Here the scientific basis of composition and combination of Hindu/Sanatan calendar is mentioned, wherein every third year an extra month is added to complete the calendar @ Rig Ved 1.25.8
वेद॑ मा॒सो धृ॒तव्र॑तो॒ द्वाद॑श प्र॒जाव॑तः ।
वेदा॒ य उ॑प॒जाय॑ते ॥
Translation:-
वेद॑ - To know.
धृ॒तव्र॑तः - The creator of rules and regulations.
द्वाद॑श मासः - For twelve months.
प्र॒जाव॑तः - With people(subjects).
यः - Which.
उ॑प॒ जाय॑ते - To Produce.
Explanation:-This mantra is addressed to Varundev. It says that Varundev knows about twelve months that fall from Chaitra to Falgun. He also is aware about the extra month added after every three years, He also knows about the products which can be produced in every consecutive month.
Deep meaning:- Here the scientific basis of composition and combination of Hindu/Sanatan calendar is mentioned, wherein every third year an extra month is added to complete the calendar. And Since the creator of everything is Parmatma, he is aware also of the secrets of nature.
#मराठी
ऋग्वेद १.२५.८
वेद॑ मा॒सो धृ॒तव्र॑तो॒ द्वाद॑श प्र॒जाव॑तः ।
वेदा॒ य उ॑प॒जाय॑ते ॥
भाषांतर :-
धृ॒तव्र॑तः - व्रत आणि नियम धारण करणारे.
द्वाद॑श मासः - बारा महिन्याचा.
प्र॒जाव॑तः - प्रजा बरोबर.
वेद - ज्ञात होणे.
यः - जे.
उ॑प॒ जाय॑ते - उत्पन्न होणे.
भावार्थ :-ह्या मंत्रात म्हटलेले आहे की वरूणदेवांना प्रत्येक महिन्यात उत्पन्न होणारी प्रजेची माहिती असते.त्यांना चैत्र मास ते फाल्गुन मास पर्यंत माहित होण्याचे व्यतिरिक्त प्रत्येक तीन वर्ष नंतर येणारे अधिक मासाची पण माहिती आहे.अर्थात कोण्त्या महिन्यात काय आणि कधी उत्पन्न होण्याची माहिती त्यांना असते.
गूढार्थ:इथे हिन्दु दिनदर्शिकेच्या संयोजन चा वैज्ञानिक आधाराला दर्शवले आहे जिकडे प्रत्येक तीसर्या वर्षी अधिक मास असतो म्हणजे मागच्या वर्षा चे राहिलेले दिवस जोडून त्याला पूर्णता देण्यात येते।आणि ह्या संसाराची रचना करणारे परमात्मा ना संसारा चा प्रत्येक रहस्य माहितच आहे।
#हिंदी
ऋग्वेद १.२५.८
वेद॑ मा॒सो धृ॒तव्र॑तो॒ द्वाद॑श प्र॒जाव॑तः ।
वेदा॒ य उ॑प॒जाय॑ते ॥
अनुवाद :-
धृ॒तव्र॑तः - व्रत या नियम का धारण करनेवाले ।
द्वाद॑श मासः - बारह महीने का।
प्र॒जाव॑तः - प्रजा के साथ।
वेद - जानना।
यः - जो।
उ॑प॒ जाय॑ते - उत्पन्न होना।
भावार्थ :-इस मंत्र में कहा गया है कि वरूणदेव को प्रत्येक माह में उत्पन्न होने वाली प्रजा की जानकारी है।उन्हे चैत्र से फाल्गुन मास के महीने के अलावा प्रत्येक तीन साल में आनेवाले अधिक मास की भी जानकारी है।अर्थात किस माह में क्या और कब उत्पन्न होगा यह उन्हें पता है।
गूढार्थ:- इसमें हिन्दु दिनदर्शिका (कैलेण्डर) के संयोजन का वैज्ञानिक आधार बताया गया है जहां प्रत्येक तीसरे वर्ष में अधिक मास के कारण विगत वर्षों के बचे हुए दिन जोडकर पूर्णता दी जाती है।उसी तरह परमात्मा ने ही संसार की उत्पति की है,वे संसार के प्राकृतिक रहस्यों को जानते हैं।
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