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RV 1.33.9

Updated: Nov 3, 2020


Rig Ved 1.33.9


This mantra portrays the importance of Mantra shakti. It is said that during Vedic period science was so much developed that devtas could travel through the entire Universe by mantra shakti invocation. It says that the power of Mantra shakti is so immense that it helps you attain victory over enemies from Bhulok to Dhyulok. Potent weapons such as Brahmastra and Pashupatastra were first sanctified through mantras, only then they could strike.


परि॒ यदिं॑द्र॒ रोद॑सी उ॒भे अबु॑भोजीर्महि॒ना वि॒श्वतः॑ सीं ।

अम॑न्यमानाँ अ॒भि मन्य॑मानै॒र्निर्ब्र॒ह्मभि॑रधमो॒ दस्यु॑मिंद्र ॥


Translation:


इन्द्र - Indradev!


यत् - When.


रोदसी - From Dhyulok to Bhulok.


उभे - Both.


महिना - Glory.


विश्वत्ः - From all sides.


सीम् - Spread wide.


परि अबुभोजीः - Have used it nicely.


अमन्यमानान् - Unable to understand Mantra.


अभि मन्यमानै - Ability to protect.


ब्रह्मभिः - Through Mantras.


द्स्युम् - Dacoit.


नि अधमः - To remove.


Explanation: This mantra says that Indradev has successfully used the Dhyulok and Bhulok. He has defeated his enemies. He has successfully and intelligently used the mantra shakti to defeat the enemies.



Deep meaning:- This mantra portrays the importance of Mantra shakti. It is said that during Vedic period science was so much developed that devtas could travel through the entire Universe by mantra shakti invocation. It says that the power of Mantra shakti is so immense that it helps you attain victory over enemies from Bhulok to Dhyulok. Potent weapons such as Brahmastra and Pashupatastra were first sanctified through mantras, only then they could strike.



#मराठी


ऋग्वेद १.३३.९


परि॒ यदिं॑द्र॒ रोद॑सी उ॒भे अबु॑भोजीर्महि॒ना वि॒श्वतः॑ सीं ।

अम॑न्यमानाँ अ॒भि मन्य॑मानै॒र्निर्ब्र॒ह्मभि॑रधमो॒ दस्यु॑मिंद्र ॥


भाषांतर:


इन्द्र - इन्द्रदेव!


यत् - जेंव्हा.


रोदसी - द्युलोक अाणि भूलोक.


उभे - दोघेही.


महिना - महिमा.


विश्वत्ः - चारही बाजूस.


सीम् - व्याप्त.


परि अबुभोजीः - चांगल्या पद्धति ने भोग केले.


अमन्यमानान् - मंत्र ग्रहण करण्यात असमर्थ.


अभि मन्यमानै - रक्षण करण्यात समर्थ.


ब्रह्मभिः - मंत्रा द्वारे.


द्स्युम् - चोर.


नि अधमः - काढून टाकणे.


अनुवाद: ह्या मंत्रात म्हटलेले आहे इन्द्रांने अनेक प्रकाराने द्युलोक आणि भूलोकाचे उपयोग केले.आपल्या विरोधकांवर पण त्यांने विजय प्राप्त केले.आपल्या मंत्र शक्ती ने ज्ञानपूर्वक केलेल्या उपयाेग ने त्यांने शत्रूंवर विजय प्राप्त केले.


गूढार्थ: वैदिक काळात विज्ञान इतका विकसित होता की देवता द्युलोकाने पृथ्वी पर्यंत म्हणजे समस्त ब्रह्मांडात मंत्र शक्तीचे उपयोग करून भ्रमण करू शकत होते. मंत्र शक्ति चे प्रयोग करून शत्रूंनवर भूलोक ते द्युलोक पर्यंत विजय प्राप्त करणे शक्य होते.घातक ब्रह्मास्त्र व पाशुपत अस्त्र सारखे दिव्य अस्त्र पण अभिमंत्रित करण्यावरच गतिशील होउन वार करत होते.




#हिन्दी


ऋग्वेद १.३३.९


परि॒ यदिं॑द्र॒ रोद॑सी उ॒भे अबु॑भोजीर्महि॒ना वि॒श्वतः॑ सीं ।

अम॑न्यमानाँ अ॒भि मन्य॑मानै॒र्निर्ब्र॒ह्मभि॑रधमो॒ दस्यु॑मिंद्र ॥


अनुवाद


इन्द्र - इन्द्रदेव!


यत् - जब।


रोदसी - द्युलोक और भूलोक।


उभे - दोनो को।


महिना - महिमा में।


विश्वत्ः - सब तरफ।


सीम् - व्याप्त।


परि अबुभोजीः - अच्छे से भोग किया।


अमन्यमानान् - मंत्र को ग्रहण करने में असमर्थ यजमान।


अभि मन्यमानै - रक्षा करने में समर्थ ।


ब्रह्मभिः - मंत्रों द्वारा।


द्स्युम् -चोर।


नि अधमः - निकालना।


भावार्थ :इस मंत्र में कहा गया है कि इन्द्रदेव ने द्युलोक और भूलोक का हर तरह से उपयोग किया। आपने अपने विरोधियों पर भी विजय पायीं। आपने मंत्र शक्ति से ज्ञानपूर्वक किये प्रयासों का उपयोग करके विजय पायीं।


गूढार्थ: यह बताया गया है कि वैदिक काल में विज्ञान इतना विकसित था की देवता द्युलोक से भूलोक तक याने की समस्त ब्रह्मांड में मंत्र शक्ति से भ्रमण कर सकते थे। मंत्र शक्ति के प्रयोग द्वारा शत्रुओं पर भूलोक से द्युलोक तक विजय प्राप्त की जा सकती है।घातक ब्रह्मास्त्र और पाशुपत जैसे दिव्य अस्त्र भी अभिमंत्रित होने के बाद ही गतिशील होते थे।



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