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RV 1.23.23

  • Writer: Anshul P
    Anshul P
  • Jun 1, 2020
  • 2 min read

Updated: Jun 2, 2020

In the previous mantra it was mentioned that water contains Fire energy(We can also relate to Hydro Electricity). So when the Yajmans enter the water, The self illuminating energy also makes them lustrous and majestic @ Rig Ved 1.23.23


आपो॑ अ॒द्यान्व॑चारिषं॒ रसे॑न॒ सम॑गस्महि ।

पय॑स्वानग्न॒ आ ग॑हि॒ तं मा॒ सं सृ॑ज॒ वर्च॑सा ॥


Translation:-


आपः - Inside Water.


अ॒द्य - Today.


अन अचारिषम् - To enter.


रसे॑न॒ - Along with Water.


सम॑ अगस्महि - Included.


पय॑स्वान अग्ने - Oh the Agni in Water!


आ ग॑हि॒ - Come.


तम् मा॒ - To bathe within.


सम् सृ॑ज॒ - To join.


वर्च॑सा - With energy.


Explanation:- This mantra is addressed to Agni which is inside the Water.It requests them that when Yajmans enter the Water or when their body comes near the Water, Agni should come near them and provide them energy and splendor with Agni's strength.


Deep meaning:- In the previous mantra it was mentioned that water contains fire energy(hydro power). So when the Yajmans enter the water, The self illuminating energy also makes them lustrous and majestic.




#मराठी


ऋग्वेद १.२३.३३


आपो॑ अ॒द्यान्व॑चारिषं॒ रसे॑न॒ सम॑गस्महि ।

पय॑स्वानग्न॒ आ ग॑हि॒ तं मा॒ सं सृ॑ज॒ वर्च॑सा ॥


भाषांतर :-


आपः - पाण्यात.


अ॒द्य - आज.


अनु अचारिषम् - प्रविष्ट होणे


रसे॑न॒ - पाण्याचे सार बरोबर.


सम॑ अगस्महि - सम्मिलित होणे.


पय॑स्वान अग्ने - हे पाण्या मध्ये स्थित अग्ने!


आ ग॑हि॒ - यावे.


तम् -मा॒ - एकाकार होउन स्नान करणे.


सम् सृ॑ज॒ - युक्त.


वर्च॑सा - तेज पासून.


भावार्थ :- पाण्यात स्थित अग्निला संबोधित करून म्हटले आहे की पाण्यात प्रवेश करणारे किंवा शरीराने पाण्यात प्रवेश करून देणारे यजमानांच्या जवळ येउन आणि आपल्या तेजा ने त्याना तेजस्वी बनवावे.


गूढार्थ: पूर्वीच्या मंत्रात पाणी मध्ये विद्युत विद्यमान अाहे हे म्हटलं होते(हाइड्रो बीज).ह्या मंत्राचे माध्यमे हे म्हटले आहे की जेंव्हा यजमान पाण्यात प्रवेश करतात तेंव्हा पाण्यात सापडणाऱ्या स्वयं प्रकाशित ऊर्जा ने भरून ते तेजस्वी प्रतीत होतात.




#हिंदी



ऋग्वेद १.२३.२३


आपो॑ अ॒द्यान्व॑चारिषं॒ रसे॑न॒ सम॑गस्महि ।

पय॑स्वानग्न॒ आ ग॑हि॒ तं मा॒ सं सृ॑ज॒ वर्च॑सा ॥


अनुवाद :-


आपः - जल में।


अ॒द्य - आज।


अनु अचारिषम् - प्रविष्ट होना।


रसे॑न॒ - जल सार के साथ।


सम॑ अगस्महि - सम्मिलित होना।


पय॑स्वान अग्ने - हे जल में स्थित अग्ने!


आ ग॑हि॒ - आइए।


तम् मा॒ - तादृश स्नान करना।


सम् सृ॑ज॒ - युक्त करना।


वर्च॑सा - तेज से।


भावार्थ :-जल में स्थित अग्नि को संबोधित करते हुए कहा गया है कि वह जल में प्रवेश करनेवाले या शरीर में जल को प्रविष्ट करानेवाले यजमानो के पास आएं और अपने तेज से तेजस्वी बनाए।


गूढार्थ:पूर्वोक्त मंत्र में जल में विद्युत समाहित होने की बात कही गई है।(हाइड्रो बिजली)।इस मंत्र में यजमान जब पानी में प्रवेश करते हैं तब जल में पायी जाने वाली स्वयं प्रकाशित ऊर्जा से भरे हुए होने के कारण वे तेजस्वी प्रतीत होते हैं ।


#ଓଡ଼ିଆ


ऋग्वेद १.२३.२३

आपो अद्यान्वचारिषं रसेन समगस्महि ।

पयस्वानग्न आ गहि तं मा सं सृज वर्चसा ॥


आपः-ଜଳ ରେ


अद्य -ଆଜି


अनु अचारिषम् - ପ୍ରବେଶ ହେବି


रसेन -ଜଳର ସାର ଅଂଶ ସହିତ


सम॑ अगस्महि -ସମ୍ମିଳିତ ହେବା


पयस्वान अग्ने -ଜଳରେ ଥିବା ଅଗ୍ନି


आ गहि-ଆସ


तम् मा- ସ୍ନାନ କର


सम् सृज - ଯୁକ୍ତ କରିବା


वर्चसा - ତେଜ ରେ


ଅର୍ଥ: ଜଳରେ ଥିବା ଅଗ୍ନିକୁ ସମ୍ବୋଧିତ କରି କୁହାଯାଇଛିଯେ ସେ ଜଳ ଭିତରକୁ ପ୍ରବେଶ କରିଥିବା କିମ୍ବା ଶରୀରରେ ଜଳ ପ୍ରବେଶ କରାଇଥିବା ଯଜମାନ ମାନଙ୍କୁ ସେ ତାଙ୍କ ତେଳ ରେ ତେଜସ୍ବୀ କରନ୍ତୁ ।




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