Rig Ved 1.24.10
अ॒मी य ऋक्षा॒ निहि॑तास उ॒च्चा नक्तं॒ ददृ॑श्रे॒ कुह॑ चि॒द्दिवे॑युः ।
अद॑ब्धानि॒ वरु॑णस्य व्र॒तानि॑ वि॒चाक॑शच्चं॒द्रमा॒ नक्त॑मेति ॥
Translation:-
अ॒मी - This.
ये - Which.
ऋक्षा॒ - Stars.
निहि॑तासः - Located.
उ॒च्चा - Upper side.
नक्तमि - Night time.
ददृ॑श्रे॒ - Able to see..
कुह॑ चि॒त् - Where.
ईयुः - To go.
अद॑ब्धानि॒ - Unbreakable.
वरु॑णस्य - Varun.
व्र॒तानि॑ - Rule.
वि॒चाक॑शत् - Shine in a special way.
चं॒द्रमाः - Moon.
नक्त॑म् - In the night.
एति - sited.
Explanation:- This mantra says that the stars shine during night time,but disappear in the day.They are located in the sky but they do not bump each other or neither fall down.They rise and set as per their given time.This all is due to glory of Varundev that they follow the rules and timings. His rule is unbreakable which no one can break.
Deep meaning: The regulator has total control over nature,therefore he is
the Ishwar.Stars follow a particular rule,similarly people also should follow the rules mentioned in the Vedas.
#मराठी
ऋग्वेद १.२४.१०
अ॒मी य ऋक्षा॒ निहि॑तास उ॒च्चा नक्तं॒ ददृ॑श्रे॒ कुह॑ चि॒द्दिवे॑युः ।
अद॑ब्धानि॒ वरु॑णस्य व्र॒तानि॑ वि॒चाक॑शच्चं॒द्रमा॒ नक्त॑मेति ॥
भाषांतर :-
अ॒मी - हा.
ये - जे.
ऋक्षा॒ - नक्षत्र.
निहि॑तासः - स्थित आहे.
उ॒च्चा - वरच्या बाजूस.
नक्तं॒ - रात्री ची वेळ.
ददृ॑श्रे॒ - दिसणे.
कुह॑ चि॒त् - कुठे.
ईयुः - जाणे.
अद॑ब्धानि॒ - अटूट आहे.
वरु॑णस्य - वरूण.
व्र॒तानि॑ - नियम.
वि॒चाक॑शत् - विशेष रूपाने चमकने.
चं॒द्रमा॒ - चंद्रमा.
नक्त॑म् - रात्री.
एति - दिसणे किंवा येणे.
भावार्थ :-ह्या मंत्रात म्हटलेले आहे की नक्षत्र रात्रीचे वेळेत चमकतात, पण दिवसात ते अदृश्य होतात.हे आकाशात स्थित आहेत पण कधी ही ते आपसात धडकत नाही,खाली पडत नाही.ते निश्चित वेळात उदय आणि अस्त होतात. हा सगळा वरूण राजा चे प्रताप आहे की हे सर्व नियमीत आणि एका वेळी चालत असतात. वरूणदेवांचा नियम दृढ आहे ज्याला मोडू शकने अशक्य आहे.
गूढार्थ:नियामकचा प्रकृति वर पूर्ण रूपात नियंत्रण होतो,म्हणून तो ईश आहे. नक्षत्र एका नियमानुसार आपला कार्य करत असतात तसे मनुष्याला पण वेद निर्धारित नियमाने जगले पाहिजे.
#हिंदी
ऋग्वेद १.२४.१०
अ॒मी य ऋक्षा॒ निहि॑तास उ॒च्चा नक्तं॒ ददृ॑श्रे॒ कुह॑ चि॒द्दिवे॑युः ।
अद॑ब्धानि॒ वरु॑णस्य व्र॒तानि॑ वि॒चाक॑शच्चं॒द्रमा॒ नक्त॑मेति ॥
अनुवाद :-
अ॒मी - ये।
ये - जो।
ऋक्षाः - नक्षत्र।
निहि॑तासः - स्थित है।
उ॒च्चा - ऊपरी हिस्से में।
नक्तम् - रात के समय।
ददृ॑श्रे॒ - दिखाई पडना।
कुह॑ चि॒त् - कहाँ।
ईयुः - चले जाना।
अद॑ब्धानि॒ - अटूट है।
वरु॑णस्य - वरूण।
व्र॒तानि॑ - नियम।
वि॒चाक॑शत् - विशेष रूप से चमकना।
चं॒द्रमाः - चन्द्रमा।
नक्त॑म् - रात को।
एति - दिखाई पडना या आना।
भावार्थ :-इस मंत्र में कहा गया है कि नक्षत्र रात के समय चमकते हैं पर दिन मेंं अदृश्य हो जाते हैं। ये आकाश मे स्थित हैं पर न कभी टकराते हैं,न गिरते हैँ,समय पर उदित और अस्त भी हो जाते हैं। यह सब वरूण राजा का प्रताप है कि ये सब एक नियमबद्ध और समयबद्ध तरीके से बंधकर चल रहे हैं।वरूणदेव का नियम अटूट है जिसे कोई नहीं तोड सकता।
गूढार्थ:नियामक का प्रकृति पर पूर्ण नियंत्रण होता है इसीलिए वह ईश है। नक्षत्र जैसे एक निर्धारित नियमानुसार चलते हैं,मनुष्य को भी वेद निर्धारित नियमों के अनुसार चलना चाहिए।
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📸Credit-Mahakal_sena
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