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Writer's pictureAnshul P

RV 1.38.10

Updated: Feb 8, 2021


Rig Ved 1.38.10


Here force or Power is given prime importance. All of the earth and universe reflects this power of Atma through force or strength. Vaayu is projected as Brahm roop. When we look at things through Brahm roop then only we can destroy our ignorance.


अध॑ स्व॒नान्म॒रुतां॒ विश्व॒मा सद्म॒ पार्थि॑वं ।

अरे॑जंत॒ प्र मानु॑षाः ॥


Translation.:


मरूताम् - Of Maruts.


स्वनात् - Sound.


अध - Next.


पार्थिवम् - Of earth.


विश्वम् - All.


सद्य - Home.


आ - All around.


मानुषाः - Men too.


प्र अरेजन्त - To shiver badly.

Explanation - Due to the loud roar of Maruts, the lower part of the earth starts shivering. The noise is so loud that it affects the people of this earth.


Deep meaning: Here force or Power is given prime importance. All of the earth and universe reflects this power of Atma through force or strength. Vaayu is projected as Brahm roop. When we look at things through Brahm roop then only we can destroy our ignorance.





#मराठी


ऋग्वेद १.३८.१०


अध॑ स्व॒नान्म॒रुतां॒ विश्व॒मा सद्म॒ पार्थि॑वं ।

अरे॑जंत॒ प्र मानु॑षाः ॥


भाषांतर :


मरूताम् - मरूतांचे.


स्वनात् - ध्वनीचे.


अध - नंतर.


पार्थिवम् - पृथ्वीचे.


विश्वम् - सर्व.


सद्य - दृग्गोचर.


आ - चारही बाजू.


मानुषाः - मनुष्य पण.


प्र अरेजन्त - जास्त कंपन होणे.


भावार्थ - मरूतांचे गर्जने मुळे पृथ्वीचे निम्न भाग प्रकंपित होतो. त्या गर्जना पृथ्वीवरील माणसांवर पण परिणाम करते.


गूढार्थ: इथे बळाचा प्राधान्य व्यक्त केलेले आहे.समस्त पृथ्वी आणि ब्रह्मांड मधे आत्म्याच्या बळाचे प्राधान्य दिसते.वायूला ब्रह्मरूप म्हणून दर्शवले आहे.जेंव्हा ब्रह्म रूपाने दर्शन होणार तेंव्हा वास्तविक रूप समोर येइल आणि अज्ञानाचे आवरण दूर होइल.



#हिन्दी


ऋग्वेद १.३८.१०


अध॑ स्व॒नान्म॒रुतां॒ विश्व॒मा सद्म॒ पार्थि॑वं ।

अरे॑जंत॒ प्र मानु॑षाः ॥


अनुवाद:


मरूताम् - मरूतों को।


स्वनात् - ध्वनि के।


अध - बाद में।


पार्थिवम् - पृथ्वी के।


विश्वम् - सब।


सद्य - घर।


आ - चारो ओर।


मानुषाः - मानव भी।


प्र अरेजन्त - जोर से कांपना।


भावार्थ -मरूतों के गर्जन से पृथ्वी के निम्न भाग में कंपन होने लगता है। उस ध्वनि से इस पृथ्वी के मनुष्य भी प्रभावित होते हैं।


गूढार्थ: यहां बल की प्रधानता व्यक्त की गई हैै। समस्त पृथ्वी और ब्रह्मांड में आत्मा के बल की प्रधानता दिखाई पड़ रही है। वायु को ब्रह्म रूप से ही दर्शाया गया है। जब ब्रह्म रूप से दर्शन होगा तब वास्तविक रूप का दर्शन होगा और अज्ञान का आवरण हट जायेगा।

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