God provides strength to the people doing sacred deeds according to Rig Ved 1.23.4
मि॒त्रं व॒यं ह॑वामहे॒ वरु॑णं॒ सोम॑पीतये ।
ज॒ज्ञा॒ना पू॒तद॑क्षसा ॥
Translation:-
मि॒त्रम् - Deity named Mitra(Sun).
व॒यम् - We.
ह॑वामहे॒ - To call.
वरु॑णम् - Varundev.
सोम॑पीतये - To drink Somras
ज॒ज्ञा॒ना - A visit or advent.
पू॒तद॑क्षसा - One who uses his strength for pious matters.
Translation:-This mantra is addressed to Mitra(Sun) and Varundev wherein their qualities are mentioned. During the Yagya, the Yajmans call these two Deities to drink Somras.These two Deities appear in that place and use their strength for this pious matter.
Deep meaning:- God provides strength to the people doing sacred deeds.
#मराठी
ऋग्वेद १.२३.४
मि॒त्रं व॒यं ह॑वामहे॒ वरु॑णं॒ सोम॑पीतये ।
ज॒ज्ञा॒ना पू॒तद॑क्षसा ॥
भाषांतर :-
मि॒त्रम् - मित्र नावाचे देव.
व॒यम् - आम्ही.
ह॑वामहे॒ - बोलवणे.
वरु॑णम् - वरूणदेव.
सोम॑पीतये - सोम प्राशन करण्या साठी.
ज॒ज्ञा॒ना - प्रादुर्भाव होणे.
पू॒तद॑क्षसा - पवित्र कार्यात आपले बलाचा उपयोग करणारे.
भावार्थ :-ह्या मंत्रात मित्र आणि वरूण देवांचे गुणांचे वर्णन आहे.यज्ञानुष्ठानात यजमान ह्या दोन्ही देवांना सोम प्राशन साठी बोलवतात.हे दोघे देव त्या यज्ञ स्थानात प्रकट होतात आणि विशेॆषतः ह्या पवित्र कार्याला आपले बळ प्रदान करतात.
गूढार्थ: ईश्वर पवित्र कार्य केल्यावर बळ देतो.
#हिंदी
ऋग्वेद १.२३.४
मि॒त्रं व॒यं ह॑वामहे॒ वरु॑णं॒ सोम॑पीतये ।
ज॒ज्ञा॒ना पू॒तद॑क्षसा ॥
अनुवाद :-
मि॒त्रम् - मित्र नामक देव।
व॒यम् - हम।
ह॑वामहे॒ - बुलाना।
वरु॑णम् - वरूणदेव।
सोम॑पीतये - सोमपान के लिए।
ज॒ज्ञा॒ना - प्रादुर्भाव होना।
पू॒तद॑क्षसा - पवित्र कार्य के लिए अपने बल का उपयोग करनेवाले।
भावार्थ :-इस मंत्र में मित्र देव और वरूणदेव के गुणों का वर्णन है। यज्ञानुष्ठान में यजमान सोमपान के लिए इन दोनों देवों को बुलाते हैं। ये दोनों देव उस स्थान पर प्रकट होनेवाले तथा पवित्र कार्य में अपना बल का उपयोग करनेवाले हैं।
गूढार्थ: ईश्वर पवित्र कार्य करने पर बल प्रदान करता है|
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