Rig Ved 1.41.2
Those people who have totally devoted their life to Ishwar find their progress upwards, not downwards. Their Thinking, Actions and Gestures are high, so they remain sorrowless. Whatever thoughts they possess determines their certainty. This will determine their result. Therefore one must live for Parmarth.
यं बा॒हुते॑व॒ पिप्र॑ति॒ पांति॒ मर्त्यं॑ रि॒षः ।
अरि॑ष्टः॒ सर्व॑ एधते ॥
Translation:
यम् - Whose.
बाहुता इव - To bring wealth through muscle strength.
पिप्रति - To complete.
मर्त्यम् - For people.
रिषः - From Violent.
पान्ति - Save.
सर्वः - All.
अरिष्टः - Without fear.
एधते - To acquire intelligence.
Explanation: Varun and other dieties who distribute many types of wealth through their own hands and protect men , the enemies never use violence on such men and infact increase their wealth.
Deep meaning: Those people who have totally devoted their life to Ishwar find their progress upwards, not downwards. Their Thinking, Actions and Gestures are high, so they remain sorrowless. Whatever thoughts they possess determines their certainty. This will determine their result. Therefore one must live for Parmarth.
📸 Credit - Bhagwan_teri_leela
# मराठी
ऋग्वेद १.४१.२
यं बा॒हुते॑व॒ पिप्र॑ति॒ पांति॒ मर्त्यं॑ रि॒षः ।
अरि॑ष्टः॒ सर्व॑ एधते ॥
भाषान्तर :
यम् - ज्याना.
बाहुता इव - बाहुबळाने धन आणून देणे.
पिप्रति - पूर्ण करणे.
मर्त्यम् - मनुष्यांचे.
रिषः - हिंसक ह्याने.
पान्ति - वाचवणे.
सर्वः - सर्व.
अरिष्टः - विना भय.
एधते - बुद्धी प्राप्त होणे.
भावार्थःआपल्या हाताने विविध धन देत वरूणादि देव ज्या मनुष्यांचे रक्षण करतात, शत्रू कधीही त्यांच्यावर हिंसेचा प्रयोग करत नाही आणि तो समृद्धि प्राप्त करतो.
गूढार्थ:ज्याने आपले जीवन ईश्वर कडे समर्पित केलेले आहे त्याची उन्नती अधोगामी नसणार तर उर्ध्वगामी असणार. त्याचे भाव, क्रिया आणि विचार उच्च राहतात म्हणून तो निःर्दुख राहतो. जशी त्याची विचार असतील तसेच त्याचे निश्चय असणार. जसे निश्चय असणार तशीच फळ मिळणार. म्हणून परमार्था मध्ये राहिले पाहिजे.
#हिन्दी
ऋग्वेद १.४१.२
यं बा॒हुते॑व॒ पिप्र॑ति॒ पांति॒ मर्त्यं॑ रि॒षः ।
अरि॑ष्टः॒ सर्व॑ एधते ॥
अनुवाद:
यम् - जिसको।
बाहुता इव - बाहुबल से धन लाना।
पिप्रति - पूरा करना।
मर्त्यम् - मनुष्यों को।
रिषः - हिंसक से।
पान्ति - बचाना।
सर्वः - सब।
अरिष्टः - बिना डरे।
एधते - बुद्धि प्राप्त होना।
भावार्थः अपने हाथों से विविध धन देते हुए वरूण आदि देव जिस मनुष्य की रक्षा करते हैं ,शत्रु कभी उस पर हिंसा का प्रयोग नहीं करते और वह वृद्धि पाता है।
गूढ़ार्थ:जिसने अपना जीवन ईश्वर में लगा दिया उसकी उन्नति अधोगामी नहीं उर्ध्वगामी होगी।उसका भाव,क्रिया और विचार ऊंचे होते हैं इसीलिए वह निर्दुख रहता है ।जैसी उसकी सोच होगी वैसा उसका विचार होगा ।जैसा विचार होगा वैसा ही निश्चय होगा।जैसा निश्चय होगा वैसा फल प्राप्त होगा।इसीलिए यह सोच लेना चाहिए कि परमार्थ में ही रहना है ।
📸 Credit - Bhagwan_teri_leela
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