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Writer's pictureAnshul P

RV 1.23.7

Satisfaction is the key to happiness and satisfaction is one of the important qualities of satvagun according to Rig Ved 1.23.7


म॒रुत्वं॑तं हवामह॒ इंद्र॒मा सोम॑पीतये ।

स॒जूर्ग॒णेन॑ तृंपतु ॥

Translation:-


म॒रुत्वं॑तम् - With Marudgans.


आ हवामहे - To call.


इंद्र॒म् - Of Indra.


सोम॑पीतये - To drink Somras.


गणेन स॒जूः - With Marudgans.


तृम्पतु - Satisfied.


Explanation:- In this mantra the Marudgans are described as the gana's or the assistants of Indradev. If Indra is the king, then Marudgans are his soldiers or assistants and they always are near the king.Therefore the Yajmans also invite Marudgans along with Indradev to drink Somras until they feel Satisfied.


Deep meaning:- Satisfaction is the key to happiness and satisfaction is one of the important qualities of satvagun.


#मराठी


ऋग्वेद १.२३.७


म॒रुत्वं॑तं हवामह॒ इंद्र॒मा सोम॑पीतये ।

स॒जूर्ग॒णेन॑ तृंपतु ॥


भाषांतर :-


म॒रुत्वं॑तम् - मरूतां बरोबर।


आ हवामहे - बोलवणे.


इंद्र॒म् - इन्द्रास.


सोम॑पीतये - सोमपाना साठी.


गणेन स॒जूः - मरूदगण सोबत.


तृम्पतु - तृप्त होणे.


भावार्थ :- ह्या मंत्रात मरूदगणांना इन्द्राचे गण किंवा सहायक म्हणून म्हटले आहे. इन्द्र राजा आहेत तर मरूदगण त्यांचे सैनिक किंवा गण आहेत.राजा चे सहायक त्यांचा सोबत असतात. ह्या तथ्या चे अनुषंगाने यजमान इन्द्रां बरोबर मरूदगणांना तृप्त होउन सोम प्राशन करण्या साठी बोलवतात.

गूढार्थ: तृप्ति सुखाची चावी आहे.


#हिंदी



ऋग्वेद १.२३.७


म॒रुत्वं॑तं हवामह॒ इंद्र॒मा सोम॑पीतये ।

स॒जूर्ग॒णेन॑ तृंपतु ॥


अनुवाद :-


म॒रुत्वं॑तम् - मरूतों के साथ।


आ हवामहे - बुलाना।


इंद्र॒म् - इन्द्र को।


सोम॑पीतये - सोमपान के लिए।


गणेन स॒जूः - मरूदगणेँ के साथ।


तृंपतु - तृप्त होना।


भावार्थ :-इस मंत्र में मरूदगण को इंद्र का गण कहा गया है।इंद्र राजा हैं तो मरूदगण उनके सैनिक या गण हुए ।राजा के सहायक उसी के साथ रहते हैं। इसीलिए इसी तथ्य को ध्यान में रखकर इन्द्र के साथ मरूदगणों को भी तृप्त होकर सोमपान के लिए बुलाया गया है।


गूढार्थ:-तृप्त होना आनंद की कुंजी है।


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