Rig Ved 1.34.12
Here war means conflict. All the human beings face this conflict pertaining to past,present or future. This is called as a triangle. This conflict is our enemy in war. So the devtas related to each sense is called upon to make us more strong so that we may destroy all our evil vices. When we get rid from all our vices we become pure and attain Knowledge.
आ नो॑ अश्विना त्रि॒वृता॒ रथे॑ना॒र्वांचं॑ र॒यिं व॑हतं सु॒वीरं॑ ।
शृ॒ण्वंता॑ वा॒मव॑से जोहवीमि वृ॒धे च॑ नो भवतं॒ वाज॑सातौ ॥
Translation :
अश्विना - Oh Ashwini Kumars!
त्रिवृता - In Trilok.
रथेन - Through Chariot.
नः - Ours.
अर्वाञ्चम् - Aspect.
सुवीरम् - Decorative
रयिम् - Wealth.
आ वहतम् - Brought over.
श्रृण्वन्ता - To listen.
वाम् - Of both.
अवसे - For protection.
जोहवीमि च - To call.
वाजसातौ - In war.
वृधे - Increase.
भवतम् - To be.
Explanation :Oh Ashwini Kumars! May your triangular chariot carry good wealth and ability for us. Do listen to our calls for protection during war. In the time of war, after hearing our call, try and increase our strength.
Deep meaning; Here war means conflict. All the human beings face this conflict pertaining to past,present or future. This is called as a triangle. This conflict is our enemy in war. So the devtas related to each sense is called upon to make us more strong so that we may destroy all our evil vices. When we get rid from all our vices we become pure and attain Knowledge.
📸 Credit - Spiritual_world_devote_290
#मराठी
ऋग्वेद १३४.१२
आ नो॑ अश्विना त्रि॒वृता॒ रथे॑ना॒र्वांचं॑ र॒यिं व॑हतं सु॒वीरं॑ ।
शृ॒ण्वंता॑ वा॒मव॑से जोहवीमि वृ॒धे च॑ नो भवतं॒ वाज॑सातौ ॥
भाषांतर :
अश्विना - हे अश्विनी कुमारानो!
त्रिवृता - त्रिलोक मधे.
रथेन - रथ द्वारे.
नः - आमचे.
अर्वाञ्चम् - अभिमुख.
सुवीरम् - शोभा युक्त.
रयिम् - धन.
आ वहतम् - घेउन प्राप्त.
श्रृण्वन्ता - ऐकणे.
वाम् - दोघांनी.
अवसे - रक्षार्थ.
जोहवीमि च - आवाहन करणे.
वाजसातौ - संग्रामात.
वृधे - वाढवणे.
भवतम् - होणे.
भावार्थ: हे अश्विनी कुमारानो! आपण त्रिकोणी रथातून आम्हाला धन आणि सामर्थ आणावे. युद्ध प्रसंगी आमच्या संरक्षणासाठी आमची हाक ऐकावी.आमचे सामर्थ्य वाढविण्यासाठी प्रयत्न करावे.
गूढार्थ: इथे युद्धाचे तात्पर्य आहे द्वंद्व. प्रत्येक जीव द्वंद्वात अडकलेला असतो, कधी भूत, कधी वर्तमान आणि कधी भविष्या साठी. ह्यास त्रिकोण म्हटलेले आहे. हा द्वंद्व युद्धाचे मैदानात आमचा शत्रू आहे. इथे इन्द्रियांचे अधिष्ठात्रित देवांना प्रार्थना केली गेली आहे त्यांनी आम्हास बळ देउन अधिक शक्तिशाली बनवून आमच्या विकारांना परास्त परतून लावा. विकार रहित झाल्यावर आमची बुद्धी शुद्ध होउन विवेक प्राप्त करू.
#हिन्दी
ऋग्वेद १३४.१२
आ नो॑ अश्विना त्रि॒वृता॒ रथे॑ना॒र्वांचं॑ र॒यिं व॑हतं सु॒वीरं॑ ।
शृ॒ण्वंता॑ वा॒मव॑से जोहवीमि वृ॒धे च॑ नो भवतं॒ वाज॑सातौ ॥
अनुवाद:
अश्विना - हे अश्विनो!
त्रिवृता - त्रिलोक में।
रथेन - रथ के द्वारा।
नः - हमारे।
अर्वाञ्चम् - अभिमुख।
सुवीरम् - शोभन युक्त।
रयिम् - धन।
आ वहतम् - लाकर प्राप्त।
श्रृण्वन्ता - सुनना।
वाम् - दोनो का।
अवसे - रक्षा हेतु।
जोहवीमि च - आव्हान करना।
वाजसातौ - संग्राम मे।
वृधे - बढाना।
भवतम् - होना।
भावार्थ:हे अश्विनी कुमारों! अपने त्रिकोणीय रथ में हमारे लिए उत्तम धन और सामर्थ्य का वहन करें। रक्षा के हेतु हमारे द्वारा किये जा रहे आवाहनो को सुनें।युद्ध के समय हमारे आवाहन को सुनकर हमारे बल की वृद्धि के लिए प्रयास करें।
गूढार्थ: यहां युद्ध का तात्पर्य है द्वंद से।प्रत्येक जीव द्वंद में फंसा है, कभी भूत का, कभी वर्तमान का या फिर भविष्य का। इन्हीं को त्रिकोण कहा गया है। यही द्वंद युद्ध के मैदान में हमारे शत्रु हैं। तो यहां इन्द्रियों के अधिष्ठात्रित देवों से प्रार्थना की गई है कि वे हमें बल देकर और बलवान बनाएं। ताकि हम विकारों को परास्त कर सकें। विकार रहित होने पर हमारी बुद्धि शुद्ध होगी और हम विवेक को प्राप्त कर सकेंगे।
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