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RV 1.24.8

  • Writer: Anshul P
    Anshul P
  • Jun 11, 2020
  • 2 min read

Scientific touch has been given, Here Shruti Bhagwati(Ved) is trying to highlight about Scattering of Sunlight @ Rig Ved 1.24.8


उ॒रुं हि राजा॒ वरु॑णश्च॒कार॒ सूर्या॑य॒ पंथा॒मन्वे॑त॒वा उ॑ ।

अ॒पदे॒ पादा॒ प्रति॑धातवेऽकरु॒ताप॑व॒क्ता हृ॑दया॒विध॑श्चित् ॥


Translation:


उ॒रुम् - Spread all around.


वरु॑णः राजा - King Varun.


चकार॒ - Done.


सूर्या॑य॒ हि - Sun is known to.


पंथा॒म् - Path.


अनु एत॒वे उ - Time of Sunrise and Sunset.


उ॑रूम - Without doubt.


अ॒पदे॒ - Space where no legs have ever walked.


पादा॒ - Legs.


प्रति॑धातवे - To keep.


अकः - Building a path.

अपवक्ता - Ordered not to be done.


हृ॑दया॒विध॑श्चित् - Enemy who causes grief.



Explanation:- This mantra is written in praise of Varundev. It says that it is Varundev who decides the time for Sunrise and Sunset in space since he has created its path.He also has fixed a place for wind(Vaayu)to flow.


Deep meaning:- Scientific touch has been given, Here Shruti Bhagwati(Ved) is trying to highlight about Scattering of Sunlight.




#मराठी



ऋग्वेद १.२४.८


उ॒रुं हि राजा॒ वरु॑णश्च॒कार॒ सूर्या॑य॒ पंथा॒मन्वे॑त॒वा उ॑ ।

अ॒पदे॒ पादा॒ प्रति॑धातवेऽकरु॒ताप॑व॒क्ता हृ॑दया॒विध॑श्चित् ॥



भाषांतर :


उ॒रुम् - पसरलेला.


वरु॑णः राजा - वरूण राजा ने.


चकार॒ - केलेला आहे.


सूर्या॑य॒ हि - सुर्याच्या प्रसिद्ध.


पंथा॒म् - मार्ग.


अनु एत॒वे उ - सूर्योदय आणि सूर्यास्ताच्या वेळी.


उ॑त - निःसंदेह.


अ॒पदे॒ - पाद रहित अंतरिक्षात.


पादा॒ - पाव.


प्रति॑धातवे - ठेवण्या साठी.


अकः - मार्गाचे निर्माण.


अप॑व॒क्ता - नाही करण्याची आज्ञा देणे.


हृ॑दया॒विध॑श्चित् - हृदयी कष्ट देणारे शत्रू.



भावार्थ :-ह्या मंत्रात वरूणदेवची स्तुति करून म्हटलेले आहे की वरूणदेवानी सूर्याचे उदय आणि अस्ताचे मार्ग निर्मित केले आहे.त्यानी वायूच्या संचारा साठी पण मार्गाचे निर्माण केलेला आहे.


गूढार्थ: येथे विज्ञान आहे, सूर्याच्या किरणांचे विखुरलेले असे म्हटले आहे. वरूणदेव नी सज्जनां साठी पृथ्वी वर मार्ग सुनिश्चित केलेला आहे आणि दुर्जनांना चांगल्या सत् च्या मार्गी चालण्या साठी प्रेरित केलेला आहे.




#हिंदी


ऋग्वेद १.२४.८


उ॒रुं हि राजा॒ वरु॑णश्च॒कार॒ सूर्या॑य॒ पंथा॒मन्वे॑त॒वा उ॑ ।

अ॒पदे॒ पादा॒ प्रति॑धातवेऽकरु॒ताप॑व॒क्ता हृ॑दया॒विध॑श्चित् ॥





अनुवाद:


उ॒रुम् - विस्तीर्ण।


वरु॑णः राजा - वरूण राजा ने।


चकार॒ - किया है।


सूर्या॑य॒ हि - सूर्य के सुप्रसिद्ध।


पंथा॒म् - रास्ते या मार्ग को।


अनु एत॒वै उ - उदय और अस्त के समय।


उ॑त - निःसंदेह।


अ॒पदे॒ - पाद रहित अंतरिक्ष में।


पादा॒ - पैर।


प्रति॑धातवे - रखने हेतु।


अकः - रास्ते या मार्ग का निर्माण।


अप॑व॒क्ता - न करने की आज्ञा देना।


हृ॑दया॒विध॑श्चित् - हृदय को कष्ट पहुँचाने वाले शत्रु।



भावार्थ :-इस मंत्र में वरूणदेव की स्तुति करते हुए कहा गया है कि वरूणदेव ने ही सूर्य के आवागमन या उदय होने और अस्त होने के लिए अंतरिक्ष में मार्ग बनाया है। उन्होंने वायु के संचार का स्थान भी निर्मित किया है।


गूढार्थ: यहाँ विज्ञान है, सूर्य की किरणों का बिखराव के बारे में समझाया गया है। और दूसरा गूढार्थ यह है कि वरूणदेव ने सज्जनो के लिए पृथ्वी पर चलने का मार्ग सुनिश्चित किया है, साथ ही दुर्जनों को सत्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।



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📸Credit-Hindu.ist

 
 
 

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