Shruti Bhagwati Ved says that we should lead our life as per rules mentioned in Vedas in a disciplined way @ Rig Ved 1.25.1
यच्चि॒द्धि ते॒ विशो॑ यथा॒ प्र दे॑व वरुण व्र॒तं ।
मि॒नी॒मसि॒ द्यवि॑द्यवि ॥
Translation:-
ते यत् चित्त - Whatever You give.
विशः - Subjects(people) .
यथा॒ - In that way.
हि - Also.
वरुण देव - Oh Varundev!
व्र॒तम् - Rules.
प्र मिनी॒मसि॒ - Laxity.
द्यविद्यवि - Every day.
Explanation:- This mantra is addressed to Varundev. It says that certain people on this earth show laxity in following the rules of Varundev. Similarly we too definitely overlook the rules sometimes. We request Varundev to bestow his grace on us in such instances.
Deep meaning: Shruti Bhagwati Ved says that we should lead our life as per rules mentioned in Vedas in a disciplined way.
#मराठी
ऋग्वेद १.२५.१
यच्चि॒द्धि ते॒ विशो॑ यथा॒ प्र दे॑व वरुण व्र॒तं ।
मि॒नी॒मसि॒ द्यवि॑द्यवि ॥
अनुवाद :-
ते यत् चित्त - आपले जे काही.
विशः - प्रजा.
यथा॒ - ज्या प्रकारे.
वरुण देव - हे वरूणदेव!
व्र॒तम् - नियम.
हि - पण.
प्र मिनीमसि॒ - प्रमाद करणे.
द्यवि॑द्यवि - प्रतिदिन.
भावार्थ- ह्या मंत्रात म्हटलेले आहे की ज्या प्रकारे संसाराचे अन्य लोक वरूणदेव ह्यांचे नियम चे पालन करण्यात प्रमाद करतात, अाम्ही पण अवश्य प्रमाद करताे.तरी ही वरूणदेवांना आम्हा वर कृपा करावी.
गूढार्थ:- श्रुति भगवती म्हणतात की आम्हाला आपला आयुष्य वेद ने सांगितलेले नियमानुसार अनुशासित प्रकारे जगले पाहिजे.
#हिंदी
ऋग्वेद १.२५.१
यच्चि॒द्धि ते॒ विशो॑ यथा॒ प्र दे॑व वरुण व्र॒तं ।
मि॒नी॒मसि॒ द्यवि॑द्यवि ॥
अनुवाद :-
ते यत्त चित्त - आपके जो कुछ।
विशः - प्रजा।
हि - भी।
यथा॒ - जिस प्रकार।
वरुण देव - हे वरूणदेव!
व्र॒तम् - नियम।
प्र नी॒मसि॒ - प्रमाद करना।
द्यवि॑द्यवि - प्रतिदिन।
भावार्थ :-इस मंत्र में कहा गया है कि जिस प्रकार संसार के अन्य लोग वरूणदेव के नियम पालन में प्रमाद करते हैं,हम भी उसी प्रकार प्रमाद अवश्य करते हैं।वरूणदेव से फिर भी कृपा बनाए रखने का आग्रह किया गया है।
गूढार्थ:-श्रुति भगवती कहती हैं कि हमें वेद के बताए गए नियमों का पालन अनुशासित ढंग से करना चाहिए।
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