This is more of science, Water is full of medicinal particles. Also here it is said that Water contains various types of Energy@ Rig Ved 1.23.20
अ॒प्सु मे॒ सोमो॑ अब्रवीदं॒तर्विश्वा॑नि भेष॒जा ।
अ॒ग्निं च॑ वि॒श्वशं॑भुव॒माप॑श्च वि॒श्वभे॑षजीः ॥
Translation:-
अ॒प्सु अन्तः - Inside Water.
मे॒ - Myself (Priest) .
सोमः - Somdev said.
अब्रवीत - Said.
र्विश्वा॑नि - All.
विश्वभेष॒जा - Medicines.
अ॒ग्निं - In Fire.
च॑ - And.
वि॒श्वशं॑भुव॒म् - Pleasing and Comfortable for the entire World.
च - And.
वि॒श्वानि - All.
भे॑षजा - Medicine.
च - And.
आपः - Water.
Explanation:- The Priest chanting mantras says that the King of Medicines, Somdev himself, and Agni too have said to him that All types of Medicines and Agni(the one gives pleasure and comfort to to the entire World) are present inside the Water.
Deep meaning: - This is more of science, Water is full of medicinal particles. Also here it is said that even Water contains particles of Fire.
I can think of Hydro Electricity as it contains Agni Tatva
#मराठी
ऋग्वेद १.२३.२०
अ॒प्सु मे॒ सोमो॑ अब्रवीदं॒तर्विश्वा॑नि भेष॒जा ।
अ॒ग्निं च॑ वि॒श्वशं॑भुव॒माप॑श्च वि॒श्वभे॑षजीः ॥
भाषांतर :-
अ॒प्सु अन्त - पाण्याचे आत
मे॒ - मला(ऋत्विक) .
सोमः - सोमाने.
अब्रवीत - सांगितले.
र्विश्वा॑नि - सर्व.
भेष॒जा - औषधी.
अ॒ग्निम् - अग्नि आहे.
आपः - पाणी ने.
चे - आणि.
वि॒श्वशं॑भुव॒म् - संपूर्ण संसारा साठी सुखकर.
वि॒श्वभे॑षजीः - सर्व प्रकारचे.
चे - आणि.
भावार्थ :- मंत्र उच्चारित करणारे ऋत्विकांच्या अनुसार त्यांना स्वयं औषधींचे राजा सोमदेव आणि स्वतः अग्नि ने सांगितल्या प्रमाणे पाण्यात सर्व प्रकारची औषधी आणि समस्त विश्वाला सुख देणारी अग्नि चा निवास आहे.
गूढार्थ: पाण्यात अग्नि सापडण्याचे तथ्य प्राचीन काळातील लोकांना माहित होता आणि आधुनिक विज्ञान ची पण मान्यता आहे(हाइड्रो पावर).पाण्यात उपलब्ध औषधींची बातमी पूर्वीच्या मंत्रात स्पष्ट केलेली आहे.
#हिंदी
ऋग्वेद १.२३.२०
अ॒प्सु मे॒ सोमो॑ अब्रवीदं॒तर्विश्वा॑नि भेष॒जा ।
अ॒ग्निं च॑ वि॒श्वशं॑भुव॒माप॑श्च वि॒श्वभे॑षजीः ॥
अनुवाद :-
अ॒प्सु अन्त - जल के भीतर।
मे॒ - मुझको (ऋत्विज)।
सोमः - सोम ने।
अब्रवीत - कहा।
र्विश्वा॑नि - सभी।
भेष॒जा - औषधियां।
अ॒ग्निम् - अग्नि है।
च॑ - और।
वि॒श्वशं॑भुव॒म् - संपूर्ण जगत के लिए सुखकर।
चे - और।
आपः - जल ने।
वि॒श्वभे॑षजीः - सभी प्रकार की
भावार्थ :-मंत्र बोलनेवाले ऋत्विक के अनुसार स्वयं औषधियों के राजा के रूप में विख्यात सोमदेव तथा अग्नि,दोनो ने उनसे कहा है कि जल मे सभी प्रकार की औषधियां तथा समस्त विश्व को सुख देनेवाली अग्नि का भी इसमें निवास है।
गूढार्थ: जल में अग्नि के निवास का तथ्य प्राचीन काल मेंं भी मालूम थी और आधुनिक वैज्ञानिक भी स्वीकार करते हैं( हाइड्रो पावर)। जल मे औषधि की बात पूर्वोक्त मंत्र में बताई गई है।
#ଓଡ଼ିଆ
ऋग्वेद १.२३.२०
अप्सु मे सोमो॑ अब्रवीदंतर्विश्वानि भेषजा ।
अग्निं च॑ विश्वशं॑भुवमाप॑श्च विश्वभे॑षजीः ॥
ଅନୁବାଦ
अप्सु अन्त - ଜଳ ଭିତରେ
मे - ମୁଁ (ୠତ୍ବିଜ)
सोमः - ସୋମ
अब्रवीत- କହିଲେ
र्विश्वा॑नि- ସମସ୍ତ
भेषजा-ଔଷଧି
अग्निम्- ଅଗ୍ନିମ୍
च॑ -ଏବଂ
विश्वशं॑भुवम् - ସମସ୍ତ ବିଶ୍ବ ପାଇଁ ସୁଖକର
आपः - ଏବଂ
विश्वभे॑षजीः - ସବୁ ପ୍ରକାର
ଅର୍ଥ: ମନ୍ତ୍ର କହୁଥିବା ଋତ୍ବିକ ଙ୍କ କହିବାନୁସାରେ, ଉଭୟ ସୋମଦେବ ଏବଂ ଅଗ୍ନି, ଯେଉଁମାନେ ନିଜେ ଔଷଧର ରାଜା ଭାବରେ ପ୍ରସିଦ୍ଧ, ତାଙ୍କୁ କହିଛନ୍ତି ଯେ ଜଳରେ ସମସ୍ତ ପ୍ରକାରର ଔଷଧ ତଥା ସମଗ୍ର ବିଶ୍ୱକୁ ସୁଖ ପ୍ରଦାନ କରୁଥିବା ଅଗ୍ନି ର ମଧ୍ଯ ନିବାସ ଥାଏ।
ଗଢ଼ାର୍ଥ-: ଜଳରେ ଅଗ୍ନି ର ନିବାସ ଥିବା ସତ୍ୟ ପ୍ରାଚୀନ ଅଟେ ଏବଂ ବୈଜ୍ଞାନିକମାନେ ମଧ୍ୟ ଏହାକୁ ଗ୍ରହଣ କରନ୍ତି | ଜଳରେ ଔଷଧ ରହିଥିବା କଥା ଉପରୋକ୍ତ ମନ୍ତ୍ରରେ ଉଲ୍ଲେଖ କରାଯାଇଛି।
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