Rig Ved 1.37.14
In this mantra, Parmatma is requested by bhakt to come. It says to Parmatma that you are indestructible, you look after our well being. He is also requested to destroy all our difficulties and to take us to level of fearlessness. And to make us immortal from mortal and to make it possible for the oneness of Atma to Parmatma.
प्र या॑त॒ शीभ॑मा॒शुभिः॒ संति॒ कण्वे॑षु वो॒ दुवः॑ ।
तत्रो॒ षु मा॑दयाध्वै ॥
Translation:
आशुभिः - With speedy vehicles.
शीभम् - Fast.
प्र यात - Come.
कण्वेषु - With intelligent organisers of Yagya.
वः - Yours.
सन्ति - Is.
तत्रो षु - In their midst.
मादयाध्वै - Satisfied.
Explanation :Oh Marudgans! You come riding a speedy vehicle soon.There the intelligent organisers of Yagya are waiting to welcome you so that you feel satisfied and happy.
Deep meaning.In this mantra, Parmatma is requested by bhakt to come. It says to Parmatma that you are indestructible, you look after our well being. He is also requested to destroy all our difficulties and to take us to level of fearlessness. And to make us immortal from mortal and to make it possible for the oneness of Atma to Parmatma.
#मराठी
ऋग्वेद १.३७.१४
प्र या॑त॒ शीभ॑मा॒शुभिः॒ संति॒ कण्वे॑षु वो॒ दुवः॑ ।
तत्रो॒ षु मा॑दयाध्वै ॥
भाषांतर :
आशुभिः - वेगवान वाहनांनच्या माध्यमे.
शीभम् - त्वरित.
प्र यात - यावे.
कण्वेषु - मेधावी अनुष्ठानकर्ता तर्फे.
वः - आपले.
दुवः - सेवा रूप.
सन्ति - आहे.
तत्रो षु - त्यांच्या मध्ये.
मादयाध्वै - संतुष्ट होणे.
भावार्थ:हे मरूदगण! आपण वेगवान वाहनांनी त्वरित यावे. कण्ववंशी(बुद्धिमान) आपल्या स्वागतार्थ उपस्थित आहेत.तिथे उत्साहा मधे आपण तृप्त व्हा.
गूढार्थ:इथे भक्तांनी परमात्म्याचा आवाहन केलेले आहे की आपण यावे.आपण अविनाशी आहात,आपण आमचे कल्याण कराल.आमचे संकटांना दूर कराल.आम्हास अभय पद प्रतिष्ठा द्याल. आम्ही मृतातून अमृत बनू.आत्मा आणि परमात्माची एकता संभव कराल.म्हणून ही प्रार्थना केलेली आहे.
#हिन्दी
ऋग्वेद १.३७.१४
प्र या॑त॒ शीभ॑मा॒शुभिः॒ संति॒ कण्वे॑षु वो॒ दुवः॑ ।
तत्रो॒ षु मा॑दयाध्वै ॥
अनुवाद:
आशुभिः - तेज वाहनों के द्वारा।
शीभम् - जल्दी ही।
प्र यात - अाइये।
कण्वेषु - बुद्धिमान अनुष्ठानकर्ता।
वः - आपकी।
दुवः - सेवा रूप।
सन्ति - है।
तत्रो षु - उनके बीच।
मादयाध्वै - संतुष्ट होना।
भावार्थ:हे मरूदगणों!आप वेगवान वाहनों से त्वरित आयें।कण्ववंशी( बुद्धिमान) आपके स्वागत के लिए उपस्थित हैं।वहां आप उत्साह के बीच तृप्ति को प्राप्त कीजिए।
गूढार्थ:इसमें भक्तों के द्वारा परमात्मा का आवाहन किया गया है कि आप आयें।आप अविनाशी हैं आप हमारा कल्याण करें,हमारे संकटों को दूर करें, हमें अभय पद प्रतिष्ठा प्रदान करें। हम मृत से अमृत बनें।आत्मा और परमात्मा की एकता हो।इसी लिए यहां प्रार्थना की जा रही है।
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