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Writer's pictureAnshul P

RV 1.38.9

Updated: Feb 7, 2021



Rig Ved 1.38.9


Power has the capacity to get the things done which were thought to be difficult and it has the capacity to make easy things difficult. This is the power of shakti. Shakti lies in your Atma since Atma is its source. It is its strength.


दिवा॑ चि॒त्तमः॑ कृण्वंति प॒र्जन्ये॑नोदवा॒हेन॑ ।

यत्पृ॑थि॒वीं व्युं॒दंति॑ ॥


Translation:


उदवाहेन - The one accepting rains.


पर्ज्यन्येन - Sun covered by the clouds.


दिवा चित् - In day time.


तमः - Darkness.


कृण्वन्ति - To do.


यत् - When.


पृथिवीम् - On land.


वि उन्दन्ति - specially to fill up with water.


Explanation : First the moisture Ladden clouds make the sky dark then they make the land wet through their rains.


Deep meaning; Power has the capacity to get the things done which were thought to be difficult and it has the capacity to make easy things difficult. This is the power of shakti. Shakti lies in your Atma since Atma is its source. It is its strength.





#मराठी


ऋग्वेद १.३८.९


दिवा॑ चि॒त्तमः॑ कृण्वंति प॒र्जन्ये॑नोदवा॒हेन॑ ।

यत्पृ॑थि॒वीं व्युं॒दंति॑ ॥


भाषांतर :


उदवाहेन - जल धारण करणारे.


पर्ज्यन्येन - मेघांचे द्वारे सूर्य लपवून देणे.


दिवा चित् - दिवसात.


तमः - अंधार.


कृण्वन्ति - करणे.


यत् - जेंव्हा.


पृथिवीम् - भूमीवर.


वि उन्दन्ति - विशेष रूपाने जल भरने.


भावार्थ:मरूदगण जल प्रवाहक मेघांद्वारे प्रथम अंधार करतात नंतर ते वर्षा द्वारे भूमी आर्द्र करतात.


गूढार्थ: इथे म्हटलेले आहे की शक्ति किंवा बळाने होणारे कार्य थांबून राहते किंवा न होणारे कार्य होउन जाते. हीच शक्तिची विशेषता आहे.शक्ति आत्मा मधे असते.सर्व शक्ति आत्म्यामधे असते. हेच त्याचेच बळ आहे.



#हिन्दी


ऋग्वेद १.३८.९


दिवा॑ चि॒त्तमः॑ कृण्वंति प॒र्जन्ये॑नोदवा॒हेन॑ ।

यत्पृ॑थि॒वीं व्युं॒दंति॑ ॥


अनुवाद:


उदवाहेन - जल धारण करनेवाले।


पर्ज्यन्येन - मेघों द्वारा सूर्य को ढंकना।


दिवा चित् - दिन में।


तमः - अंधकार।


कृण्वन्ति - करना।


यत् - जब।


पृथिवीम् - भूमि को।


वि उन्दन्ति - विशेष रूप से जल भरना।


भावार्थ:मरूदगण जल बरसानेवाले बादलों से दिन में भी अंधेरा कर देते हैं फिर वे वर्षा द्वारा धरती को गिला कर देते हैं।


गूढार्थ: यहां कहा गया है कि शक्ति या बल से न होनेवाला कार्य हो जाता है और होनेवाला कार्य रूक जाता है। ये शक्ति की विशेषता है। शक्ति आत्मा में है। सारी शक्ति आत्मा से निकलती है। ये उसी का बल है।




📸 Credit - Vimanika comics

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