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Writer's pictureAnshul P

RV 1.39.6

Updated: Feb 20, 2021


Rig Ved 1.39.6


Red is the colour of Power. Fire also glows with red hues. Red also is the colour of Knowledge. Here red horse denotes knowledge and its combination with ability( it is not inert but active) it becomes Gyanswarup. Shruti Bhagwati especially points out this.


उपो॒ रथे॑षु॒ पृष॑तीरयुग्ध्वं॒ प्रष्टि॑र्वहति॒ रोहि॑तः ।

आ वो॒ यामा॑य पृथि॒वी चि॑दश्रो॒दबी॑भयंत॒ मानु॑षाः 


Translation :


रथेषु - On chariot.


पृषतीः - Identify through spots.


उपा - Very near.


अयुग्ध्वम् - To plough.


प्रष्टिः - Yoke.


रोहितः - Red deer.


वहति - To pull.


वः - Yours.


यामाय - Come.


पृथिवि - In space.


चित् - Too.


आ अश्रोतु - To listen nearby.


मानुषाः - Human.


अबीभयन्त - Afraid.


Explanation : Oh Marudgans! Many strange animals are inscribed in your chariot which provide it the speed. The red horse is pulling the chariot at its axis. The surface of the land is listening to its loud noise which in turn frightens the people.


Deep meaning: Red is the colour of Power. Fire also glows with red hues. Red also is the colour of Knowledge. Here red horse denotes knowledge and its combination with ability( it is not inert but active) it becomes Gyanswarup. Shruti Bhagwati especially points out this.





#मराठी


ऋग्वेद १.३९.६



उपो॒ रथे॑षु॒ पृष॑तीरयुग्ध्वं॒ प्रष्टि॑र्वहति॒ रोहि॑तः ।

आ वो॒ यामा॑य पृथि॒वी चि॑दश्रो॒दबी॑भयंत॒ मानु॑षाः 


भाषांतर :


रथेषु - रथात.


पृषतीः - हरिणांच्या चिन्ह.


उपो - अगदी जवळ.


अयुग्ध्वम् - जुंपली.


प्रष्टिः - जूए ना.


रोहितः - लाल हरिण.


वहति - खेचून.


वः - आपले.


यामाय - येणे.


पृथिवि - अंतरिक्षात.


चित् - ते पण.


आ अश्रोतु - समोरून ऐकु.


मानुषाः - मनुष्य.


अबीभयन्त - भयभीत.


भावार्थ:हे मरूदगण !आपल्या रथावरील चित्र विचित्र पशु रथाला गति देतात व त्यात लाल रंगाचे अश्व रथाला खेचत आहेत. गतिने उत्पन्न झालेल्या ध्वनीला भूमी ऐकत आहे व त्याला ऐकून मनुष्य भयभीत होत आहेत.


गूढार्थ: लाल रंग शक्तीचे प्रतीक आहे.अग्निमधे पण लाल रंग आढळतो आणि लाल रंग ज्ञानाचे प्रतीक आहे.तर इथे अश्व अर्थात प्रज्ञे बरोबर सामर्थ्य(कारण तो जड नाही चैतन्य आहे) म्हणून तो ज्ञानस्वरूप आहे. श्रुति भगवती ह्याचे विशेष रूपात वर्णन करत आहेत.




#हिन्दी


ऋग्वेद १.३९.६



उपो॒ रथे॑षु॒ पृष॑तीरयुग्ध्वं॒ प्रष्टि॑र्वहति॒ रोहि॑तः ।

आ वो॒ यामा॑य पृथि॒वी चि॑दश्रो॒दबी॑भयंत॒ मानु॑षाः 


अनुवाद:


रथेषु - रथों में।


पृषतीः - हिरणियों की पहचान बिंदु ।


उपो - बिल्कुल नजदीक।


अयुग्ध्वम् - जोतना।


प्रष्टिः - जीएँ को।


रोहितः - लाल हिरण।


वहति - खींचना।


वः - आपके।


यामाय - आगमन।


पृथिवि - अंतरिक्ष ने।


चित् - भी।


आ अश्रोतु - सामने सुनना।


मानुषाः - मनुष्य।


अबीभयन्त - डरना।


भावार्थ: हे मरूदगण! आपके रथ पर चित्र विचित्र चिन्हों से अंकित पशु रथ को गति देते हैं उसमें लाल रंगवाला अश्व रथ की धुरी को खींचता है। आपकी गति से होनेवाली आवाज को भूमि सुनती है और मनुष्य भयभीत हो जाता है।


गूढार्थ: लाल रंग शक्ति का प्रतीक है। अग्नि में लाल रंग दीखता है। लाल रंग ज्ञान का प्रतीक है। तो इसमें अश्व यानीं प्रज्ञा के साथ और सामर्थ्य के साथ(क्योंकि ये जड नहीं,चैतन्य है) इसलिए यह ज्ञानस्वरूप है। श्रुति भगवती इसका विशेष रूप से वर्णन कर रहीं हैं।





📸 Credit - Sumantra ji

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