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RV 1.23.22

Updated: Jun 1, 2020

Water therapy cures the disease from its roots. Not only the disease is cured but your worst thoughts go away from your mind. You stop cursing someone and don't make false statement.


Rig Ved 1.23.22


इ॒दमा॑पः॒ प्र व॑हत॒ यत्किं च॑ दुरि॒तं मयि॑ ।

यद्वा॒हम॑भिदु॒द्रोह॒ यद्वा॑ शे॒प उ॒तानृ॑तं ॥


Translation:-



प्र वहत् - Flowing Water.


यत् किंच॑ - Whichever.


दुरि॒तम् - Faults.


मयि॑ - In me.


वा - Or.


यत् - Whichever.


अहम॑ - Me.


अभिदु॒द्रोह॒ - Have rebelled.


यत् - Or.


शे॒पे - Have Cursed.


उ॒त - Or.


अनृ॑तम् - Untrue.


इदम् - This.


आपः - Water.


Explanation:- In this mantra the Yajmans request the Water Deities that if they have rebelled against anyone or if they have used a bad word for any sage or have spoken falsely or have cursed anyone then this flowing water should flush out all their wrong doings.


Deep meaning: Water therapy cures the disease from its roots. This can be explained more thoroughly. Not only the disease is cured but the worst thoughts go away from your mind.You stop cursing someone and don't make false statement. Body becomes healthy and purifies your heart



#मराठी


ऋग्वेद १.२३.२२


इ॒दमा॑पः॒ प्र व॑हत॒ यत्किं च॑ दुरि॒तं मयि॑ ।

यद्वा॒हम॑भिदु॒द्रोह॒ यद्वा॑ शे॒प उ॒तानृ॑तं ॥


भाषांतर :-


प्र व॑हत॒ - वाहून घेऊन जाणे.


यत् किंच - जे काही पण.


दुरि॒तम् - दोष असणार.


वा - किंवा.


इदम् - हा.


मयि॑ - माझ्यात.


यत् - ज्या पण.


अहम॑ - मैने.


अभिदु॒द्रोह॒ - द्रोह केलेले असणार.


यत् - जर.


शे॒पे - शाप दिलेला असणार.


उ॒त - अथवा.


अनृ॑तम् - असत्य.


आपः - जल.


भावार्थ:- ह्या मंत्राचा अभिप्रेत हे आहे की जल समूहास प्रार्थना केली आहे की जर मी कुठे पण द्रोह केले असणार अथवा कुणी महात्माला अपशब्द बोलले असणार, शाप दिला असणार किंवा खोटे बोलण्याची प्रवृत्ती असणार, तेव्हा हा जल त्या सगळ्या दुष्प्रवृतिंना वाहून घेउन जाण्याचा निवेदन करतो.


गूढार्थ: जल चिकित्सेने रोगाचा वीज वाहून जातो.शरीर निरोगी बनतो.नवी पासून दुष्ट भाव जातात, शाप देणे आणि खोटे बोलण्याची प्रवृत्ती जाते.शरीर दोष रहित होउन मन आणि वाणी मध्ये शुद्धी येते.




#हिंदी


ऋग्वेद १.२३.२२


इ॒दमा॑पः॒ प्र व॑हत॒ यत्किं च॑ दुरि॒तं मयि॑ ।

यद्वा॒हम॑भिदु॒द्रोह॒ यद्वा॑ शे॒प उ॒तानृ॑तं ॥


अनुवाद :-


प्र व॑हत॒ - बहाकर ले जाना।


यत् किंच - जो कुछ भी।


दुरि॒तम् - दोष हो।


मयि॑ - मुझमें ।


यत् - जिस भी( अन्य को)।


वा - अथवा।


अहम् - मैने।


'अभिदु॒द्रोह॒ - द्रोह किया हो।


यत् - यदि।


शे॒पे - शाप दिया हो।


उ॒त - अथवा।


अनृ॑तम् - असत्य।


इदम् - यह।


आपः - जल।


भावार्थ :-इस मंत्र का अभिप्राय यह है कि जल समूहों से यहां प्रार्थना की गई है कि मैने अगर द्रोह किया हो या किसी महात्मा को अपशब्द कहें हों, शाप देने या झूठ बोलने की प्रवृति हो,तब यह जल उन सभी दृष्कृतियों को बहाकर स्वच्छ करे।


गूढार्थ:- जल चिकित्सा से रोग बीज दूर होते हैं। अर्थात शरीर से रोग दूर होते हैं,मन से दुष्ट भाव जाते हैं,शाप देने और झूठ बोलने की प्रवृति जाती है। शरीर दोष रहित होकर मन और वाणी में शुद्धता आती है।


#ଓଡ଼ିଆ


ऋग्वेद १.२३.२२

इदमापः प्र वहत यत्किं च दुरितं मयि ।

यद्वाहमभिदुद्रोह यद्वा शेप उतानृतं ॥


प्र वहत-ପ୍ରବାହରେ ନେଇଯିବା


यत् किंच -ଯାହା କିଛି


दुरितम् -ତ୍ରୁଟି


मयि - ମୋ ଭିତରେ


यत् - ଯାହା


वा -ଅଥବା


अहम् -ମୁଁ


अभिदुद्रोह - ଦ୍ରୋହ କରିଥିବା


यत्-ଯଦି


शेपे - ଅଭିଶାପ ଦେଇଥିବେ


उत - ଅଥବା


अनृतम् -ଅସତ୍ଯ


इदम् -ଏହା


आपः - ଜଳ


उत-ଅଥବା


अनृतम्-ଅସତ୍ଯ


इदम्-ଏହା


आप-ଜଳ


ଅର୍ଥ: ଏହି ମନ୍ତ୍ରରେ ଜଳ ସମୁହକୁ ପ୍ରାର୍ଥନା କରା ଯାଇଛି ଯେ ଯଦି ମୁଁ କୌଣସି ମହାତ୍ମାଙ୍କୁ ଅପଶବ୍ଦ କହିଛି କିମ୍ବା ଦୁର୍ବ୍ୟବହାର କରିଛି, କେବେ ଅଭିଶାପ ଦେବା କିମ୍ବା ମିଥ୍ୟା କହିବାର ପ୍ରବୃତ୍ତି ଅଛି, ତେବେ ଏହି ଜଳ ସେହି ସମସ୍ତ ଦୁଷ୍କୃତିକୁ ଧୋଇ ସ୍ବଚ୍ଛ

କରିବ ।


ଗୁଢ଼ାର୍ଥ-ଜଳ ଚିକିତ୍ସାରେ ରୋଗର ବୀଜ ନାଶ ହୋଇଥାଏ ।ଶରୀରର ରୋଗ ଦୁର ହୁଏ ମନରୁ ଖରାପ ଭାବନା ଦୂର ହୁଏ ।ଶରୀର ଦୋଷ ରହିତ ହୋଇ ମନ ଓ ବାଣୀ ରେ ଶୁ



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