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Writer's pictureAnshul P

RV 1.24.13

Updated: Jun 16, 2020

Shruti Bhagwati (Ved) tells us to free ourselves from false Worldly bondages since this World and all its relationships are false and momentary. By devoting ourselves to Parmatma we can get rid of all our sins and pave the path towards ultimate Moksha(Salvation)@ Rig Ved 1.24.13


शुनः॒शेपो॒ ह्यह्व॑द्गृभी॒तस्त्रि॒ष्वा॑दि॒त्यं द्रु॑प॒देषु॑ ब॒द्धः ।

अवै॑नं॒ राजा॒ वरु॑णः ससृज्याद्वि॒द्वाँ अद॑ब्धो॒ वि मु॑मोक्तु॒ पाशा॑न् ॥


Translation:-


शुनः॒शेपो॒ - Shuunh Shep.


हि गृभी॒त - Catch and then tie.


त्रिषु - Three.


आदि॒त्यम् - Aditi's son Varundev.


द्रु॑प॒देषु॑ - Vessel made out of Wood.


ब॒द्धः - Tied.


एनम् - Him.


विद्वान - Intellectuals.


राजा॒ वरु॑णः - Varundev.


अव ससृज्यात - To be free from any tie.


अद॑ब्धः - Always Victorious.


वि मु॑मोक्तु॒ - Cut and free the ties.


पाशा॑न् - Rope.


Explanation:-This mantra is addressed to Varundev. It says that Varundev the son of Aditi, knows the secret to liberation and no one can defeat him. Therefore Shuun Shep worshiped him through offerings and could free himself.There are three types of bondages- Spiritual, metaphysical and Ephemeral or Supernatural.People stray on these three paths.But if they pray to Varundev they can rid themselves from the sins and can traverse towards the path of ultimate Salvation.



Deep meaning:- Shruti Bhagwati (Ved) tells us to free ourselves from false Worldly bondages since this World and all its relationships are false and momentary. By devoting ourselves to Parmatma we can get rid of all our sins and pave the path towards ultimate Moksha(Salvation).



📸Credit-hindu_samrajya_


#मराठी


ऋग्वेद १.२४.१३


शुनः॒शेपो॒ ह्यह्व॑द्गृभी॒तस्त्रि॒ष्वा॑दि॒त्यं द्रु॑प॒देषु॑ ब॒द्धः ।

अवै॑नं॒ राजा॒ वरु॑णः ससृज्याद्वि॒द्वाँ अद॑ब्धो॒ वि मु॑मोक्तु॒ पाशा॑न् ॥


भाषांतर :-


शुनः॒ शेपो॒ - शुनःशेप।


हि गृभित - पकडून बांधला.


त्रिषु - तीन।


आदि॒त्यम् - अदिति पुत्र वरूण.


द्रु॑प॒देषु॑ - लाकडी ने बनवून घेतला एक पात्र।


ब॒द्धः - बांधला.


एनम् - ह्यास.


राजा॒ वरु॑णः - वरूणदेव.


अव ससृज्यात - बंधन मुक्त होणे.


विद्वान - ज्ञात करून घेणे.


अद॑ब्धः - अजेय.


वि मु॑मोक्तु॒ - कापून मुक्त करणे.


पाशा॑न् - बांधणारी रस्सी.


भावार्थ :- ह्या मंत्रात अदिति पुत्र वरूणदेवांना आवाहन करून म्हटले आहे की त्याना बंधन पासून मुक्ति देण्याचे रहस्य माहित आहे.आता पर्यंत ते कधीही पराजित झाले नाहित. म्हणून शुनःशेप ने त्याना आहूत करून स्वतः ला बंधनातून मुक्त केले.इकडे तीन प्रकाराचे बंधन असतात -आध्यात्मिक,आधिभौतिक आणि आधिदैविक. हे तीन्ही बंधनांचा त्रासात जकडलेला कुमार्गी जेंव्हा वरूणदेवांची प्रार्थना करतो तर तो पाप मुक्त होउन दुःखातून मुक्त होतो.


गूढार्थ: श्रुति भगवती(वेद) आम्हास मिथ्या बंधनातून मुक्त व्हायला सांगतात. कारण की हे सांसारिक बंधन मिथ्या आहेत, क्षणिक आहेत. ईश्वर ची भक्ती द्वारे आम्हाला मोक्षाचा मार्ग प्रशस्त करायचा असतो कारण ईश्वरच सत्य आहे.


#हिंदी


ऋग्वेद १.२४.१३


शुनः॒शेपो॒ ह्यह्व॑द्गृभी॒तस्त्रि॒ष्वा॑दि॒त्यं द्रु॑प॒देषु॑ ब॒द्धः ।

अवै॑नं॒ राजा॒ वरु॑णः ससृज्याद्वि॒द्वाँ अद॑ब्धो॒ वि मु॑मोक्तु॒ पाशा॑न् ॥


अनुवाद :-


शुनः॒ शेपो॒ - शुनःशेप


अह्व॑त् - आहूत करना।


हि गृभी॒त - पकडकर बांधना।


त्रिषु - तीन।


आदि॒त्यं - अदिति पुत्र वरूण।


द्रु॑प॒देषु॑ - लकडी़ से निर्मित पात्र।


ब॒द्धः - बांधना।


एनम् - इसको।


राजा॒ वरु॑णः - राजा वरूण।


अव ससृज्यात - बंधन मुक्त होना।


विद्वान् - जानने वाले।


अद॑ब्धः - अजेय।


वि मु॑मोक्तु॒ - काटकर मुक्त करना।


पाशा॑न् - बांधने वाली रस्सी।


भावार्थ :-इस मंत्र में अदिति पुत्र वरूणदेव का आवाहन करते हुए कहा गया है कि वे बंधन से मुक्ति दिलानेवाले रहस्य को जानते हैं और कभी कोई भी उन्हें पराजित नहीं कर पाया है।अतः शुनःशेप ने उन्हे आहूत कर अपने को बंधन मुक्त किया।

यहां तीन प्रकार के बंधन हैं- आध्यात्मिक, आधिभौतिक और आधिदैविक।इन तीनों प्रकार की पीडाओं में बंधा हुआ कुमार्गगामी भी जब परमात्मा की प्रार्थना करता है तो वह पाप के पाश से मुक्त होकर दुःख से भी मुक्ति पाता है।


गूढार्थ: श्रुति भगवती(वेद) हमें मिथ्या बंधनों से मुक्त होने को कह रही हैं क्योंकि यह सांसारिक बंधन मिथ्या है ,क्षणिक हैं।ईश्वर की भक्ति द्वारा हमें अपने मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करना है क्योंकि ईश्वर ही सत्य है।





📸Credit-hindu_samrajya_

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