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RV 1.39.7

Updated: Feb 23, 2021


Rig Ved 1.39.7


Here we are trying to understand our memories which are full of knowledge. It is this knowledge laden memory that helps us to carry on our traditions. Tradition denote children. This tradition gathered through forefathers help us to continue this knowledge.


आ वो॑ म॒क्षू तना॑य॒ कं रुद्रा॒ अवो॑ वृणीमहे ।

गंता॑ नू॒नं नोऽव॑सा॒ यथा॑ पु॒रेत्था कण्वा॑य बि॒भ्युषे॑ ॥


Translation :


रूद्राः - Oh Son of Rudra, Maruts!


तनाय कम् - To get a son.


मक्षु - Fast.


अवः - To defence power.


आ वृणीमहे - To pray from all sides.


पुरा - In first Pura kaal.


नः - Ours.


अवसा - For security.


यथा - This way.


इत्था - That way.


विभ्यषे - Frightened


कण्वाय - Intelligent Yajmans.


नूनम् - Fast.


गन्त - Come.


Explanation :Oh the son of Rudra, Maruts! We pray to you for the protection of our children. Just like you immediately went to protect the kanva's or yajmans similarly you also immediately come to our rescue.


Deep meaning: Here we are trying to understand our memories which are full of knowledge. It is this knowledge laden memory that helps us to carry on our traditions. Tradition denote children. This tradition gathered through forefathers help us to continue this knowledge.






#मराठी


ऋग्वेद १.३९.७



आ वो॑ म॒क्षू तना॑य॒ कं रुद्रा॒ अवो॑ वृणीमहे ।

गंता॑ नू॒नं नोऽव॑सा॒ यथा॑ पु॒रेत्था कण्वा॑य बि॒भ्युषे॑ ॥


भाषांतर :


रूद्राः - हे रूद्रपुत्र मरूदगण!


तनाय कम् - पुत्र प्राप्ति हेतु.


मक्षु - त्वरित.


अवः - रक्षण शकिती ने.


आ वृणीमहे - चारही बाजूने प्रार्थना.


पुरा - पहिले पुरा काळाने.


नः - आमचे.


अवसा - रक्षण हेतु.


यथा - जसे.


इत्था - तसे.


विभ्यषे - भयभीत.


कण्वाय - मेधावी यजमान.


नूनम् - त्वरित.


गन्त - यावे.


भावार्थ:हे रूद्रपुत्र मरूदगण! आम्ही आमच्या संतानांचे रक्षण हेतु आपली स्तुति करत आहोत. जसे पूर्वकाळी आप कण्व किंवा यजमानांचे रक्षण करीता त्वरित गेले होते तशीच आपण आमच्या रक्षणार्थ शीघ्रतेने यावे.


गूढार्थ: इथे आम्ही आपली स्मृतिस समजून म्हणत आहोत जे ज्ञानाने परिपूर्ण आहे. ते ज्ञानाने परिपूर्ण स्मृतिने आम्ही परंपरेचे निर्वहन करत आहोत. संतान ने तात्पर्य परंपरा हेच आहे. हे परंपरेप्रमाणे आपल्या पूर्वज ह्यांचे पासून प्रज्ञेचे निर्वहन करत आहोत.




#हिन्दी


ऋग्वेद १.३९.७



आ वो॑ म॒क्षू तना॑य॒ कं रुद्रा॒ अवो॑ वृणीमहे ।

गंता॑ नू॒नं नोऽव॑सा॒ यथा॑ पु॒रेत्था कण्वा॑य बि॒भ्युषे॑ ॥


अनुवाद:


रूद्राः - हे रूद्रपुत्र मरूतों!


तनाय कम् - पुत्र प्राप्ति हेतु।


मक्षु - जल्दी।


अवः - रक्षा शक्ति की।


आ वृणीमहे - सब तरफ से प्रार्थना।


पुरा - पहले पुरा काल से।


नः - हमारे।


अवसा - रक्षा हेतु।


यथा - जैसे।


इत्था - उसी प्रकार।


विभ्यषे - डरना।


कण्वाय - बुद्धिमान यजमान।


नूनम् - जल्दी।


गन्त - आना।


भावार्थ:हे रूद्रपुत्रों!अपनी संतानों की रक्षा करने के लिए हम आपकी स्तुति करते हैं।जैसे पूर्वकाल में आप ड़रे हुए कण्वो या यजमानो की रक्षा के लिए त्वरित गये हो उसी तरह आप हमारी रक्षा के लिए शीघ्र आइए।


गूढार्थ:यहां हम अपनी स्मृति को समझे रहे हैं जो ज्ञान से परिपूर्ण है। उस ज्ञान से परिपूर्ण स्मृति से हम परंपरा का निर्वाह करेंगे। संतान का तात्पर्य यहां परंपरा से है।यह परंपरा से पूर्वजों द्वारा प्राप्त प्रज्ञा का हम निर्वाह करेंगे।

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