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RV 1.34.2

Updated: Nov 11, 2020


Rig Ved 1.34.2


Through Ashwini Kumar's it is said that our situation is like dreams. Atma has four pud(पद):- जाग्रत(wake) स्वप्न (dream) सुषुप्ति (dreamless) तूरीय (transcendental consciousness). Turiya is the prime stage and is present in all three. The inner mind has four sections:- MIND, INTELLIGENCE, PSYCHE(चित्त) and EGO. Jeevatma is made up by these four. By Ashwini Kumars we seek to purify mind, intelligence and Psyche. Mind works due to food and the ability to think also comes through food. Food grains is the reason for our Memory and Sanskaras. We loose the power to think if we abstain from food for many days. Only after eating that we get back to normal thinking process. Therefore Ashwini Kumars being the doctor of devtas, is requested to bring sanctity and divinity in our mind and thoughts.


त्रयः॑ प॒वयो॑ मधु॒वाह॑ने॒ रथे॒ सोम॑स्य वे॒नामनु॒ विश्व॒ इद्वि॑दुः ।

त्रयः॑ स्कं॒भासः॑ स्कभि॒तास॑ आ॒रभे॒ त्रिर्नक्तं॑ या॒थस्त्रिर्व॑श्विना॒ दिवा॑ ॥


Translation :


मधुवाहणे - Carrier of sweet things.


रथे - In chariot.


त्रयः - Three.


पवयः - Strong wheels.


विश्वे - All devtas.


सोमस्य - Of Chandrayaan.


वेनाम् - Married to beautiful woman.


अनु - During travel.


इत् - This way.


विदु - To go.


स्कम्भासः - Special pillar.


आरभे - For support.


स्कभितासः - To establish.


अश्विना - Oh Ashwini Kumars!


नक्तम - Night.


त्रिः - Three.


याथः - To go.


दिवा उ - During daytime.


Explanation:This mantra says that the chariot of Ashwini Kumars carries sweet Somras. It has three wheels as strong as Vajra. Everyone is aware of their yearning of Somras. They travel three times during the day and three times in the night.


Deep meaning: Through Ashwini Kumar's it is said that our situation is like dreams. Atma has four pud(पद)- जाग्रत(wake) स्वप्न (dream) सुषुप्ति (dreamless) तूरीय (transcendental consciousness).Turiya is the prime stage and is present in all three. The inner mind has four sections:- MIND, INTELLIGENCE, PSYCHE(चित्त) and EGO. Jeevatma is made up by these four. By Ashwini Kumars we seek to purify mind, intelligence and Psyche. Mind works due to food and the ability to think also comes through food. Food grains is the reason for our Memory and Sanskaras. We loose the power to think if we abstain from food for many days. Only after eating that we get back to normal thinking process. Therefore Ashwini Kumars being the doctor of devtas, is requested to bring sanctity and divinity in our mind and thoughts.



📸 Credit - Vaishnavi Trilok Mam



#मराठी


ऋग्वेद १.३४.२


त्रयः॑ प॒वयो॑ मधु॒वाह॑ने॒ रथे॒ सोम॑स्य वे॒नामनु॒ विश्व॒ इद्वि॑दुः ।

त्रयः॑ स्कं॒भासः॑ स्कभि॒तास॑ आ॒रभे॒ त्रिर्नक्तं॑ या॒थस्त्रिर्व॑श्विना॒ दिवा॑ ॥


भाषांतर :-


मधुवाहणे - मधुर खाद्यपदार्थाचा वाहक.


रथे - रथात.


त्रयः - तीन.


पवयः - मजबूत चाक.


विश्वे - सर्व देवतांनी.


सोमस्य - चमद्रमाचा.


वेनाम् - सुंदर स्त्रीशी विवाह.


अनु - यात्रेचा वेळी.


इत् - ह्या प्रकारे.


विदु - जाणे.


स्कम्भासः - स्तंभ विशेष.


आरभे - अवलंबा साठी.


स्कभितासः - स्थापित करणे.


अश्विना - हे अश्विनो!


नक्तम - रात्रि.


त्रिः - तीन.


याथः - जाणे.


दिवा उ - दिवसात पण.


भावार्थ:ह्या मंत्रात म्हटलेले आहे की अश्विनी कुमारांचे रथ मधुर सोमरसाला वाहून नेत आहे.त्या रथाला वज्रासमान तीन मजबूत चाकं आहेत.सर्व लोक प्रत्येकाला सोमरसाचा उत्कंठे जाणीव आहे. त्या रथात अश्विनी कुमार तीन वेळा दिवसा आणि तीन वेळा रात्री प्रवास करतात.


गूढार्थ: अश्विनीकुमारांच्या माध्यमातून म्हटलेले आहे की आध्यात्मात आमची स्थिती स्वप्नासारखी आहे. आत्माचे चार पद आहेत, जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति आणि तूरीय. मुख्य आणि मूल पद तूरीय आहे जे तिघांमधे व्याप्त आहे.त्याच प्रकारे अंतरमनात अंतःकरण चतुष्ठ्य आहे मन, बुद्धि, चित्त आणि अहंकार ज्याने मिळून जीवात्मा बनलेले आहे.अश्विनीकुमारांच्या माध्यमातून सांगितलेले आहे की बुद्धी आणि चित्ताची शुद्धी अपेक्षित आहे. मन अन्नच्या माध्यमाने तयार होतो, ज्याने विचार करण्याचा सामर्थ्य निर्माण होतो. अन्न ह्याच्या मुळे चित्त मध्ये स्मृति आणि संस्कार भरत असतात.जर एखाद्या व्यक्ती काही दिवस अन्न त्याग करतो तेंव्हा विचार करण्याची क्षमता नष्ट होते म्हणून अन्न ग्रहण केल्यावर सगळं सुचारू रूपाने पूर्ण होतो.अश्विनी कुमार देवतांचे वैद्य आहेत.तर बुद्धिची दिव्यताला वाढवण्यात साठी मन आणि चित्त स्वस्थ आणि पवित्र राहणे आवश्यक आहे.



#हिन्दी


ऋग्वेद १.३४.२


त्रयः॑ प॒वयो॑ मधु॒वाह॑ने॒ रथे॒:



मधुवाहणे - मधुर खाद्यान्न के वाहक।


रथे - रथ में।


त्रयः - तीन।


पवयः - मजबूत चक्र है।


विश्वे - सब देवताओ ने।


सोमस्य - चंद्रमा की।


वेनाम् - सुंदर स्त्री के साथ विवाह।


अनु - यात्रा के समय।


इत् - इस प्रकार से।


विदु - जाना।


स्कम्भासः - स्तंभ विशेष।


आरभे - अवलंब के लिए।


स्कभितासः - स्थापित हैं।


अश्विना - हे अश्विनो!


नक्तम - रात को।


त्रिः - तीन बार।


याथः - जाना।


दिवा उ - दिन मे भी।


भावार्थ:इस मंत्र में कहा गया है कि अश्विनी कुमारो का रथ मधुर सोमरस का वहन करता है तथा उसमें वज्र जैसे सुदृढ़ तीन पहिये लगे हैं। सभी लोग उनकी सोम के लिए उत्कंठा से परिचित हैं। अश्विनी कुमार उसमें तीन बार रात को और तीन बार दिन को गमन करते हैं।


गूढार्थ: अश्विनी कुमार के माध्यम से कहा गया है कि अध्यात्म में हमारी स्थिति स्वप्न जैसी है। आत्मा के चार पद हैं, जाग्रत स्वप्न, सुषुप्ति और तुरीय। मुख्य और मूल पद तो तूरीय ही है जो तीनों में भी व्याप्त है। उसी प्रकार से अंतरमन में अंतःकरण चतुष्ठय है मन बुद्धि चित्त और अहंकार. इसी को मिला के जीवात्मा बना है। अश्विनी कुमार के द्वारा यह बताया गया है कि मन, बुद्धि और चित्त का शोधन हमें अपेक्षित है। मन तैयार होता है अन्न से उसी मन से विचार करने का सामर्थ्य आता है। अन्न के कारण ही हमारे चित्त में स्मृतियाँ होती हैं,संस्कार भी चित्त में भरे होते हैं। अगर व्यक्ति कई दिनों तक अन्न का त्याग कर दे तो उसके सोचने विचारने की क्षमता नष्ट हो जाती है। अन्न ग्रहण करना तब आवश्यक हो जाता है तब सब सुचारू रूप से चलता है। अश्विनी कुमार देवताओं के वैद्य हैं। तो बुद्धि की दिव्यता को बढाने के लिए मन और चित्त का स्वस्थ और पवित्र रहना आवश्यक है।


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