - पुनः घेउन येणे.
चर्कृषत् -नांगरणी करणे.
भावार्थ: ह्या मंत्रा मध्ये म्हटले आहे की ज्या प्रकारे शेतकरी प्रत्येक वर्ष धान्य उगवण्या साठी पुनः पुनः नांगरणी करतो त्याच प्रकारे पूषा देव आपल्या भक्तांचा हित समजून सर्व सहा ऋतुत सोमलताला भूमी वर आणतात.
गूढार्थ: दुर्लभ ते दुर्लभ दिव्य वस्तू प्रभू करूणा चे कारणा ने आम्हास बारा महीने उपलब्ध करून देतात.
#हिंदी
ऋग्वेद १.२३.१५
उ॒तो स मह्य॒मिंदु॑भिः॒ षड्यु॒क्ताँ अ॑नु॒सेषि॑धत् ।
गोभि॒र्यवं॒ न च॑र्कृषत् ॥
अनुवाद :-
उ॒तो - और।
सः - वे(पूषा देव)।
मह्य॒म् - मुझ यजमान के लिए।
इन्दु॑भिः॒ - सोम से।
षट् - छः ऋतु।
युक्तान् - युक्त।
अ॑नु॒सेषि॑धत् - पुनः लाते रहना।
गोभिः - बैलों के द्वारा।
यवम् - अनाज को प्रति वर्ष भूमि पर लाना।
च॑र्कृषत् - जोतते रहना।
भावार्थ :-इस मंत्र में कहा गया है कि जिस प्रकार किसान प्रत्येक वर्ष अनाज की प्राप्ति के लिए पुन्ः पुनः खेत जोतता है उसी प्रकार पूषा देव अपने भक्तों का हित जानकर सभी छः ऋतुओं में सोमलता को भूमि पर लाते रहते हैं।
गूढार्थ: दुर्लभ से दुर्लभ दिव्य वस्तु हमें प्रभु करूणा के वशीभूत होकर बारहों महीने उपलब्ध कराते हैं।
#ଓଡ଼ିଆ ऋग्वेद १.२३.१५ उतो स मह्यमिंदु॑भिः षड्युक्ताँ अ॑नुसेषि॑धत् । गोभिर्यवं न च॑र्कृषत् ॥
उतो -ଏବଂ
सः -ସେମାନେ
मह्यम् -ମୋ ପାଇଁ
इन्दु॑भिः-ସୋମରୁ
षट् -ଛଅ ଋତୁ
युक्तान् -ଯୁକ୍ତ
अ॑नुसेषि॑धत् -ପୁନଃ ଆଣିବା
गोभिः -ବଳଦଙ୍କ ଦ୍ବାରା
यवम् -ପ୍ରତିବର୍ଷ ଜମିରେ ଶସ୍ଯ ଆଣିବା
च॑र्कृषत् - ହଳ କରିବା
ମନ୍ତ୍ରରେ କୁହାଯାଇଛି ଯେ ଯେପରି କୃଷକ ଖାଦ୍ୟ ଶସ୍ୟ ପାଇବା ପାଇଁ ପ୍ରତିବର୍ଷ ପୁନର୍ବାର ଜମି ଉର୍ବର କରନ୍ତି ସେହିପରି ପୂଷା ଦେବ ମଧ୍ୟ ତାଙ୍କ ଭକ୍ତଙ୍କ ଆଗ୍ରହ ଜାଣି ସୋମଲତାକୁ ସମସ୍ତ ଋତୁରେ ଭୂମିକୁ ଆଣିଥାନ୍ତି। ବ୍ୟାଖ୍ୟା:ଏହାର ଅର୍ଥ ସୋମଲତା ବାର ମାସ ଉପଲବ୍ଧ ହୁଏ ଯେଉଁଥିପାଇଁ ଏହା ସବୁ ତୁରେ ଗ୍ରହଣ କରାଯାଏ ଏବଂ ବାରମ୍ବାର ଅଣାଯାଏ l
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