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RV 1.36.17

Updated: Jan 5, 2021


Rig Ved 1.36.17


From ancient times the Rishi's have performed Agnihotra so it is deemed as best.Kanva and Medhatithi were protected as our history says. They acquired weapons through Yagya. The main dev during Yagya is Agnidev while making offerings. Secondly we are showing our gratitude to the devtas for giving us their Swarup, for providing us the knowledge so that we could destroy our ignorance and give us awareness. So we are showing our gratitude.


अ॒ग्निर्व॑व्ने सु॒वीर्य॑म॒ग्निः कण्वा॑य॒ सौभ॑गं ।

अ॒ग्निः प्राव॑न्मि॒त्रोत मेध्या॑तिथिम॒ग्निः सा॒ता उ॑पस्तु॒तं ॥


Translation :


अग्निः - From Agnidev.


सुवीर्यम् - Courageous.


वञ्चे - To plead.


कण्वाय - Kanva.


सौभगम् - Good luck.


मित्रा - For friend.


प्र आवत् - To protect.


उत - And more.


मेध्यातिथिम् - Medhatithi.


उपस्तुतम् - One singing strotras.


सातौ - Protect with wealth


Explanation: Oh the mighty and Courageous Agnidev! You have provided good luck to Rishi Kanva and Medhatithi and our friends. You also have protected them.You are requested to protect us too.


Deep meaning: From ancient times the Rishi's have performed Agnihotra so it is deemed as best.Kanva and Medhatithi were protected as our history says. They acquired weapons through Yagya. The main dev during Yagya is Agnidev while making offerings. Secondly we are showing our gratitude to the devtas for giving us their Swarup, for providing us the knowledge so that we could destroy our ignorance and give us awareness. So we are showing our gratitude.



#मराठी


ऋग्वेद १.३६.१७



अ॒ग्निर्व॑व्ने सु॒वीर्य॑म॒ग्निः कण्वा॑य॒ सौभ॑गं ।

अ॒ग्निः प्राव॑न्मि॒त्रोत मेध्या॑तिथिम॒ग्निः सा॒ता उ॑पस्तु॒तं ॥


भाषांतर :


अग्निः - अग्निदेवांना.


सुवीर्यम् - पराक्रम युक्त.


वञ्चे - याचना.


कण्वाय - कण्व.


सौभगम् - सौभाग्य.


मित्रा - मित्राची.


प्र आवत् - रक्षण करणे.


उत - आणि.


मेध्यातिथिम् - मेधातिथि.


उपस्तुतम् - स्तोता यजमानांना.

सातौ - धन देउन रक्षा.


भावार्थ:हे पराक्रमी आणि धैर्यवान अग्निदेव! आपण कण्व, मेधातिथि आणि आमच्या मित्रांचे रक्षण करून त्यांना सौभाग्य प्रदान केले.आपण आमचे पण रक्षण करा.


गूढार्थ; अनादि काळापासून ऋषी अग्निहोत्र करत आहेत म्हणून तो परंपरेने श्रेष्ठ मानले जाते. आपण कण्व आणि मेधातिथिंचे रक्षण केले हा इतिहास आहे. ते यज्ञांच्या माध्यमातून अस्त्र शस्त्र प्राप्त करत आहेत. यज्ञात मुख्य रूपाने अग्निदेवांना आहुती टाकत आले आहे. दूसरे म्हणजे आम्ही देवतांकडे कृतज्ञतेचा प्रदर्शन करत आहोत की त्यांने आम्हाला आपले स्वरूप प्रदान केले,आम्हास ज्ञान प्रदान करून आमचे अज्ञान दूर करून आम्हाला चैतन्य प्रदान केले.तर इकडे आम्ही कृतज्ञता व्यक्त करीत आहोत.



#हिन्दी


ऋग्वेद १.३६.१७



अ॒ग्निर्व॑व्ने सु॒वीर्य॑म॒ग्निः कण्वा॑य॒ सौभ॑गं ।

अ॒ग्निः प्राव॑न्मि॒त्रोत मेध्या॑तिथिम॒ग्निः सा॒ता उ॑पस्तु॒तं ॥


अनुवाद:


अग्निः - अग्निदेव से।


सुवीर्यम् - शोभन वीर्य युक्त।


वञ्चे - याचना।


कण्वाय - कण्व को।


सौभगम् - सौभाग्य।


मित्रा - मित्रों को।


प्र आवत् - रक्षा करना।


उत - और भी।


मेध्यातिथिम् - ऋषि को।


उपस्तुतम् - स्तोताओं यजमान को।


सातौ - धन देकर रक्षा।


भावार्थ: हे उत्तम पराक्रमी अग्निदेव! आपने कण्व, मेधातिथि तथा हमारे मित्रों को सौभाग्य प्रदान किया और उनकी रक्षा की।आप हमें भी रक्षा प्रदान करें।


गूढार्थ: अनादि काल से ऋषि अग्निहोत्र करते रहें हैं तो इसे परंपरा से श्रेष्ठ कहा गया है। कण्व और मेधातिथि ऋषि की रक्षा की यह इतिहास रहा है। वे यज्ञ द्वारा अस्त्र शस्त्र पाते रहें हैं। यज्ञ में मुख्य रूप से अग्निदेव को आहुति डाली गई है। दूसरा हम देव के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं कि उन्होने हमें अपना स्वरूप प्रदान किया, हमें ज्ञान प्रदान किया, हमे ज्ञान प्रदान कर हमारे अज्ञान को नष्ट कर हमें चैतन्य किया। तो यहां हम आभार प्रदर्शित कर रहे हैं।



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