COWS MILK KEEPS YOU HEALTHY AND COW ITSELF MAKES YOU WEALTHY IN TRUE SENSE.
Rig Ved 1.30.13
Traditionally Cows milk has been considered healthy in our country. Cow was considered as an most accomplished wealth then also and today too. Milk is essential for the physical growth of our body.We remain healthy. Raghuvansh Kavyam mentions that Maharaj Dilip also did Gau seva. That is why they should be cultivated and promoted. Devmata Aditi is compared to Gaumata in Yajurved.
रे॒वती॑र्नः सध॒माद॒ इंद्रे॑ संतु तु॒विवा॑जाः ।
क्षु॒मंतो॒ याभि॒र्मदे॑म ॥
Translation :
क्षुमन्तः - With foodgrains.
याभिः - With Cows.
मदेम - To be happy.
इन्द्रे - Of Indra.
सधमादे - Ours on we feeling happy.
नः - Ours.
रेवतीः - Wealth in the form of milk and its products.
तुविवाजाः - With necessary strength.
सन्तु - To be.
Explanation: It is Indradev's grace that we are happy to have all this wealth in the form of foodgrains. We request him to let our Cows produce more of milk and ghee.
Deep meaning: Traditionally Cows milk has been considered healthy in our country. Cow was considered as an most accomplished wealth then also and today too. Milk is essential for the physical growth of our body.We remain healthy. Raghuvansh Kavyam mentions that Maharaj Dilip also did Gau seva. That is why they should be cultivated and promoted. Devmata Aditi is compared to Gaumata in Yajurved.
📸Credit-jai_shree_radhe_krishnaaa
#मराठी
ऋग्वेद १.३०.१३
रे॒वती॑र्नः सध॒माद॒ इंद्रे॑ संतु तु॒विवा॑जाः ।
क्षु॒मंतो॒ याभि॒र्मदे॑म ॥
भाषांतर :
क्षुमन्तः - अन्नयुक्त.
याभिः - गाईं बरोबर.
मदेम - आनंदित होणे.
इन्द्रे - इन्द्रांना बरोबर.
सधमादे - प्रसन्न होॆण्यावर आमची.
नः - आमची.
रेवतीः - दुग्धादि कबरीची धन.
तुविवाजाः - आवश्यक बल सहित.
सन्तु - होणे.
भावार्थ: ज्या इन्ददेवाच्या कृपेने आम्ही भरपूर धनधान्य मिळवून आनंदित होतो, त्यांना निवेदन आहे की त्यांने आम्हास भरपूर दूधतूप देणारी गाई उपलब्ध करून द्याव्या.
गूढार्थ: परंपरागत रूपाने आमच्या देशात गाईचे दूध पौष्टिक मानले आहेत.तिला परम धन मानतात. भौतिक शरीरास पुष्ठ करण्यासाठी पण दूध आवश्यक आहे,लोक निरोगी राहतात. रघुवंश काव्या मध्ये पण महाराज दिलीपांना गाईची सेवा करत होते,अशा प्रकारे लिहिले आहे.म्हणून त्यांचा संवर्धन केले पाहिजे.यजुर्वेदात पण ह्याचे वर्णन आहे।देवमाता अदिति ची तुलना गाईशी केली आहे.
#हिन्दी
ऋग्वेद १.३०.१३
रे॒वती॑र्नः सध॒माद॒ इंद्रे॑ संतु तु॒विवा॑जाः ।
क्षु॒मंतो॒ याभि॒र्मदे॑म ॥
अनुवाद:
क्षुमन्तः - अन्नयुक्त।
याभिः - गौवों के साथ।
मदेम - आनंदित होना।
इन्द्रे - इन्द्र के।
सधमादे - प्रसन्न होने पर हमारी।
नः - हमारी।
रेवतीः - दुग्धादि के रूप में धन।
तुविवाजाः - आवश्यक बल सहित।
सन्तु - हों।
भावार्थ: जिन इन्द्रदेव की कृपा से हम भरपूर धनधान्य पाकर प्रफुल्लित होते हैं उनसे निवेदन है कि हमें प्रचुर मात्रा में हमारी गौवें घी और दूध देनेवाली हों।
गूढार्थ: परंपरागत रूप से गाय का दूध हमारे देश में पौष्टिक माना गया हेै।परम धन गाय को माना जाता था आज भी माना जाता है। भौतिक शरीर को पुष्ट करने के लिए भी आवश्यक है। लोग निरोग रहते थे।रघुवंश काव्यम में लिखा है कि महाराज दिलीप भी गाय की सेवा करते थे। इसलिए उनका संवर्धन करना चाहिए। यजुर्वेद में भी इसका वर्णन है।देवमाता अदिति की तुलना गाय से की गई है।
Comments