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Writer's pictureAnshul P

RV 1.23.6

Parmatma protects us from Evil and enriches us with best type of Wealth according to Rig Ved 1.23.6


वरु॑णः प्रावि॒ता भु॑वन्मि॒त्रो विश्वा॑भिरू॒तिभिः॑ ।

कर॑तां नः सु॒राध॑सः ॥



Translation:-


वरु॑णः - Varundev !


प्रावि॒ता - Protects in a special way.


भु॑वत् - To do.


मित्रः - Mitradev !


विश्वा॑भिः - All.


ऊतिभिः॑ - Resources for security.


कर॑ताम् - To do.


नः - Us.


सु॒राध॑सः - Along with best Wealth.


Explanation:-This mantra is addressed to Mitra and Varundev. It says that these two Deities possessing various qualities always protect their devotees and provide them with adequate Wealth. Here the Yajmans plead to these Deities to protect them in a special way and provide them with the best types of Wealth.


Deep meaning: Parmatma protects us from Evil and enriches us with best type of Wealth.




#मराठी



ऋग्वेद १.२३.६


वरु॑णः प्रावि॒ता भु॑वन्मि॒त्रो विश्वा॑भिरू॒तिभिः॑ ।

कर॑तां नः सु॒राध॑सः ॥



भाषांतर :-


वरु॑णः - वरूणदेव!


प्रावि॒ता - विशेष प्रकारे रक्षण करणारे.


भु॑वत् - होउन जाणे.


मित्रो - मित्रदेव!


विश्वा॑भिः - सर्व.


ऊतिभिः॑ - सुरक्षेचे साधन.


कर॑ताम् - करणें.


नः - आम्ही.


सु॒राध॑सः - उत्तम धन युक्त.


भावार्थ :-ह्या मंत्रात मित्रदेव आणि वरूणदेवांना संबोधित केले आहे.म्हटले आहे की अनेक गुणांनी संपन्न असलेले हे दोन्ही देव आपल्या भक्तांचे सदैव रक्षण करतात व उत्तम प्रकाराचे धन देउन संपन्न करतात. ह्या मंत्रात यजमान दोन्ही देवांशी धन आणि रक्षणाची याचना करतात.


गूढार्थ:- परमात्मा यजमानांचे रक्षण करतात आणि उत्तम धन देउन संपन्न करतात.



#हिंदी



ऋग्वेद १.२३.६


वरु॑णः प्रावि॒ता भु॑वन्मि॒त्रो विश्वा॑भिरू॒तिभिः॑ ।

कर॑तां नः सु॒राध॑सः ॥



अनुवाद :-


वरु॑णः - वरूणदेव!


प्रावि॒ता - विशेष रक्षा करनेवाले।


भु॑वत् -होना।


मित्रः - मित्रदेव!


विश्वा॑भिः - सभी।


ऊतिभिः॑ - सुरक्षा के साधन।


कर॑ताम् - करना।


नः - हमें।


सु॒राध॑सः - उत्तम धन से युक्त।


भावार्थ :-यह मंत्र मित्रदेव तथा वरूणदेव को संबोधित किया गया है। कहा गया है अनेक गुणों से संपन्न मित्र और वरूणदेव अपने भक्तों की हमेशा रक्षा करते हैं और उत्तम प्रकार के धन से संपन्न रखते हैं। यहां यजमान इन दोनों देवों से रक्षा तथा धन की याचना करते हैं।


गूढार्थ:- परमात्मा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और धन से संपन्न करते हैं



ऋग्वेद १.२३.६

वरुणः प्राविता भुवन्मित्रो विश्वाभिरूतिभिः।

करतां नः सुराधसः


वरुणः - ବରୁଣ ଦେବ


प्राविता - ପ୍ରଦାନକାରୀ


भुवत् -ହେବା


मित्रः - ମିତ୍ରଦେବ


विश्वाभिः - ସମସ୍ତ


ऊतिभिःସୁରକ୍ଷାର ସାଧନ


करताम् -କରିବା


नः - ଆମକୁ


सुराधसः-ଉତ୍ତମ ଧନ ଯୁକ୍



ଭାବାର୍ଥ-ଏହି ମନ୍ତ୍ରରେ ମିତ୍ର ଏବଂ ବରୁଣ ଦେବ ଙ୍କୁ ସମ୍ବୋଧନ କରାଯାଇଛି । କୁହାଯାଏ ଯେ ମିତ୍ର ଏବଂ ବରୁଣ ଦେବ ଅନେକ ଗୁଣରେ ସମୃଦ୍ଧ ,ସେମାନେ ସର୍ବଦା ନିଜ ଭକ୍ତମାନଙ୍କୁ ସୁରକ୍ଷା ଦିଅନ୍ତି ଏବଂ ସର୍ବୋତ୍ତମ ଧନରେ ଧନୀ ରଖନ୍ତି । ଏଠାରେ ଯଜମାନ ଉଭୟ ଦେବତାଙ୍କ ଠାରୁ ରକ୍ଷା ତଥା ଧନ ର କାମନା କରନ୍ତି ।


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