VEDIC KNOWLEDGE ENHANCES INTELLIGENCE AND CLEANSES DIRT
Rigved 1.27.11
Here the Stuti or Praise of Parmatma is highlighted. Parmatma is Gunatit or above any guun or quality. He is like an Ocean of Guun. This Universe or Brahmand is made out of Rajoguun, Tamoguun and Satoguun. Here Parmatma is requested to give Strength and Intelligence or Budhi.Intelligence illuminates our inner self.Just as diamond becomes transparent when sunlight falls on it similarly when the atma illuminates our intelligence, then both our body and inner self shine.When there is dirt on it, It will never shine.
स नो॑ म॒हाँ अ॑निमा॒नो धू॒मके॑तुः पुरुश्चं॒द्रः ।
धि॒ये वाजा॑य हिन्वतु ॥
Translation:
सः - He.
महान् - Great.
अनिमान - Limitless.
धूमकेतुः - Made known through Dhoom.
पुरूश्चंद्रः - Glorious or Magnificent.
नः - We.
घिये - Intelligence.
वाजाय - For strength.
हिन्वतु - To inspire.
भावार्थ:Here many more qualities of Agnidev are enumerated. He is great,has numerous qualities, He is big and glorious as well as Magnificent. So Yajmans pray to Agnidev who is qualitatively so superior, to provide them Strength and Intelligence.
Deep meaning : Here the stuti or Praise of Parmatma is highlighted. Parmatma is Gunatit or above any guun or quality. He is like an Ocean of Guun.This Universe or Brahmand is made out of Rajoguun, Tamoguun and Satoguun. Here Parmatma is requested to give Strength and Intelligence or Budhi.Intelligence illuminates our inner self.Just as diamond becomes transparent when sunlight falls on it similarly when the atma illuminates our intelligence, then both our body and inner self shine.When there is dirt on it,it will never shine.
#मराठी
ऋग्वेद १.२७.११
स नो॑ म॒हाँ अ॑निमा॒नो धू॒मके॑तुः पुरुश्चं॒द्रः ।
धि॒ये वाजा॑य हिन्वतु ॥
भाषांतर :
सः - ते.
महान् - महान.
अनिमान - अपरिमेय.
धूमकेतुः - धूमा द्वारे ज्ञेय.
पुरूश्चंद्रः - तेजस्वी.
नः - आम्ही.
घिये - बुद्धि
वाजाय - बळा साठी.
हिन्वतु - प्रेरित करणे.
भावार्थ:इथे अग्निदेवांची अनेक वैशिष्ठ्ये सांगितलेली गेली आहेत.ते महान आहेत, गुणयुक्त आहेत,मोठे आहेत,अपरिछिन्न आहेत,समजूतदार आणि तेजस्वी आहेत.अशी गुणधर्मयुक्त अग्निदेवांना यजमान प्रार्थना करत आहेत की त्याने आम्हास बळ आणि बुद्धी देउन प्रेरित करावे.
गूढार्थ: इथे परमात्माची स्तुतिंचा प्रकरण आहे.प्रभू गुणातीत आहेत,गुणांचे सागर आहेत.ब्रह्मांडाची रचना रजोगुण, तमोगुण आणि सतोगुण पासून झाली आहे.इथे परमात्मांना बुद्धी आणि बळ प्रदान करण्यासाठी म्हटले आहे.बुद्धी अंतःकरणाला प्रकाशित करते.जशी हीरा ह्याचावर सूर्याची किरण पडल्यावर तो पारदर्शी दिसतो,तर आत्माचे प्रकाश बुद्धी वर पडल्यास शरीर आणि अंतःकरण, दोन्ही प्रकाशित होतात.मलिनत्व असणार तर प्रकाश तिथे जात नाही.
# हिन्दी
ऋग्वेद १.२७.११
स नो॑ म॒हाँ अ॑निमा॒नो धू॒मके॑तुः पुरुश्चं॒द्रः ।
धि॒ये वाजा॑य हिन्वतु ॥
अनुवाद :
सः - वह।
महान् - महान।
अनिमान - अपरिमेय।
धूमकेतुः - धूम के द्वारा ज्ञेय।
पुरूश्चंद्रः - तेजस्वी।
नः - हमें।
घिये - बुद्धि।
वाजाय - बल के लिए।
हिन्वतु - प्रेरित करना।
भावार्थ: यहां पर अग्निदेव की अनेकों विशेषताओं का वर्णन है।वे महान हैं,गुणवान हैं,बडे़ हैं,अपरिछिन्न हैं,धूमध्वज या धूम के झण्डे वाले या जानने योग्य और तेजस्वी हैं।ऐसे गुणधर्म युक्त अग्निदेव को यजमान प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें बल और बुद्धि देकर प्रेरित करें।
गूढार्थ: यहां भगवान की स्तुति का प्रकरण है। वे तो गुणातीत हैं, गुण के सागर हैं। ब्रह्माण्ड की रचना रजोगुण, तमोगुण और सतोगुण से हुई है। यहां उनसे बुद्धि और बल प्रदान करने के लिए कहा जा रहा है। बुद्धि अंतःकरण को प्रकाशित करती है। जैसे सूर्य की किरणें जब हीरे पर पडती हैं तब वह पारदर्शी हो जाता है। तो आत्मा का प्रकाश जब बुद्धि पर पडता है तो शरीर और अंतःकरण दोनो प्रकाशित होते है। मलिनता होगी तो प्रकाश आगे नहीं जाएगा।
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