top of page
Search
  • Writer's pictureAnshul P

RV 1.33.2

Updated: Oct 27, 2020


SPIRITUAL AWAKENING GIVES YOU PARMANAND.


Rig Ved 1.33.2


Here Wealth means attaining wealth in the form of Brahmgyan. Whoever attains this, an eternal source of wealth lies before them This is obtained only through the guidance of a profound guru. All his worldly physical and spiritual worries(दैहिक,दैविक और भौतिक ताप) are destroyed. His worldly wishes disappear and his spiritual powers are awakened. He experiences eternal happiness.


उपेद॒हं ध॑न॒दामप्र॑तीतं॒ जुष्टां॒ न श्ये॒नो व॑स॒तिं प॑तामि ।

इंद्रं॑ नम॒स्यन्नु॑प॒मेभि॑र॒र्कैर्यः स्तो॒तृभ्यो॒ हव्यो॒ अस्ति॒ याम॑न् ॥


Translation:-


अहम् - Myself.


धनदाम - Rich.


अप्रतीतम् - Continuous.


जुष्टाम् - Our old one.


श्यनःन - The way an eagle.


वसतिम् - To nest.


उपेत् पतामि - To run.


इन्द्रम् - Towards Indra.


नंमस्यन् - To worship.


उपमेभिः - Best.


अर्कैः - With Strotras.


यः - Which.


स्त्रोत्रृयः - To organise worship.


हव्यः - Worshipped.


अस्ति - To be.


यामन- In war.


Explanation: Just as an eagle runs fast towards his previously built nest similarly Yajmans in their best situations pray to the invincible Indra to attain Wealth. In reality in the wartime the way the stotra singers seek Indra, similarly I too run towards Indra.


Deep meaning:-Here Wealth means attaining wealth in the form of Brahmgyan. Whoever attains this, an eternal source of wealth lies before them This is obtained only through the guidance of a profound guru. All his worldly physical and spiritual worries(दैहिक,दैविक और भौतिक ताप) are destroyed. His worldly wishes disappear and his spiritual powers are awakened. He experiences eternal happiness.




#मराठी


ऋग्वेद १.३३.२


उपेद॒हं ध॑न॒दामप्र॑तीतं॒ जुष्टां॒ न श्ये॒नो व॑स॒तिं प॑तामि ।

इंद्रं॑ नम॒स्यन्नु॑प॒मेभि॑र॒र्कैर्यः स्तो॒तृभ्यो॒ हव्यो॒ अस्ति॒ याम॑न् ॥


भाषांतर:


अहम् - मी.


धनदाम - धनदाता.


अप्रतीतम् - अप्रतिहत.


जुष्टाम् - आपल्या पूर्वीचा.


श्यनःन - ज्या प्रकारे श्येन पक्षी.


वसतिम् - घरट्या जवळ.


उपेत् पतामि - धावणे.


इन्द्रम् - इंद्रा कडे.


नंमस्यन् - पूजा करणे.


उपमेभिः - उत्तम.


अर्कैः - स्तोत्राने.


यः - जे.


स्त्रोत्रृयः - अनुष्ठान करणे.


हव्यः - आहूत.


अस्ति - होणे.


यामन- युद्धात


भावार्थ:ज्या प्रकारे गरूड पक्षी आपल्या पूर्वीच्या घरट्यात धावून जातो त्या प्रकारे यजमान आपल्या उत्तम स्थितित पूजा करून धन प्रदान करणार्या अजिंक्य इंद्रां जवळ धावतो.वास्तविकमधे शत्रुं बरोबर युध्द झाल्यावर स्त्रोतांमधून जे इंद्राचा शोध घेतात ते त्यांच्या मागे धावून जातो.


गूढार्थ: इथे घनाचा तात्पर्य आहे ब्रह्म ज्ञान रूपी धन आहे, जे एक योग्य गुरुच्या माध्यमाने प्राप्त होइल. जे हे धनाला प्राप्त करून घेतो त्याच्या समक्ष अनंत धनाचे अनंत भंडार उभा होउन जातात. त्याचे समस्त दैहिक भौतिक आणि दैविक ताप नष्ट होउन जातात. त्याची सांसारिक कामनाांचा क्षय होउन जातो आणि त्याची आध्यात्मिक शक्ती जाग्रत होते.तो परमानंद होउन जातो.



#हिन्दी


ऋग्वेद १.३३.२


उपेद॒हं ध॑न॒दामप्र॑तीतं॒ जुष्टां॒ न श्ये॒नो व॑स॒तिं प॑तामि ।

इंद्रं॑ नम॒स्यन्नु॑प॒मेभि॑र॒र्कैर्यः स्तो॒तृभ्यो॒ हव्यो॒ अस्ति॒ याम॑न् ॥


अनुवाद:



अहम् - मैं।


धनदाम - धनदाता।


अप्रतीतम् - अप्रतिहत।


जुष्टाम् - अपने पूर्व सेवित।


श्यनःन - जिस प्रकार श्येन पक्षी।


वसतिम् - नीड की ओर।


उपेत् पतामि - दौडना।


इन्द्रम् - इन्द्र की ओर।


नंमस्यन् - पूजन करना।


उपमेभिः - उत्तम।


अर्कैः - स्तोत्रों से।


यः - जो।


स्त्रोत्रृयः - अनुष्ठान करना।


हव्यः - आहूत।


अस्ति - होना।


यामन् - युद्ध में।


भावार्थ जिस प्रकार बाज अपने पूर्व सेवित घोसले की ओर दौडता है उसी प्रकार यजमान अपनी उत्तम स्थितियों द्वारा पूजन करके धन प्रदान करनेवाले अविजित देवता इन्द्र की तरफ दौड़ते हैं। वास्तव में शत्रुओं के साथ युद्ध होने पर स्तोताओं द्वारा जो इन्द्र आहूत होते हैं मैं उनकी तरफ दौडता हूं।हम असंख्य धन के स्वामी हो जाते हैं।


गूढार्थ: यहां धन का तात्पर्य ब्रह्म ज्ञान रूपी धन से है जो एक अच्छे गुरू के माध्यम से ही पाया जा सकता है। जो इस धन को प्राप्त कर ले, उसके समक्ष अनंत धन का भंडार खडा हो जाता है। वह दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से मुक्त हो जाता है। उसकी सांसारिक कामनाओं का क्षय हो जाने से उसकी आध्यात्मिक शक्तियाँ जाग्रत हो जाती हैं। वह परमानंद हो जाता है।



44 views0 comments

Recent Posts

See All
Post: Blog2_Post
bottom of page