In this mantra Bhagwati Shruti (Ved) mentions
the special qualities of Water. The power of Water and its swift flow are mentioned here @ Rig Ved 1.24.6
न॒हि ते॑ क्ष॒त्रं न सहो॒ न म॒न्युं वय॑श्च॒नामी प॒तयं॑त आ॒पुः ।
नेमा आपो॑ अनिमि॒षं चरं॑ती॒र्न ये वात॑स्य प्रमि॒नंत्यभ्वं॑ ॥
Translation:-
ते॑ क्ष॒त्रम् - Physical strength.
न - Not.
सहः - Courage.
न - No.
म॒न्युम् - Anger.
वय॑श्च॒न - Even birds.
अमी - This.
प॒तयं॑तः - Flying.
नहि आ॒पुः - Cannot get.
इमाः आपः - Water also.
न - Not.
अनिमि॒षम् - Continuous.
चरं॑तीम्ः - Flowing.
वात॑स्य ये - Speed of Wind.
प्रमि॒नंन्ति - To stop encroachment.
त्यभ्वं॑ - With speed.
Explanation:-This mantra is addressed to Varun dev wherein his qualities are described. It says that Varundev's physical strength, His courage and his anger cannot be compared with birds flying in the sky.The continuous flow of Water cannot touch or reach his vast courage. The speed of Strong winds cannot even encroach the speed of his march.
Deep meaning:- In this mantra Bhagwati Shruti (Ved) mentions
the special qualities of Water. The power of Water and its swift flow are mentioned here.
#मराठी
ऋग्वेद १.२४.६
न॒हि ते॑ क्ष॒त्रं न सहो॒ न म॒न्युं वय॑श्च॒नामी प॒तयं॑त आ॒पुः ।
नेमा आपो॑ अनिमि॒षं चरं॑ती॒र्न ये वात॑स्य प्रमि॒नंत्यभ्वं॑ ॥
भाषांतर :-
न॒हि अापुः - प्राप्त करणे अशक्य.
ते॑ क्ष॒त्रम् - शारीरिक बळ.
न - नाही.
सहः - पराक्रम.
न - नाही.
म॒न्युम् - क्रोध.
वय॑श्च॒न - पक्षी पण.
अमी - हे.
प॒तयं॑तः - उडणारे.
इमाः आपः - पाणी पण.
अनिमि॒षम् - सतत.
चरं॑तीम् - प्रवाहित.
वात॑स्य ये - वायु ची गति.
न प्रमि॒नंति - अतिक्रमण थांबले.
अभ्वम् - वेगाने
भावार्थ :-हा मंत्र वरूणदेवाला संबोधले आहे.इथे त्यांचे वैशिठ्य सांगितलेले आहे.म्हटले आहे की वरूणदेवांचे शारीरिक बळ,त्यांचे पराक्रमाची बरोबरी आकाशात उडणारे पक्षी पण नाही करू शकततात .सतत प्रवाहित पाणीला पण त्यांचे पराक्रमाला बरोबरी देणे अवघड असतो. जोरदार वायुची गति ला पण त्यांची गति चे अतिक्रमण करणे अशक्य असतो .
गूढार्थ: ह्या मंत्रात भगवती श्रुति(वेद) पाणी चे वैशिठ्यांचे वर्णन आहे.पाणी ची शक्ती आणि त्याचा वेगाचे वर्णन आहे.
#हिंदी
ऋग्वेद १.२४.६
न॒हि ते॑ क्ष॒त्रं न सहो॒ न म॒न्युं वय॑श्च॒नामी प॒तयं॑त आ॒पुः ।
नेमा आपो॑ अनिमि॒षं चरं॑ती॒र्न ये वात॑स्य प्रमि॒नंत्यभ्वं॑ ॥
अनुवाद :-
न॒हि आपु - प्राप्त न कर पाना।
ते॑ क्ष॒त्रम् - शारीरिक बल।
न - नहीं।
सहः - पराक्रम।
न - नहीं।
म॒न्युम् - क्रोध।
वय॑श्च॒न - पक्षी भी।
अमी - ये।
प॒तयं॑तः - उड़नेवाले।
इमा आपः - जल भी।
अनिमि॒षम् - लगातार।
चरं॑ती॒मः - प्रवाहित।
वात॑स्य ये - वायु की गति।
न प्रमि॒नंति - अतिक्रमण रूकना।
अभ्वम् - वेग से।
भावार्थ :-यह मंत्र वरूणदेव को संबोधित है।इसमें उनकी विशेषताओं का वर्णन है।कहा गया है कि वरूणदेव का शारीरिक बल,उनके पराक्रम और उनके क्रोध की बराबरी आकाश में उड़ने वाले पक्षी भी नहीं कर सकते। लगातार प्रवाहित जल भी उनके पराक्रम को छू नही पाता।तेज वायु की गति भी उनकी गति का अतिक्रमण नहीं कर सकती।
गूढार्थ:इस मंत्र में भगवती श्रुति (वेद)ने जल की विशेषताओं का वर्णन किया है। जल की शक्ति और उसके तेज वेग का वर्णन है।
#ଓଡ଼ିଆ
ऋग्वेद १.२४.५
नहि ते॑ क्षत्रं न सहो न मन्युं वय॑श्चनामी प॒तयं॑त आपुः ।
नेमा आपो॑ अनिमिषं चरंतीर्न ये वातस्य प्रमिनंत्यभ्वं ॥
नहि आपु - ପ୍ରାପ୍ତ କରି ନ ପାରିବା
ते क्षत्रम् - ଶାରୀରିକ ବଳ
न - ନୁହଁ
सहः - ପରାକ୍ରମ
मन्युम् -କ୍ରୋଧ
वयंश्चन-ପକ୍ଷୀ ମଧ୍ଯ
अमी- ଏହି
पतयंत-ଉଡ଼ିପାରୁଥିବା
इमा आपः - ଜଳ ମଧ୍ଯ
अनिमिषम् -ଲଗାତାର
चरं॑तीमः -ପ୍ରବାହିତ
वातस्य ये - ବାୟୁର ଗତି
न प्रमिनंति -ଅତିକ୍ରମଣ ବନ୍ଦ କରିବା
अभ्वम् - ବେଗ ସହିତ
ଅର୍ଥ - ଏହି ମନ୍ତ୍ରରେ ବରୁଣଦେବଙ୍କୁ ସମ୍ବୋଧିତ କରାଯାଇ ଏଥିରେ ତାଙ୍କର ବୈଶିଷ୍ଟ୍ୟ ବର୍ଣ୍ଣନା କରାଯାଇଛି। କୁହାଯାଏ ଯେ ବରୁଣଦେବଙ୍କ ଶାରୀରିକ ଶକ୍ତି,ବୀରତ୍ୱ ଏବଂ କ୍ରୋଧ ର ସମାନତା ଆକାଶରେ ଉଡ଼ୁଥିବା ପକ୍ଷୀମାନେ ମଧ୍ଯ କରିପାରିବେ ନାହିଁ।କ୍ରମାଗତ ଭାବରେ ପ୍ରବାହିତ ଜଳ ମଧ୍ୟ ତାଙ୍କ ଶକ୍ତିକୁ ସ୍ପର୍ଶ କରିପାରିବ ନାହିଁ |ବାୟୁର ଦ୍ରୁତ ଗତି ମଧ୍ୟ ତାଙ୍କ ବେଗକୁ ଅତିକ୍ରମଣ କରିପାରିବ ନାହିଁ।
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