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RV 1.30.18


YOUR INNER SELF AND YOGIC SCIENCES.


Rig Ved 1.30.18


During that period Ashwini Kumars were the medicinal experts and surgeons. Science was developed at par with today. Here they have discussed yoga which is considered as science. Physical yoga presents itself with physical things that can connect earth with space, but spiritual yoga helps you control speed of your mind so that you enable yourself to travel out of gravity circle and look into faraway countries. This is a scientific fact. Also it enables your inner self to meet the supreme self that is Parmatma which then makes you sinless.


स॒मा॒नयो॑जनो॒ हि वाँ॒ रथो॑ दस्रा॒वम॑र्त्यः ।,

स॒मु॒द्रे अ॑श्वि॒नेय॑ते ॥


Translation :


दस्त्रौ - Oh Ashwini Kumars!


वाम् - Of both of You.


रथः - Chariot.


समानयोजनः - With Comparable plans.


अर्मत्य - Indestructible.


अश्विना - Oh Ashwini Kumars!


हि - Because.


समुद्रे - In Space.


ईयते - To go.



Explanation :This mantra is addressed to Ashwini Kumars.It describes their chariot as indestructible and with comparable plans.It runs on high speed because it travels into the space.


Deep meaning:- During that period Ashwini Kumars were the medicinal experts and surgeons. Science was developed at par with today. Here they have discussed yoga which is considered as science. Physical yoga presents itself with physical things that can connect earth with space, but spiritual yoga helps you control speed of your mind so that you enable yourself to travel out of gravity circle and look into faraway countries. This is a scientific fact. Also it enables your inner self to meet the supreme self that is Parmatma which then makes you sinless.




#मराठी


ऋग्वेद १.३०.१८


स॒मा॒नयो॑जनो॒ हि वाँ॒ रथो॑ दस्रा॒वम॑र्त्यः ।,

स॒मु॒द्रे अ॑श्वि॒नेय॑ते ॥


भाषांतर:


दस्त्रौ - हे अश्विन कुमारानो!


वाम् - आपण दोघांचा.


रथः - रथ.


समानयोजनः - तुल्य योजनेचा.


अर्मत्य - अविनाशी.


अश्विना - हे अश्विन कुमारीने!


हि - म्हणून.


समुद्रे - अंतरिक्षात.


ईयते - जाणे.


भावार्थ: ह्या मंत्रात अश्विनी कुमारांना संबोधित करून म्हणत आहे की त्या दोघांचे रथ समयोजनी व अविनाशी आहे. ते अंतरिक्षात धावणारे असल्यामुळे खूप जलद गतिने जातात.


गूढार्थ:अश्विनी कुमार त्या काळातील औषधी विशेषज्ञ होते,म्हणजे विज्ञान पण उन्नत होता.इथे योग विद्या बद्दल बोलला गेला आहे,जे विज्ञानच आहे.भौतिक योग विज्ञान द्वारे भौतिक वस्तुंच्या माध्यमे धरती अंतरिक्ष इत्यादि ना जोडतो,परंतु आध्यात्मिक योग विज्ञान मनाची गति नियंत्रित करून गुरूत्वाकर्षण वर बंदी घालून पुढे घेउन जातो.म्हणजे देवता कुठल्या पण लोकात विचरण करू शकत होते.दूसरे म्हणजे आम्हाला अंतरध्यानाचा माध्यमातून दूसरे राष्ट्रांचा पण अवलोकन करता येइल. हा वैज्ञानिक तथ्य आहे. इथे व्यष्ठि आणि समष्ठिचा मेळ दाखवलेला आहे ज्याने आम्ही निर्विकार होउ शकतो.




#हिन्दी


ऋग्वेद १.३०.१८


स॒मा॒नयो॑जनो॒ हि वाँ॒ रथो॑ दस्रा॒वम॑र्त्यः ।,

स॒मु॒द्रे अ॑श्वि॒नेय॑ते ॥


अनुवाद:


दस्त्रौ - हे अश्विनो!


वाम् - आप दोनों का।


रथः - रथ।


समानयोजनः - तुल्य योजना वाला।


अर्मत्य - अविनाशी।


अश्विना - हे अश्विनो !


हि - क्योंकि।


समुद्रे - अंतरिक्ष में।


ईयते - जाना।


भावार्थ:इस मंत्र में अश्विनी कुमारों को संबोधित करते हुए कहा गया है कि आप दोनो का रथ तुल्य योजना वाला और अविनाशी है। वह अप्रतिहत गति वाला है क्योंकि वह अंतरिक्ष में जाता है।


गूढार्थ: अश्विनी कुमार उस काल के औषधि विशेषज्ञ थे।उस समय विज्ञान इतना उन्नत था।यहां योग विद्या की बात हो रही है,जिसको विज्ञान माना गया है।भौतिक योग विज्ञान, भौतिक वस्तुओं से धरती, अंतरिक्ष आदि को जोडता है,परंतु आध्यात्मिक योग विज्ञान मन की गति को नियंत्रित करके गुरूत्वाकर्षण से परे हटकर आगे ले जाता है।इसके फलस्वरूप आप किसी भी लोक का विचरण कर सकते हैं। दूसरा यह भी तथ्य है कि हम अंतरध्यान के माध्यम से दूर के देशों को देख सकते हैँ। यह विशुद्ध रूप से वैज्ञानिक तथ्य है।यहां व्यष्ठि से समष्ठि का मिलना भी दर्शाया गया है जिससे हम निर्विकार हो जाते हैं।


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