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RV 1.4.6

  • Writer: Anshul P
    Anshul P
  • Apr 26, 2020
  • 2 min read

Rig Ved 1.4.6


उत नः सुभगाँ अरिर्वो॒चेयुर्दस्म कृष्टयः ।

स्यामेदिंद्रस्य शर्म॑णि ॥


Translation:-


उत + कृष्टयः - Also for outside people.


नः - We or us.


सुभगाँ - Thiest who follows Ved culture.


अरिर्वो॒चेयुर्दस्म:-

A}अरि - Enemy.

B}र्वोचेयु - Talks us like a Friend.

C}दस्म - Enemy killer Indra.


स्यामेदिंद्रस्य:-

A}स्यामेदि - He resides there.

B}इंद्रस्य - For Indra.


शर्मणि - In Happiness.


Explanation:-

Theists who follows Ved culture are always dedicated and resides at the feet of Indra and that person is always Happy and Blessed by Indra dev. Also that person will always be full of wealth and happiness, Even Enenmy will become their Best Friends. That why we all should surrender to Indra's feet.



#मराठी


ऋग्वेद १.४.६


उत नः सुभगाँ अरिर्वो॒चेयुर्दस्म कृष्टयः ।

स्यामेदिंद्रस्य शर्म॑णि ॥


भाषांतर:-


उत + कृष्टयः - बाहेर चे लोक पण.


नः - आम्ही लोक.


सुभगाँ - वेद ला माणनारे आस्तिक लोक.


अरिर्वो॒चेयुर्दस्म:-

A}अरि - शत्रु

B}र्वोचेयु - मित्र सारखे संवाद करणे.

C}दस्म - शत्रु ला विनाश करणारा इंद्र.


स्यामेदिंद्रस्य:-

A}स्यामेदि - निवास करणे.

B}इंद्रस्य - इंद्र चा.


शर्मणि - सुख मधे.


भावार्थ:-

वेद संस्कृतीचे अनुसरण करणारे आस्तिक लोक नेहमी इंद्रच्या चरणांवर राहतात आणि समर्पित आहात, त्या व्यक्तीला इंद्र देव नेहमी आशीर्वाद देतो आणि तो नेहमी आनंदीत मग्न आस्तो. त्या व्यक्तीला संपत्ती आणि आनंद ची कमी कधी पण नस्ते, अगदी शत्रु त्यांचे सर्वोत्कृष्ट मित्र पणे वाघतात. म्हणूनच आपण सर्वांनी इंद्रांच्या प्रति समर्पण आणि त्यची प्रार्थना करावे.


#हिंदी


ऋग्वेद १.४.६


उत नः सुभगाँ अरिर्वोचेयुर्दस्म कृष्टयः ।

स्यामेदिंद्रस्य शर्म॑णि ॥


अनुवाद:-


उत + कृष्टयः - बाहर के लोग भी।


नः - हम लोग।


सुभगाँ - वेद को मानने वाले आस्तिक लोग।


अरिर्वो॒चेयुर्दस्म:-

A}अरि - शत्रु।

B}र्वोचेयु - मित्र की तरह बातें करते है।

C}दस्म - शत्रु नाशक इंद्र।


स्यामेदिंद्रस्य:-

A}स्यामेदि - निवास ही करते है।

B}इंद्रस्य - इंद्र के।


शर्मणि - सुख मे।


भावार्थ:-


वेद संस्कृति का पालन करने वाले आस्तिक लोग हमेशा इंद्र देव को समर्पित होते हैं और इंद्र के चरणों में निवास करते हैं वह लोग हमेशा इंद्र देव के आशीर्वाद से हमेशा आनंद में मग्न रहते है, उन लोगो को धन और सुख का कभी अभाव नही रहता, यहां तक ​​कि शत्रु भी उनके सर्वश्रेष्ठ मित्र बन जाते है। यही कारण है कि हम सभी को इंद्र के शरण मे जाना चाहिए।


https://twitter.com/Anshulspiritual/status/1075435563250057221?s=19

 
 
 

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