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Writer's pictureAnshul P

RV 1.38.3

Updated: Feb 1, 2021


Rig Ved 1.38.3


Here the mantra describes Karmyog. To be wealthy is nice but we should never take pride or only delve deep into it since these things are not permanent. Keep relationship with Prem bhav but however near do not turn this to addiction. Our main relation is with Parmatma that also of many more births to come. Use new weapons to defeat the enemy but not with hatred but as your duty. Do your duty but do not get addicted to it. Gita also says that

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ २-४७ - Do not strive for rewards but do your duty.


क्व॑ वः सु॒म्ना नव्यां॑सि॒ मरु॑तः॒ क्व॑ सुवि॒ता ।

क्वो॒३॒॑ विश्वा॑नि॒ सौभ॑गा ॥


Translation :


वः - Yours.


नव्यांसि - New.


सुम्ना - Wealth.


क्व - Where.


मरूतः - Oh Maruds!


सुविता - Beautiful.


विश्वानि - All.


सौभगा - Good luck.


Explanation :Oh Marudgans! Where are your new defense tools? Where are your resources for your prosperity and comfort. Where are the resources for your success. You come to this Yagya with all your grandeur.


Deep meaning: Here the mantra describes Karmyog. To be wealthy is nice but we should never take pride or only delve deep into it since these things are not permanent. Keep relationship with Prem bhav but however near do not turn this to addiction. Our main relation is with Parmatma that also of many more births to come. Use new weapons to defeat the enemy but not with hatred but as your duty. Do your duty but do not get addicted to it. Gita also says that

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ २-४७ - Do not strive for rewards but do your duty.



📸 Credit - shiv_shmbhu_nath (Instagram handle)




#मराठी


ऋग्वेद १.३८.३


क्व॑ वः सु॒म्ना नव्यां॑सि॒ मरु॑तः॒ क्व॑ सुवि॒ता ।

क्वो॒३॒॑ विश्वा॑नि॒ सौभ॑गा ॥


भाषांतर :


वः - आपले.


नव्यांसि - नवीन.


सुम्ना - धन.


क्व - कुठे.


मरूतः - हे मरूत!


सुविता - शोभायमान.


विश्वानि - सर्व.


सौभगा - सौभाग्य.


भावार्थ:हे मरूदगण! आपले नवीन संरक्षण साधन कुठे आहेत? आपले सुख ऐश्वर्याचे साधन कुठे आहेत? आपले सौभाग्यप्रद साधन कुठे आहेत? आपण हे सगळं वैभव घेउन यज्ञात यावे.


गूढार्थ: इथे कर्मयोगाचे वर्णन केले आहे.ऐश्वर्यसंपन्न असणे चांगले आहे पण त्याचा गर्व किंवा अहंकार करू नये कारण तो क्षणिक असतो.त्याच्याशी प्रेमाचे नाते असू द्यावे पण त्या विषयी आसक्ती असू नये. प्रेम भाव सर्वांशी राखले पाहिजे. आमचा परम नाते परमात्म्याशी आहे जे जन्म जन्मांतरचे असते. आम्हाला नवीन आयुधे ने देशाचे संरक्षण करणे आवश्यक असते पण तो द्वेषाचे नाही तर कर्मभावाने करू या.कर्म करा पण आसक्ती सोडा. कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।कर्म करत राहा पण विना फळाची इच्छा ठेवून.




#हिन्दी


ऋग्वेद १.३८.३


क्व॑ वः सु॒म्ना नव्यां॑सि॒ मरु॑तः॒ क्व॑ सुवि॒ता ।

क्वो॒३॒॑ विश्वा॑नि॒ सौभ॑गा ॥


अनुवाद:


वः - आपके।


नव्यांसि - नवीन।


सुम्ना - धन।


क्व - कहां?


मरूतः - हे मरूतों!


सुविता - शोभा देना।


विश्वानि - सब।


सौभगा - सौभाग्य ।


भावार्थ:हे मरूदगणों! आपके नवीन रक्षा साधन कहां हैं?आपके सुख ऐश्वर्य के साधन कहां हैं?आपके सौभाग्यप्रद साधन कहां हैं?आप अपने समस्त वैभव के साथ इस यज्ञ में आयें।


गूढार्थ: यहां कर्मयोग की बात कही गई है। ऐश्वर्यशाली होना अच्छी बात है पर उसके मद में नहीं डूबना चाहिए अहंकार नहीं करना है क्योंकि वह क्षणिक है। आसक्ति से दूर रहना है चाहे हमारे रिश्ते किसी से प्रगाढ़ ही क्यों न हों उससे आसक्त नही होना है। प्रेम भाव सबसे रखना है। हमारा परम रिश्ता परमात्मा से है जो जन्म जन्मांतर का है। हमें नवीन आयुधों से देश की रक्षा जरूर करनी है पर द्वेष की भावना से नही बल्कि कर्म के भाव से करना है। कर्म करें पर आसक्त न हों।कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन । कर्म करते रहें बिना फल पर ध्यान दिये ।




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