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Writer's pictureAnshul P

RV 1.30.20

Updated: Sep 8, 2020


MORNINGS ARE SACRED TIME TO PERFORM YOUR KARMA'S.


Rig Ved 1.30.20


Morning time is considered to be Brahm muhurat when all the sorroundings are calm and quiet. If we think about Parmatma during this time then it is very beneficial. This is the best time for students to study,for farmers and workers to work. The first rays of the sun carry with them some healthy medicinal and beneficial factors.This is the time to bathe, pray and meditate.Here Usha is praised but actually Vidya devi is being worshipped here.


कस्त॑ उषः कधप्रिये भु॒जे मर्तो॑ अमर्त्ये ।

कं न॑क्षसे विभावरि ॥


Translation :


कधप्रिये - Oh the one appreciating Praises!


अमर्त्य - Oh the immortal One!


उषः - Morning Goddess or Devi.


ते - Yours.


भुजे - To relish.


कः - Who.


मर्तः - Humans.


विभावरि - Oh the one with special glory!


कम् - Whose.


नक्षसे - To get.


Explanation : Oh the Praise worthy,immortal, radiant One Usha!Who ever can get your favour! To whom can you shower your favour? This means that due to faults like laziness it is impossible to take her favour completely.


Deep meaning: Morning time is considered to be Brahm muhurat when all the sorroundings are calm and quiet. If we think about Parmatma during this time then it is very beneficial. This is the best time for students to study,for farmers and workers to work. The first rays of the sun carry with them some healthy medicinal and beneficial factors.This is the time to bathe, pray and meditate.Here Usha is praised but actually Vidya devi is being worshipped here.



#मराठी


ऋग्वेद १.३०.२०


कस्त॑ उषः कधप्रिये भु॒जे मर्तो॑ अमर्त्ये ।

कं न॑क्षसे विभावरि ॥


भाषांतर :


कधप्रिये - हे स्तुति प्रिये!


अमर्त्य - हे मरण रहिते!


उषः - उषः काळाची देवी!


ते - तुमचे.


भुजे - अनुदाना करिता.


कः - कोण.


मर्तः - मनुष्य.


विभावरि - हे विशेष प्रभा युक्त !


कम् - कुणाला.


नक्षसे - प्राप्त होणे.


भावार्थ: हे स्तुति प्रिय, तेजोमयी अमर उषे!कोण मनुष्य आपले अनुदान प्राप्त करू शकतो? आपण कुणास प्राप्त होणार? अर्थात मनुष्य आळस ह्या दोषा मुळे आपला पूर्णपणे लाभ प्राप्त करण्यास असमर्थ आहे.


गूढार्थ: ह्या ब्रह्म मुहुर्त पण म्हणतात, तेंव्हा वातावरण एकदम शांत असतो.ह्या वेळी जर आम्ही आपले मन परमात्मा कडे केल्यावर खूप लाभ होत असतो.विद्यार्थी साठी अध्ययनाचा,किसान आणि मजदूर साठी परिश्रमा साठी ही वेळ फायदेशीर असते.सूर्याची प्रथम किरणांनी अनेक प्रकाराचे रस पडल्याने त्या मधले औषधीय लाभकारी गुण असतात. हा स्नान ध्यान आणि तप करण्याची वेळ असते.इथे उषाला आधार बनवून विद्या माताची वंदना केली आहे.




#हिन्दी


ऋग्वेद १.३०.२०


कस्त॑ उषः कधप्रिये भु॒जे मर्तो॑ अमर्त्ये ।

कं न॑क्षसे विभावरि ॥


अनुवाद:


कधप्रिये - हे स्तुति प्रिये!


अमर्त्य - हे मरणरहिते!


उषः - उषःकाल की देवी!


ते - तुम्हारे।


भुजे - अनुदान के लिए।


कः - कौन।


मर्तः - मनुष्य।


विभावरि - हे विशेष प्रभा युक्त"


कम् - किसे।


नक्षसे - प्राप्त होना।


भावार्थ:हे स्तुति प्रिय,तेजोमयी अमर उषे!कौन मनुष्य आपका अनुदान प्राप्त कर सकता है?किसे आप प्राप्त होती हैं?अर्थात् मनुष्य आलस्यादि दोषों के कारण आपका पूर्णतया लाभ प्राप्त नहीं कर पाते।


गूढार्थ: इसको ब्रह्म मुहुर्त कहते हैं जब वातावरण बिल्कुल शांत होता है। ऐसे में मन अगर परमात्मा की तरफ जाए तो बहुत लाभ होता है। विद्यार्थी के लिए अध्ययन का अनुकूल समय, किसान और मजदूर के लिए मेहनत का समय यही उत्तम है। सूर्य की प्रथम रश्मियाँ अनेक प्रकार के रसों के साथ पडती हैं जिनमें बहुत से औषधीय तथा लाभकारी गुण होते हैं। यह स्नान,ध्यान और तप का समय होता है।इसलिए उषा को आधार बनाकर वास्तव में विद्या माता की बात कही गई है। उनकी ही वंदना की गई है।



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